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Avinash Agnihotri

Drama

3  

Avinash Agnihotri

Drama

विरासत

विरासत

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बर्तनों की सफाई करते हुए नौकरानी ने मालकिन से कहा। मेमसाब किचन के कुछ बर्तन पुराने हो गए है। उन्होंने अब अपनी चमक खो दी है ,अतः उन्हें अब कबाड़े में तोल देना चाहिए।

उसकी बात सुन,मेमसाब ने भी स्वीकृति में सर लिया दिया। फिर रात के समय डिब्बे परिवार के एक बुजुर्ग डिब्बे ने युवा डब्बो से कहा, कि सुनो अब में बूढ़ा और बेकार हो गया हूँ।

इसलिए अब कभी भी में इस परिवार से बिदा ले सकता हूँ। पर जाने से पहले मैं तुम सब से एक बात कहना चाहता हूँ। की इस मनुष्य जाती का सदेव हमसे अभिन्न स्नेह रहा है। इसलिए इन्होने सदेव अपने घर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से किचन में हमे स्थान दिया। 

घर की मालकिन का भी हमेशा हमसे घर के बच्चो के सामान लगाव रहा है। तब हमारा भी यह कर्तव्य बनता है की हम भी कभी घर आये बाहरी व्यक्ति पर अपना खालीपन जाहिर न होने दे।

क्योकि जिसके घर के बर्तन खाली होते है, समाज में उस परिवार की साख गिर जाती है।और यह परिवार चाहे जिस भी परिस्तिथि से गुजरे तुम हमेशा यूँही खिलखिलाते व चमचमाते रहो।

 ताकि लोगो द्वारा मालकिन की गृहकार्य दक्षता में तारीफ़ होवे।और किसी कारण जब उदास मालिक व मालकिन घर में आए, तब तुम्हे देखकर नई उर्जा से भर जाए।

तब सभी युवा डिब्बों ने उस बुजुर्ग डिब्बे की कही बातों को विरासत के रूप में, अपने अंतर मन में रख लिया।


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