Sarita Kumar

Tragedy

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Sarita Kumar

Tragedy

त्याग एक बच्चे का

त्याग एक बच्चे का

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सुना है बहुत त्याग और बलिदान की कथा , माता-पिता की व्यथा अपनी ही संतान की परवरिश में खर्च किए अपने तन , मन और धन का लेखा-जोखा । सबने सुना होगा कुछ उन माता-पिता की जुबानी और किसी और की कहानी । 

उलाहने , शिकवे , शिकायत और नाराजगी । बदलते वक्त , पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति की बुराई । इन तमाम बातों के बाद मैंने कुछ और भी देखा है । एक युवा बच्चें के चेहरे पर चिंता अपने माता-पिता के लिए , एक फिक्र अपनी ब्याही बहन के लिए और परवाह अपनी अनुजा के लिए । मैंने देखा है उसके चश्मे का टूटा हुआ शिशा और नोज पैड पर फेविक्विक से जोड़े गए का निशान । टैबलेट का चिंदी चिंदी हुआ कवर , मोबाइल के स्क्रीन गार्ड पर आरी तिरछी लकीरें । घिसे हुए स्लीपर और बनियान में चांद तारों जैसे छेद । किचन में जहां रहते थें बेशुमार चिप्स, बिस्कुट और चॉकलेट्स वहां रहने लगे हैं दलिया और कॉर्नफ्लेक्स । कोल्डड्रिंक्स की अनगिनत बोतलें तो लापता हो गयी हैं बस एक दो लेमन सोडा दिखाई दे रही हैं । 

देखा जरा मोबाइल तो लगा एक झटका । मेल थें कुछ ईएमआई के थोड़े नहीं बहुत लम्बे थें -

पापा की स्कूटी , मां का टैबलेट , मासी का रेफ्रिजरेटर, बहनों और एक भाई के लिए भी कुछ , घर के लिए गीज़र । 

इसके बाद एक बकेट लिस्ट भी तैयार है और उसमें भी अपने लिए सिर्फ एक दो कमरे का फ्लैट बस बाकी सोलह सत्तरह चीजें घर वालों के लिए ही ................।

यह बात खुशी से ज्यादा चिंताजनक है और उन माता-पिता के लिए सबक है जो अपने किए का ढिंढोरा पीटते रहते हैं और अपने ही त्याग और बलिदान की कथा सुना सुनाकर बच्चों के कोमल मन को घायल करते रहते हैं । आप जब माता-पिता बनें तब यह फैसला आपका था न की उस अजन्मे बच्चें का और जब आपके अपने फैसले का नतीजा आपका बच्चा आपकी दुनिया में आया है तो उसके लालन-पालन , परवरिश और देखभाल की जिम्मेदारी किसकी होगी ? अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह आप अगर अच्छे से करते हैं तो यह आपका नैतिक , धार्मिक और सामाजिक कर्तव्य है ना की आपके बच्चे पर आपका कोई एहसान । एहसान तो आपकी संतान का होगा आप पर जब वो एक जिम्मेदार नागरिक बन कर परिवार और समाज में आपका नाम ऊंचा किया है । अपने संतान की कद्र कीजिए । उसने जो आपको दिया है उसे याद रखिए और कभी फुर्सत मिलें तो देखिए उसके क्रेडिट कार्ड का स्टेटस , बैंक बैलेंस और उससे दोस्तों के तरह पूछिए हाल । अभी उससे संतुष्ट नहीं हैं आप तो सोचिए अगर उसे खो दिया तो कैसे सहेंगे आप ? दूसरे से सुनी सुनाई बातों पर अपने बच्चों के लिए कोई धारना मत बनाई । अपनी सूझबूझ से आंकलन कीजिए । दुनिया भर की दौलत लुटा कर भी आप अपनी खोई हुई संतान हासिल नहीं कर सकते । समय रहते संभल जाइए । बंद कीजिए कोसना अपनी संतान को देखिए उसके आंखों में झांक कर अभी भी वही मासूमियत वही भोलापन और वही प्यार दिखाई देगा आपके लिए!


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