उजड़ा हुआ दयार -श्रृंखला (29)
उजड़ा हुआ दयार -श्रृंखला (29)
कहानी हो, कविता हो या उपन्यास उनके पात्रों की यात्रा या तात्कालिक परिस्थितियां तो विराम ले लिया करती हैं लेकिन क्या उस कहानी, कविता या उपन्यास के मूल तत्व की यात्राएं पूरी मानी जानी चाहिए ?......यह एक गंभीर प्रश्न है। गंभीर इसलिए क्योंकि जब तक मानव समाज है , उसकी दिनचर्या है , उसके सुख - दुःख, राग- विराग , प्रेम - घृणा , मित्रता और शत्रुता है तब तक भला कोई कहानी , कोई कविता या कोई उपन्यास यहाँ तक कि मानव लिखित पुराण भी विश्राम ले सकते हैं क्या ?
उजडा़ हुआ दयार के मुख्य पात्र समीर की कहानी का कोई अंत करना चाहे तो भी कर नहीं सकता है , मैं भी नहीं ,... आप भी नहीं ....वे भी नहीं ...बूकर या नोबल पुरस्कार पाने वाले लोग भी नहीं क्योंकि एक समीर हो, एक मीरा हो, या एक पुष्पा हों तो बात भी बनें ...यहाँ तो इस धरती पर और दूसरे ग्रहों पर ना जाने कितने - कितने लोग इसी नामधारी के होंगे..उनके सुख दुःख होंगे , उनकी पीडाएं होंगी और उनके किस्से होंगे !
अब समीर के दोस्त राहुल को ही ले लिया जाय। उसकी पत्नी पिंकी उसके सम्पर्क में विवाह से पूर्व ही आ गई थी। उन्होंने साथ -साथ अपने कालेज की पढ़ाई पूरी कर ली थी और यह भी सुखद संयोग रहा कि उनकी जाब भी एक ही कम्पनी में लग गई। उनका इश्क तो हुआ ही विवाह भी हो गया। दोनों के परिवार वालों को कोई आपत्ति नहीं हुई थी। लेकिन प्रकृति का नियम है कि जो जितनी तेज़ी से जुड़ता है उसके उतनी ही तेज़ी से टूटने का खतरा भी बना रहता है। कुछ साल तो उनकी खूब पटी और फिर उनके जीवन में जहां तीसरे ने इंट्री ली बस उनके बीच में दरार बननी शुरू हो गई।
उन दिनों पिंकी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था ..इससे बेहतर कोई गिफ्ट भला और क्या हो सकता था राहुल के लिए ! लेकिन हास्पिटल से ही उस तीसरे की यानी खलनायक की इंट्री उन दोनों के जीवन में हो गई थी। साथ का ही पढ़ा हुआ था वह और उसका नाम था आलोक। आलोक अपनी पढाई पूरी करके विदेश चला गया था और जब वह लौटा तो उसने एक गेट टू गेदर अपने यहाँ रख लिया था। उसी का निमन्त्रण देने वह हास्पिटल में चला गया था जहां उसकी मुलाक़ात पिंकी से हो गई। नजरें चार हुईं और बस ! सिलसिला चल पड़ा मिलने जुलने का। कभी बच्चे के गिफ्ट के बहाने तो कभी एनिवर्सरी के बहाने|मछुआरे ने जाल बिछा दिया था यह सोचकर कि मछली फंसेगी ही!
भला हो राहुल का कि उसे इस बात की भनक लग गई और उसने काउंटर कोशिशें भी शुरू कर दी थीं। महीनों बाद उसने आलोक की बदनीयत पर पिंकी को आगाह किया तो पिंकी को भी इस बात का एहसास हुआ कि उन दोनों के जीवन में यह "तीसरा"आदमी घुसना चाह रहा है जो उनके दाम्पत्य जीवन को तहस नहस कर डालेगा।
पिंकी समझदार थी और कुलीन भी। उसने आहिस्ता आहिस्ता अपने दाम्पत्य जीवन के इस पत्थर को हटाना शुरू कर दिया था ..........और बस ! आज राहुल और पिंकी के बीच पहले जैसी ही बांडिंग हो गई है।
...और अब तो पिंकी पेट से भी है ! यानि कि उनके दाम्पत्य जीवन में तीसरे की इन्ट्री होनेवाली है लेकिन इस बार तोड़ने के लिए नहीं बल्कि जोड़ने के लिए....
{क्रमशः}