वो कॉलेज का ... वो लड़का
वो कॉलेज का ... वो लड़का
बादलों को बरसने का जैसे शौक हो गया हो। हाँ ....उस दिन बादलो की गोद से मचलती हुई बूँदे धरती को ऐसे बेक़रारी से चूम रही थी जैसे जन्मों की प्यासी हो और जाने कब से धरती भी आतुर थी उन्हें अपने आग़ोश मे लेने को। रिमझिम -२ , बारिश की रुनझुन से दिलो में भी झनकार बज रही थी। ऐसे मे किसी का भी पढ़ने का मन कैसे हो सकता है। कोई भी लेक्चर नहीं लगा रहा था। सभी स्टूडेंट्स पोर्च में खड़े थे। रिया और सुधीर भी वहीं थे। दोनों क्लासमेट्स है ....नही जानते। कब कोई कहानी कहाँ जन्म ले लेती है किसे पता। क़ुदरत भी किन -किन रगों से खेलती है और जीवन को सतरगीं सपनों से सजा देती है।
सुधीर रिया को कनखियो से देख रहा था।
अचानक से रिया ने जाने क्या सोचा ....
थोड़ी बारिश थमी तो वो बाहर की ओर चल दी ,
चारों तरफ़ पानी ही पानी था। वाइट सूट में इक महकी सी ग़ज़ल सी लग रही थी। सुन्दर तो वो थी। बारिश का एन्जॉय करती हुई। हॉस्टल की तरफ़ चलती जा रही थी। वह धीरे -धीरे मुस्कुरा भी रही थी। और कहीं कोई और भी रिया को देखकर मुस्कुरा रहा था। ये रिया जानती थी लेकिन उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने ही ख़यालों में हँसती हुई शैतानिया करती हुई हॉस्टल में आ गई।
दो शख़्स अनजान से जो कभी भी रूबरू भी नहीं हुए न कोई बात हुई फिर कैसे ही उनके दिलों में ये हलचल हो रही थी।
रिया की मुलाक़ात सुधीर से अचानक हो जाती तो रिया के मन मे हलचल सी होने लगती। पढ़ते थे दोनों एक ही क्लास में लेकिन शायद सुधीर क्लास में बहुत कम ही आता था, मेहता सर का बेटा जो था। इसलिये रोज क्लास में आना ज़रूरी नही लगता था उसे। उनकी नोट्स लेने और स्टडी के अलावा कोई बात नहीं होती थी।
जैसे ही दोनों की आँखे मिलती दोनों मुस्कुरा देते। दोनों के मन में कुछ तो था जो उनकी आँखों से बयान होता था। रिया जब भी कॉलेज जाती तो जाने कहां से एकदम सुधीर रिया के सामने आ जाता और उसे एकदम से हैरान कर देता। फिर एक दिन ................
सुधीर ने रिया को बाहर मिलने के लिए कहा लेकिन रिया ने मिलने से साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सुधीर बार -बार उसे मना रहा था। “तुम ज़रूर आओगी”
“नहीं मैं नहीं आऊँगी, कभी नहीं आऊँगी”
“मै जानता हूँ तुम ज़रूर आओगी मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँग, तुम्हें आना होगा मेरे लिये”
“तुम चाहे कितना भी इंतज़ार कर लो मैं नहीं जाऊँगी कभी नहीं”
“मैं कल शाम 4 बजे तक तुम्हारा इंतज़ार करूँगा तुम ज़रूर आओगी - ये मेरा तुमसे “ वादा“ है” यह कहकर सुधीर चल दिया।
सुधीर उसको मिलने हॉस्टल में आया था, उससे मिलना चाहता था। लेकिन रिया ने उससे मिलने से इनकार कर दिया तो तो सुधीर ने होस्टल की दीवार के उस पार से ही चिल्लाकर रिया को मैसेज दिया कि वह कल उसका 4 बजे तक इंतज़ार करेगा। उसे आना पड़ेगा और वह ज़रूर आएगी। ये कहकर वह चल दिया। रिया - सुधीर को मिलना नहीं चाहती थी।
जाने क्यूँ , फिर रिया की दोस्त उसे मनाती रही शाम 3 बजे तक।
अन्त में रिया मिलने को तैयार हो गई और पूरा रास्ता जाने किन -२ ख़्यालों में मुस्कुराते हुए बीता। उनको उनको पहुँचने में 10 मिनट लेट हो गया। सुधीर उनका कब से इंतज़ार कर रहा था लेकिन वो उसके बाद वहाँ से निकल चुका था। जाते -२ एक मेसेज दे गया था - कि उसके दोस्त का एक्सीडेंट हो गया है और वह वहाँ जा रहा है उसने बहुत देर तक इंतज़ार किया लेकिन तुम नहीं आई , बाद में मिलता हूँ यह लिखकर वो चला गया। रिया हाथ में नोट पकड़कर सुन्न खड़ी रही —वो 10मिनट —उन दस मिनटों ने रिया के सपनों को चूर चूर कर दिया, उसकी चाहत को ख़ामोशी में बदल दिया।
आज भी जब वो लम्हा याद आता है और रिया को लगता है कि वह आज भी उसका वहीं इंतज़ार कर रही है। उसे यक़ीन था कि एक बार तो वह ज़रूर आएगा। इसी तरह एक साल हो गया यानी ग्रेजुएशन पूरी हो गई थी और दूसरे कॉलेज में बीएड में एडमिशन ले लिया। हाँ उसकी दोस्त तो अभी वहीं उसकी गवर्नमेंट कॉलेज में थी वो भी शायद वहा एम्.ए कर रहा था इंग्लिश में। वह रिया की दोस्त से मिलता और रिया के बारे में अकसर पूछता। रिया की दोस्त उसे बार -बार आकर उसे बताती है कि वह उसे बहुत चाहता है उससे मिलना चाहता है। रिया मन ही मन उसे बहुत प्यार करती थी लेकिन उससे मिलना नहीं चाहती थी। रियो अपने ख़यालों में ही उससे प्यार करके ख़ुश थी। लेकिन सुधीर रिया की दोस्त को रिक्वेस्ट करता की वो एक बार तो रिया से मिलवा दे। दोस्त के बहुत फ़ोर्स करने पर रिया मिलने को मान गई। फिर एक बार फिर उसी जगह पर रिया सुधीर से मिलने पहुँचते हैं कुछ देर इधर - उधर की बातें होती हैं कुछ देर बाद सुधीर कहते हैं वह रिया से कुछ कहना चाहता है वह बहुत ध्यान से उसकी बात सुन रही थी - कि अचानक सुधीर ने कहा कि “उसकी गर्लफ़्रेंड नहीं चाहती कि वह उससे मिले” रिया ये सुनकर shocked हो जाती है। चिल्लाती है - क्या। उसे और कुछ सुनाई नहीं पड़ता कि उसके बाद सुधीर ने क्या कहा। वो बिना कुछ कहे रोते हुऐ वहाँ से जाने लगती है। कि सुधीर एकदम से उसका हाथ पकड़ता है और बहुत ज़ोर से हँस देता है। रिया चौंक जाती है ... “सुधीर कहता है कि ... अरे स्टूपिड “ तुम ही तो हो मेरी गर्लफ़्रेंड “ अरे मज़ाक़ कर रहा था”
सुधीर रोती हुई रिया को गले लगाकर कहता है कितने सालों से तरसा हूँ ये कहने को , कितना सारा इन्तज़ार किया इन लफ्जो को कहने के लिये .....
“ आई लव यू मेरी बुद्धू “