वहम दुनिया चलाने का
वहम दुनिया चलाने का


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चल रही राष्ट्रिय स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग में सभी चेहरे मुरझाये हुए है. कही से भी इस बीमारी के इलाज़ की कोई ख़बर नहीं. डॉक्टरों और वैज्ञानिको की टीमें बेबस और व्यवस्था बेहाल नज़र आ रही है. प्रधानमंत्री कार्यालय से विश्व स्वास्थ संगठन को फ़ोन किया गया और इस बीमारी के सन्दर्भ में मौजूद जानकारी और अकड़े मांगे गए. संगठन के अध्यक्ष ने बड़े ही पीड़ा भरे लहजे में कहा
अध्यक्ष: “ प्रधानमंत्री जी इस समस्या से केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व परेशांन है मगर इतिहास गवाह है की कभी इसका कोई इलाज नहीं मिला”
प्रधानमंत्री जी : कोई तो जरिया होगा इसकी रोकथाम का ?
अध्यक्ष: “ जी हां या तो इसे पाला ना जाये और पालो तो इसके साथ जीना सीखो”
प्रधानमंत्री जी: “क्या इसकी दावा कभी बन पायगी ?”
अध्यक्ष: “प्रधानमंत्री जी ना तो वहम की दवा कभी बनी है और ना शायद कभी बनेगी”
प्रधानमंत्री जी: “धन्यवाद अध्यक्ष जी”
इसी के साथ सभी अधिकारी अपने अपने नोटपैड लेकर मीटिंग रूम से निकल पड़े ये वहम लिए की देश वही चला रहे है और हर इंसान आज वहम पाल कर चल रहा है की उसी से धरती घूम रही है और ऊपर बैठा वो धरती घुमाने वाला चाय की चुस्किया लेता कहीं नीचे चलते तमाशे को देखता मुस्कुराता होगा।