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Pradeep Soni प्रदीप सोनी

Abstract

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Pradeep Soni प्रदीप सोनी

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धर्म

धर्म

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रण क्षेत्र में कर्ण की जिप्सी का पहिया कीचड़ में फ़स गया ड्राईवर शल्य ने कहाँ की कीचड़ तो जरा सी है मगर फ्रंट रिवर्स गएर से भी पहिया निकल रहा है. कर्ण ने कहाँ “रुको मै ही अपनी भुजा बल से पहिया निकलता हूँ”.

दूसरी तरफ़ खड़े अर्जुन से ड्राईवर कृष्ण ने कहाँ “ अर्जुन खोपड़ी तोड़ ” अर्जुन ने दबाया, ए के 47 का खटका “ ठक ठक ठक” मगर कोई गोली नहीं लगी.

कर्ण चिल्लाया “अरे थोड़ा धर्म दिखा लो राक्षसो निहत्थे पर हमला करते हो कोई दीन धर्म है या नहीं”

कृष्ण ने ताली पीटते हुए कहाँ  “शाबाश लड़के शाबाश आ गया धर्म का ज्ञान”

पांडवो को छल से जुए में हराकर वनवास भेजा तब कहाँ था धर्म

लखश्या गृह में आग लगाई तब कहाँ था धर्म

अभिमन्युं को खोपचे में लेकर अकेले मारा तब कहाँ था धर्म

द्रौपदी का भरी सभा चीर हरण हुआ तब कहाँ था धर्म

वनवास पूरा करने के बाद हिस्सा नहीं दिया तब कहाँ था धर्म

कृष्ण ने कहाँ “अर्जुन दबा खटका” ठक ठक ठक” गोली जाकर सीधे कर्ण की खोपड़ी में फिट हो गयी और उसी के साथ कथा समाप्त!


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