asha tewari

Tragedy

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asha tewari

Tragedy

उन्नीस व बीसवा दिन उम्मीद

उन्नीस व बीसवा दिन उम्मीद

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डिअर डायरी

सिर्फ एक दिन का इंतज़ार रह गया है लॉक डाउन खुलने मैं ऐसा लग रहा है जैसे कैद से आज़ादी मिल रही हो, फिर से जिंदगी सामान्य हो जाएगी वही सुबह जल्दी उठना ऑफ़िस जाना जल्दी जल्दी काम निपटाना फिर आराम को तरस जायेंगे, अभी आराम खल रहा है लेकिन अगर टीवी चैनल्स की सुने तो कोरोना अभी भी काबू से बाहर है हमारे देश मैं भी कोरोना के मरीज़ रोज़ ही बढ़ रहे है कई इलाकों मैं तो कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है डॉक्टर्स नर्सेज पुलिस पर्सन्स जीजान से लड़ रहे हैसमाचार पत्रों से यह पढ़कर बहुत दुख हुआ की कई डॉक्टर और नर्सेज मरीज़ो को बचाते हुए खुद भी संक्रमित हो गए और प्राण गवाँ बैठे है धन्य है वो लोग और उनकी निस्स्वार्थ सेवा


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