Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Rupa Bhattacharya

Tragedy Others

4.3  

Rupa Bhattacharya

Tragedy Others

उलझन

उलझन

4 mins
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प्रिय डायरी,

यह शहर है अमन का, यहाँ की फिज़ा है निराली। यहाँ पे सब शांति- शांति है ,यहाँ पे सब शांति।

खिड़की से बाहर देखते हुए गीत की ये पंक्तियाँ दिमाग में बार बार आ रहे हैं। क्या वाकई सब शांत है ? ? ?

बिलकुल नहीं ऽ ऽ ऽ।

रास्ते शांत और सुनसान पड़े हैं, एवं उस पर चलने वाले प्रत्येक व्यक्ति का दिमाग टेंशन से भरे पड़े हैं। इस कुख्यात 'कोरोना' नाम की वायरस ने सबकी बत्ती गुल कर दी है। आज आठ दिन हो गए घर में बैठे- बैठे। तुझे तो याद होगा, साल भर पहले आज ही के दिन मैंने यह कंपनी ज्वाइन की थी। मेरे सपनों के तो जैसे पंख लग गये थे। सब कितने खुश थे ! अब इसमें रहूँगी या निकाली जाऊंगी, पता नहीं। घर में भी एक अजीब सा सन्नाटा है!


पापा जी हर समय न्यूज चैनल पर चिपके बैठे हैं, माता जी नाश्ता, खाना, चाय समय पर परोसती रहती है। वह फिलहाल बासी पुराने सिरियलस में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। हाँ कभी- कभी फट पड़ती है,"क्या सारा दिन मनहूसियत भरी न्यूज देखते रहते हैं? अभी आपको कोरोना हुआ नहीं है ! कुछ हाथ- पाँव हिला लिया करो, बैठे- बैठे तबियत नासाज हो जाएगी ! पापा जी निर्विकार भाव से टीवी की ओर देखते रहते है। लाली ने काम पर आना बंद कर दिया है। माँ पर काम का बोझ बढ़ गया है। मैं भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हूँ! तुझे तो पता ही है, मैं रसोई के काम में बिलकुल अनाड़ी हूँ !

वैसे भी मैं अभी अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर काफी उदास हूँ। दरअसल इस लाॅकडाउन के कारण मेरी शादी भी पोस्टपोन हो गई है। शादी की तैयारी शुरू होने के पहले ही बंद हो गई ! दुःख तो होगा ही न !

और यह नामाकुल" विजय ", सारा दिन इंतज़ार करती रही, न तो काॅल आया और न ही मैसेज !

पहल करते हुए मैंने ही उसे मैसज भेजा--- कितना भी खराब रहे मेरा मुड तुम्हारा मैसेज आ जाये तो सब अच्छा लगता है ।

उसने मैसज भेजा--बातें कर लिया करो अपनों से

अपना खयाल रखना- --- Good Night.

चैटिंग का पूरा मुड ही बिगड़ गया। उसी समय काॅलबेल की घंटी बज उठी !

कौन हो सकता है इतनी रात ? माँ ने दरवाज़ा खोला, बगल के फ्लैट में रहने वाली डाक्टर विपाशा थी। कुछ पूछने से पहले ही उसने कहा, "आटीं जी, प्लीज बिट्टी को रख ले ! डाक्टर साहब आने ही वाले हैं, आते साथ ही बिट्टी अपने पापा के पास जाना चाहती है ! डा. साहब तो एक कमरे में बंद हो जाते हैं, बच्ची रोते रहती है, इसे संभालना मुश्किल हो जाता है।" जा बिट्टी बुआ के पास चली जा। तुम अपना ख्याल रखना। बिट्टी के लिए परेशान न हो, इसे लिसा संभाल लेगी। दरअसल बिट्टी डाक्टर नवीन और डेंटिस्ट पत्नी की पाँच वर्षीय इकलौती बेटी है। बिट्टी मुझसे काफी घनिष्ठ है।

बिट्टी ने दौड़ कर पहले अपना हाथ धोया, फिर मेरे पास आकर लेट गई। वह काफी गंभीर लग रही थी। बुआ क्या लिख रही हो?

मैंने मुस्कराते हुए कहा ,डायरी। उसमें क्या "कोरोना दानव "की कहानी लिख रही हो?

हाँ ऽ ऽ, तुम्हें कैसे पता??

जवाब न देते हुए बिट्टी ने मुझसे फिर पूछा !

बताओ तो दानव को कौन मारेगा ? चुकी कल राम नवमी है, इसलिए मैंने कह दिया "भगवान राम।"

नहीं, मेरे डाक्टर पापा ! वह दवा से दानव को मार डालेंगे!

मैं पापा को दवा बनाने में तंग करती हूँ न ! इसलिए मम्मी ने मुझे तुम्हारे पास भगा दिया है !

एक बार पापा उस दानव को मार दे, फिर मम्मी मुझे बुला लेंगी !

मैं अवाक होकर उसे सुन रही थी ! बेचारी इस छोटी सी बच्ची के दिमाग में न जाने क्या कुछ चल रहा था ! मगर उसने कहा तो सच ही था !

सारा शहर है जिसकी शरण में, मेरा नमन है उस डाक्टर के चरण में।

बिट्टी तू सो जा ,कल फिर बातें होंगी, मैंने बिट्टी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

मैंने वट्स अप चेक किया, विजय अभी तक आनलाइन ही था। मैं उलझन में पड़ गई ! किससे चैटिंग कर रहा होगा ?

जिन्दगी ख़्वाब देखती है मगर, जिन्दगी, जिन्दगी है ख़्वाब नहीं ।

मकबुल नक्श के शेर सोचते हुए मैं भी सोने की तैयारी करने लगी, क्योंकि इम्यूनिटी के लिए नींद भी तो जरूरी है।

प्रिय डायरी, क्या तू बता सकती है, सब कुछ सामान्य कब होगा??

डायरी मुस्करा पड़ी, सो जाओ ! कल सोचेंगे ! !



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