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Prabodh Govil

Romance

4  

Prabodh Govil

Romance

वो दोपहर - 4

वो दोपहर - 4

3 mins
205

उसे ज़रूर किसी की नज़र लग गई। मैडम ने कुछ सहज होकर कहा।

मैं अपनी पलकें मूंद कर बैठ गया और उनकी बात सुनने लगा। वो कहती गईं, लगातार। जैसे किसी रुकी हुई नहर को बहाव का रास्ता दिख गया हो।

मेरा ये छोटा बेटा बचपन से ही बहुत संवेदनशील था। इसे सब प्यार करते थे। इसे सबसे मुहब्बत भी खूब थी।

इसके होठ तो इतने खूबसूरत थे जैसे शुद्ध दूध पर मलाई आई हो। इसे अपना कोई भी काम अपने हाथ से करने की कभी आदत ही नहीं थी। इसका सब काम दूसरे कर देते। यहां तक कि सुबह स्कूल भी जाता तो मेरी मां दूध का गिलास लेकर पीछे दौड़ती। इसके दोस्त बुलाने आ जाते। कोई इसका बैग पकड़ता तो कोई पानी की बोतल।

नामी इंटरनेशनल स्कूल में जाता था पर पानी घर से अपना ही लेकर जाता। मैंने उसे घर में कभी पढ़ते हुए नहीं देखा। अगर मैं कभी पूछती, क्यों रे! तेरे स्कूल में कभी होमवर्क नहीं मिलता क्या? ...तो झट से उसके पिता बीच में आ जाते और कहते उसे क्यों डांट रही है?

देखतेदेखते ही चौदह साल का हो गया। मैं सोचती थी कि अब उसके पिता उसे किसी अच्छी कोचिंग में डालेंगे। वो कुछ बनेगा।

एक दिन मैंने उसके पिता को रात के खाने के बाद उसे लेकर बैठे देखा। बापबेटे सिर से सिर जोड़ कर कोई फार्म भर रहे थे। मैं खुश हुई, चलो कुछ हो रहा है। कुछ होगा।

एक दिन तो उसे कार में लेकर उसके पिता बाज़ार चले गए। ढेर सारी शॉपिंग की। क्याक्या लेकर आए दोनों।

दिखा तो... मैं बोली। बाप रे, इतने कपड़े? जूते, सैंडल... परफ्यूम, मेकअप का सामान। क्रीम, लोशन।

क्या रे! तू क्या करने वाला है ज़िन्दगी में... उसके पिता बोलेतू नज़र मत लगा उसे।

मैं चुप बैठ गई।

मुझे बाद में मेरे बड़े बेटे ने बताया कि वो एक नामी डांस स्कूल में डांस सीखने जाता है।

हे भगवान। घर में नाच भी नहीं सकता क्या? क्यों मेरे कलेजे के टुकड़े को मुझसे इतनी दूर भेजते हैं!

रात को जब सब सो गए तब मैं चुपके से उठी और उसकी शॉपिंग में लाए सारे कपड़ों को उलटपलट कर देखा।

कोई लड़की जैसा ड्रेस, तो कोई जोकर जैसा... कोई कोई तो सब कुछ दिखाने वाला। हे भगवान, इसे ढक के रखना परदेस में।

मैं वापस आकर लेट तो गई पर मुझे नींद नहीं आई। सोने की कोशिश करती रही। बीच बीच में मुझे अजीब सपने आते।

नींद के बिना सपने, वो क्या बोलते हैं दिवा स्वप्न। मुझे ऐसा लगता था मानो मेरे पति की कोई रखैल है, मेरी सौतन। अपनी जवानी के दिनों में उसी का नाच देखने जाता रहा होगा किसी कोठे पे। मैं रोकती थी। शायद मुझसे बदला लेता है... मेरे बेटे को नर्तक ही बनाएगा!

छी! मैं उठ कर बैठ गई। रात के अंधेरे में अपने को ताबड़तोड़ चांटे मारे। ये क्या सोच गई मैं? कितनी गंदी सोच। मैंने पति की ओर देखा। कितना प्यारा सलोना चेहरा। शांति से सोया हुआ था। मुझे उसपे प्यार आया। अपने पे गुस्सा।

दूसरे दिन सुबहसुबह मैंने ख़ूब अदरक और मसाला डाल के अपने पति की मनपसंद चाय बनाई तो एक चुस्की लेते ही उनका चेहरा खिल गया। बोलेतू देखना, अपने बेटे को बड़ा स्टार बनाऊंगा। अभी डांस सीखने जाता है फ़िर एक्टिंग सीखने जाएगा। स्टंट ड्राइविंग, फ्लाइंग, स्विमिंग सब विदेश में सिखाऊंगा इसे।

मैंने अपनी रुलाई मुश्किल से रोकी। हाय देखो तो! कैसी मां हूं मैं? क्याक्या सोच रही थी।

आंखों आंखों में पति की बलाएं ली मैंने और बेटे को भी होठ पर चूमा।

मलेशियन लड़का जूस लेकर आ गया था और अब करीने से रख रहा था। वैसे ही मुस्कुराते हुए !


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