उड़ता बेताल
उड़ता बेताल
"अरे ओ बेताल चलो कैंटीन चलें।"
"हां विक्रम!! क्यों नहीं अभी चलते हैं"
प्रिया को आकाश अक्सर बेताल कहता है तो प्रिया उसको विक्रम कहकर चिढ़ाती हैं और ग्रुप के सभी साथी बहुत मजा लेते हैं।
कैंटीन में चाय पीते हुए राहुल बोला, "तुम रोज विक्रम बेताल करते रहते हो एक दूसरे को तो कभी कोई कहानी भी सुना दिया करो हम सबको।"
"हां यार और क्या तब आएगी विक्रम बेताल वाली फीलिंग......." निशा बोली।
"अच्छा ठीक है तो तुम लोगों को मेरे सवाल का जवाब देना होगा कहानी के बाद......." विक्रम बोला मतलब आकाश बोला।
"हां हां जवाब दे देंगे इसमें कौन सी बड़ी बात है......."- सब लोगों ने एक साथ कहा।
आकाश ने सोचा ये अच्छा मौका है वह कोई कहानी सुना कर अपने दिल की बात भी कह देगा कि उसको प्रिया से प्रेम है। अच्छा बहाना मिल गया इजहार करने का उसने सोचा।
आकाश ने कहानी सुनाना शुरू कर दिया...
एक लड़की थी बहुत प्यारी सुंदर उसको एक लड़का बहुत पसंद करता था लेकिन डरता था कुछ भी कहने से क्योंकि अक्सर उस लड़की के नाखून बहुत बड़े हो जाते दांत बाहर निकल आते हैं और वह खून पीने को तैयार हो जाती कभी लड़के को डर लगता कि कहीं उसकी बात सुनकर उसको गुस्सा आ जाए और वो यही राक्षसी रूप धारण कर ले तो क्या होगा।
लड़का हर रोज सोचता कि लड़की को प्रपोज करने की हिम्मत कहां से लाऊं।
अब सवाल यह है आकाश अपना सवाल बोलता उससे पहले ही बाकी लोग बोले, "अब सवाल यह करोगे कि लड़की के नाखून और दांत कब बड़े हो जाते थे।"
राहुल बोला। , "तो सुनो हमारा जवाब, वह जब अपने आसपास कोई असामाजिक तत्व देखती होगी तभी उसके नाखून और दांत बड़े हो जाते थे और राक्षसी रूप धारण कर लेती होगी......"
आकाश का सवाल तो मन में ही रह गया वह कुछ और पूछना चाहता था।
प्रिया आकाश की बात समझ गई थी और बोली, "देखो विक्रम ने कहानी सुना दी और सवाल भी किया जवाब भी मिला अब बेताल को उड़ जाना चाहिए।"
कहकर प्रिय कैंटीन से बाहर चली गई और सब लोग जोरदार हंस पड़े।