वो लड़का
वो लड़का


अख़बार को पहले से आख़िरी पन्ने तक ध्यान से पढ़ना , बहुत पुरानी आदत थी। हेडिंग सारी पढ़ना , खेल समाचार और अन्य पसंदीदा समाचार विस्तार से पढ़ना। उस दिन भी पूजा करने के बाद पेपर पढ़ने बैठा , मुख्य पृष्ठ को विस्तार से एक एक अक्षर पढ़ने के बाद , तीसरे पन्ने को सरसरी तौर पर देखता जा रहा था। एक दुर्घटना की खबर थी , रोज़ की तरह, युवक का चित्र देख कर लगा अरे पुरानी खबर फिर से । खैर पूरा अख़बार पढ कर , नाश्ता कर ऑफिस चला गया । चर्चा चली ऐक्सिडेंट से एक युवक मारा गया बगल के पुल पर।
"हां गाड़ी टकराई और युवक पुल से गिर गया नीचे , और उसकी मौत हो गई,"
मैने कहा "सर मौत हो गई , लेकिन वो गिरा नहीं , आमने सामने टक्कर हुई और वहीं मर गया" धीरेन्द्र बोला "अरे तुम पागल हो मैने सुबह देखा है पेपर, तुम कौन सा पेपर देख रहे हो। "जागरण में देखा मैने",
धीरेन्द्र बोला "अमर उजाला, हिंदुस्तान भी देख लेता हूं , और दैनिक आज भी।" दो मिनट बाद "सर आप ने ठीक से नहीं पढ़ा, सबमें लिखा है आमने सामने टक्कर हुई है , रंजीतपुर का लड़का है, लीजिए देखिए।"
"लाओ" , और मैं खबर पढ़ने लगा ,मुझे अपनी पीठ में सिहरन महसूस होने लगी, अरे यह क्या ? यही शक्ल , पुल से गिरता लड़का , कल रात सपने में दिखा था। पुल पर ही ऐक्सिडेंट हो गया इसका।
"क्या हुआ सर , आपने ग़लत देखा ना " धीरेन्द्र हंसते हुए बोला। मैंने धीरे से सर हिलाया ।
"हो जाता है कभी कभी सर , आप कुछ और देख लेते हैं ", कहते हुए अखबार इकठ्ठे कर ले गया।
मै सोचने लगा यह क्या माया थी ? वही शक्ल , वही जगह यह कैसे हो सकता है। क्या मुझे मतिभ्रम हो गया था। याद किया मैने यह खबर अख़बार में नहीं पढ़ी थी । उदास मन से दिन भर काम करता रहा।
शाम को घर आकर पत्नी से कहा एक लड़के की ऐक्सिडेंट में मौत हो गई , और मुझे वो कल रात सपने में दिखा पुल से गिरते हुए।
"अरे वो वीणा जी के भाई का लड़का था। इकलौता लड़का , भगवान ऐसा दुःख किसी दुश्मन को भी न दे। वीणा जी कितनी अच्छी है, उनका भाई संगीत सिखाते हैं, बहुत अच्छे हैं। लड़का भी बहुत सुशील था, अभी नई नई गाड़ी चलाना सीखा था। वीणा जी की गाड़ी थी , में अपने बंटू को अभी गाड़ी नहीं चलाने दूंगी और सुनो मजबूत गाड़ी लेना, उस से बचत रहती है । सुन रहे हो ना, अपना भी इकलौता बेटा है , इतना अच्छा भी है , नज़र लग जाती है लोगो की। और पूजा भी करवा लेना , गाड़ी पहले हनुमान मंदिर जाएगी। और बड़े महंत जी से पूजा करवाना।" वो बड़बड़ाए जा रही थी।
मै सोच रहा था, क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है? यदि नहीं तो आगे होने वाली घटना कैसे दिख जाती है? पूर्वाभास क्यों होते हैं ? ईश्वर की माया क्या समझी जा सकती है? शायद नहीं।