वो अपना मज़ाक बना रही है
वो अपना मज़ाक बना रही है
"देखो ऐसे ही लोग की वजह से हम सब के बच्चों पर बुरा असर पड़ता है।" निभा ने अपनी पड़ोसन पिहु को देखते हुए कहा।"
पर पिहु बिना कुछ बोले चुप होकर अपनी बेटी(कुहु) के साथ वहां से निकल जाती है।पिहु अपनी 14साल की बेटी के साथ अकेले रहती है।वो कहते है अगर किसी पति ने पत्नी को छोडा तो लोग उससे सवाल नही करते, लेकिन अगर किसी पत्नी ने अपने पति को छोड़ दिया तो मानो लगता है कि उसके ऊपर सब को अपनी टिप्पणी करने का अधिकार मिल गया हो। जैसे वो कोई इंसान नहीं हास्य व्यंग्य करने की कोई वस्तु हो। जिसके मन में जो आया बोल दिया।ये आज की बात नहीं है ये हमेशा से ही ऐसा होता है पुरुष कितने भी गलत क्यों ना हो,पर हमेशा औरतों को ही गलत ठहराया जाता है।उसका कसूर हो या ना हो। ऐसा ही कुछ पिहु के साथ था।पर पिहु ने किसी की भी परवाह नहीं की , उसे सिर्फ अपनी बेटी दिख रही थी।
पिहु की शादी करण से हुई थी।पिहु का ससुराल बहुत ही सुखी संपन्न परिवार था।करण के माता-पिता भी अच्छे थे। शादी के शुरूआत में सब बहुत अच्छा था।करण भी पिहू को बहुत प्यार करता।पिहु अपनी अधुरी पढ़ाई पुरा करना चाहती थी...पर करण ने बड़े प्यार से कहा तुम्हें किस बात की कमी है सब कुछ तुम्हारा ही तो है।ये सब सुनकर पिहु भी कुछ ना बोल सकी,सास -ससुर भी उसके पढाई के पक्ष में नही थे। फिर पिहु ने भी मन मार कर परिस्थिति से समझोता कर लेती है। जैसे -जैसे वक्त गुजरने लगा पिहु को अपने ससुराल वालों की असलियत भी दिखने लगी।हर छोटी-छोटी बातों पर सासु मां ताने मराती।करण भी पिहु के ऊपर हर छोटी-छोटी बातों पर हाथ उठाने लगा था या ये अब उसकी आदत सी हो गई थी ।इन सब के बीच अच्छी बात ये थी कि पिहु मां बनने वाली थी। उसे लगा शायद अब सब अच्छा हो जाएगा।पर ये भम् जल्दी ही टुट गया।जब पिहु ने बेटी को जन्म दिया।करण और उसके माता-पिता को पोते की उम्मीद थी जो पुरी ना हो सकी फिर क्या। वही हुआ जो हर वक्त होता था पिहु के साथ।करण और उसके माता-पिता का पिहु पर अत्याचार।
एक दिन एक पल के लिए पिहु को आत्महत्या करने का ख्याल आया वो करने का मन भी बना ली थी,पर अचानक से उसे अपनी बेटी का ख्याल आया। उसने अपनी बेटी से कहा"अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम्हारा क्या होगा, ऐसे भी यहा इन जनावरो को तेरी कदर कहां अपना बोझ कम करने के लिए कुछ भी करेंगे तेरे साथ। तेरी मां को किसी ने भी सहारा नहीं दिया। मेरे माता-पिता ने भी मुझे मेरी किस्मत का हवाला देकर अपना पिछा छुड़ा लिये।पर मैं ऐसा कुछ नही होने दुगी तेरे साथ ,तेरी मां अपने लिए और तेरे लिए जियेगी।अब इस दुनिया में हम दोनो ही एक दूसरे का सहारा बनेंगे।पिहु करण को कहती हैं मैं तुम्हें और इस शादी को छोड़ कर जा रही हूँ।ये सुनकर करण का परिवार चौक जाता है। तभी करण "कहाँ जाओगी , क्या करोगी तुम्हें पता है ना ये समाज में पति द्वारा पत्नी को छोड़ जाने पर उसकी कोई इज्जत नही होती।" पिहु कहती हैं "तुम नहीं मैं तुम्हें छोड़कर कर जा रही हूं। इतना बोल पिहु अपनी बेटी को लेकर एक नई सफर की और चल देती है।राश्ते आसान नहीं थे पर पिहु ने हिम्मत नही हारी।पर कहते हैं समाज में ऐसे भी कुछ लोग हैं जिनकी सोच आज भी छोटी है।उन में से एक पिहु की पड़ोसन निभा है।जब से उसे पता चला कि इसने अपने पति को ,तलाक़ दिया है। तब से वो उसे जब भी कहीं देखती तो कोई ना कोई व्यंग्य करती और उसका मजाक उड़ाती।पर पिहु कभी भी इन पर ध्यान नही देती।
पर आज पिहु की बेटी (कुहु) ने अपनी मां से पूछा"मां आपको बुरा नही लगता जब निभा आंटी सब के समाने आप पर व्यंग्य करती है,आप का मजाक बनाती है। मुझे बहुत गुस्सा आता है।"तभी पिहु कहती हैं "बेटा इन छोटी सोच रखने वालो पर गुस्सा नहीं हंआती है इन्हें ऐसा लगता है कि वो मेरा मजाक बना रही है पर हकीकत ये है कि वो खुद का ,अपने आप का मजाक बना रही है। किसी -किसी इंसान का स्वाभाव ही ऐसा होता है।पर निभा जैसे छोटी सोच रखने वालो के अलावा भी अच्छी सोच रखने वाले भी होते हैं।सबका अपना-अपना नजरिया। अपनी मां की ये बात सुनकर कुहु अपने मां को लगे लगा लेती है और कहती हैं अपने सही कहा मां....आप ने!