ऊं

ऊं

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 "बच्चों आज बात करेंगे उस ब्रह्म नाद की जिसे हजारों वर्ष पहले भारत के ऋषि-मुनियों ने अपने ध्यान,योग और तपस्या के बल से अनुभव किया था।जिसका जाप एक सम्पूर्ण साधना है।

ऊँ तीन अक्षरों से बनता है... अ, उ और म। अर्थात ऊँ शब्द का निर्माण अ, उ और म से हुआ है।तीनों ध्वनियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी हैं और भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक भी। 

हाल के वर्षों में वैज्ञानिक अनुसन्धान और चिकित्सा विज्ञान बताते हैं कि मनुष्य के मस्तिष्क के अगले हिस्से जिसे ‘प्री फरंटल कोर्टेक्स’ कहा जाता है तथा जहाँ पीनियल ग्लैंड अवस्थित है जो कि स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है उसे ऊँ मंत्र के सही उच्चारण से बल मिलता है।

 बच्चों, ओम मंत्र के जाप से हमारे शरीर की सक्रियता बढ़ती है और रोगों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में भी मदद मिलती है।

दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होता है।इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं।

इसका उच्चारण करने वाला और सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं।

 हम अनुभव करते हैं कि काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है जिससे रक्त में विषाक्त पदार्थ पैदा होने लगते हैं। ओम की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह लाभ करती है।प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करना चाहिए।

ॐ ब्रह्मांडीय गुंजन ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही उत्पन्न हुआ था।इसे भूगोल में “बिग बैंग थ्योरी” के नाम से जाना जाता है। ब्रह्माण्ड से ही सभी सजीव प्राणियों की रचना हुई। 

वैदिक चिंतन में परमात्मा अर्थात ॐ की मान्यता है।बौद्ध, जैन,शैव और शाक्त संप्रदाय में भी ॐ है।शक्ति की प्रधानता होते हुए भी तांत्रिक मंत्रों में सर्वत्र ॐ का प्रथम उच्चारण होता है। सिक्ख पंथ में एक औंकार की मान्यता है। इसके अतिरिक्त पारसी, यहूदी तथा अन्य मतों में भी किसी न किसी रूप में ॐ के चिह्नों की मान्यता है।ॐ का अस्तित्व सर्वकालीन तथा सार्वभौमिक है।

ब्रह्म का मतलब होता है विस्तार, फैलाव और बढ़ना । ओंकार ध्वनि ‘ॐ’ को दुनिया में जितने भी मंत्र है उन सबका केंद्र कहा गया है।ॐ शब्द के उच्चारण मात्र से शरीर में एक सकारात्मक उर्जा आती है।ओंकार ध्वनि के 100 से भी ज्यादा अर्थ हैं।"

"तो कल से ही सभी ॐ का उच्चारण 15 मिनिट किया करें,ठीक है ?"

"जी,बिल्कुल ठीक।"

"तो फिर आज के लिए इतना ही। धन्यवाद।"

"धन्यवाद,चाचाजी।"


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