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Sarita Kumar

Inspirational

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Sarita Kumar

Inspirational

वट सावित्री पूजा "दिल्ली वाली बहू "की

वट सावित्री पूजा "दिल्ली वाली बहू "की

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कृतिका दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा है। बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी मेधावी छात्रा है। सिर्फ पढ़ाई-लिखाई में ही नहीं खेल कूद, डांस, स्विमिंग, पैरासेलिंग, रंगोली या राखी मेकिंग हो या हाथों में मेहँदी रचना हो हर क्षेत्र में विशिष्टता हासिल है सार्टिफिकेट, मैडल और कप से भरा हुआ है आलमीरा। एन.सी . सी में भी 'सी' सार्टिफिकेट 'बी ग्रेड' का लिया था। अपने स्कूल को भी ट्राफी दिलवा कर गौरवान्वित किया था। चार पांच विषयों में डिस्टिंक्शन लानी वाली जिनियस बेटी पापा को बहुत प्रिय थी वो उसके उज्ज्वल भविष्य का सपना देखते रहें। चुकी वो आर्मी फेमिली में पली बढ़ी थी तो उसका आकर्षण आर्मी में हो गया लेकिन उसके पापा को नागवार गुजरा। सी डी एस क्लियर करने के बाद भी उसे इजाजत नहीं मिली और तभी एक हादसा हो गया जिसमें मां बहुत ज्यादा ज़ख्मी हो गई। देश विदेश में बहुत इलाज कराया गया लेकिन सभी जगहों से निराशा मिली। पंडित और ज्योतिषों ने भी उनकी मृत्यु की एक मियाद तय कर दी। घर में वज्रपात हुआ। 

कृतिका बहुत उदास हो गई क्योंकि सिर्फ उसकी मां ही उसका साथ दे सकती थी और अब वही नहीं रहेगी। परिजनों ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी करनी चाही और इसीलिए आनन फानन में पड़ोसी के घर आए मेहमान से शादी की बात चलाई और पक्की हो गई।

कृतिका के पापा कुपवाड़ा बार्डर पर तैनात थे। फोन पर ही सारी बातचीत हुई।‌ 25 नवंबर 2015 का मुहूर्त निकला। फरीदाबाद का सबसे बढ़िया फार्म हाउस बुक हुआ और खूब धूमधाम से इंगेजमेंट हुआ। ढाई लाख रुपए खर्च हो गए। लड़का के लिए तनिष्क से सोने की अंगूठी खरीदी गई थी लेकिन जब पता चला लड़का वालों ने बहू के लिए डायमंड रिंग खरीदा है तो आखिरी में लड़का के लिए भी डायमंड रिंग खरीदा गया। 

फार्म हाउस में यह पहली मुलाकात हो रही थी कुमार परिवार और वर्मा परिवार के बीच कोई किसी को पहचानता नहीं था खैर .... बहुत अच्छे से सब कुछ सम्पन्न हुआ। कृतिका के परिवार वालों ने जिस तरह उत्तम प्रबंध किया था वर्मा परिवार बहुत प्रसन्न और संतुष्ट हुए। एक दो घंटे में ही सब लोग इस तरह घुल-मिल गए जैसे बरसों से पहचान थी। कृतिका की मां बहुत खुश थी और मिसेज वर्मा ने उनसे गले मिलकर जो खुशी दी थी वो बड़ा ही अप्रत्याशित और अनमोल थी। उन्होंने कहा कृतिका मेरी बहुरानी और चंदा मेरी बेटी हो गई आप बिल्कुल निश्चिंत होकर रहिए अब दोनों परिवार एक हो गया है मैं सभी को संभाल लूंगी। आप तो बस मेजर साहब के साथ घूमते रहिए। हंसते मुस्कुराते और खिल खिलाते रहिए .... इस बात पर जोरदार ठहाका लगाया था। सब लोग मिसेज कुमार को हैरानी से देखने लगे .... कौन कह सकता है कि चंद रोज मेहमान हैं ..। जितने लोग आए हैं कोई भी बहुत खुश नहीं है। 21 साल की बच्ची और बहुत मेधावी छात्र जिस पर सभी ने बहुत उम्मीदें लगाई थीं। इस बच्ची का भविष्य खराब हो रहा था दिल्ली की बच्ची बिहार जा रही थी। मेजर साहब भी भारी मन से सब कुछ कर रहे थे। लेकिन वर्मा परिवार से मिलकर उन्हें बहुत तसल्ली हुई सभ्य शिष्ट शिक्षित और सुसंस्कृत लोग थे। सारी रस्में बहुत अच्छे से निभाई गई। बैठ कर सब बातें कर रहें थे तो मिसेज वर्मा ने कहा कि बातें खत्म कीजिए मेरी बहुरानी का कल पेपर है उसे घर जाने दीजिए। हम बड़े लोग कल फिर मिल कर बातें करेंगे। 

शादी के तीन साल होने को थे कृतिका मां बनने वाली थी दोनों परिवार बहुत खुशहाल थे। समय से पहले ही कृतिका को तकलीफ़ शुरू हो गई जांच के बाद पता चला बच्चे के गले में कॉड फंस गया है सर्जरी करवानी होगी नहीं तो दोनों को खतरा होगा। 3 जून 2019 का दिन था इत्तफाकन उस दिन वट सावित्री का व्रत था। परिवार के सभी लोग के प्राण सुख रहे थे। बड़ी मुश्किल से सभी ने हिम्मत जुटाई हाॅस्पिटल जाने की तैयारी की और कृतिका ने पूजा का सारा सामान पैक किया फल, मिठाई , पंखा , दुल्हा दुल्हन सब कुछ समेट कर कार में बैठी और कुछ दूर निकलने के बाद कार रूकवाया। उतर कर विधिवत वट वृक्ष का पूजन किया फेरे लिए पेड़ का एक पत्ता तोड़ कर अपने जुड़े में खोसा पंखा डोला कर रस्म पूरी की उसके बाद हॉस्पिटल पहुंच कर ओटी में गयी। 12 बजे सुंदर सी प्यारी सी पंखुड़ी को जन्म दिया। मिस्टर वर्मा खुशी के मारे हजारों रुपए की मिठाई बंटवाई, नर्स और बाकी सभी को बख्शीश दिया और शाम को बच्ची के लिए ढेरों सामान झूला और पालना भी पूरे हॉस्पिटल में चर्चा फैल गई और दूसरे दिन हॉस्पिटल के मालिक ने कहा यहां लगभग पांच हजार बच्चे पैदा हो चुके हैं लेकिन ऐसा पापा मैंने नहीं देखा। इस हॉस्पिटल से बेस्ट पापा की उपाधि लेकर जाएंगे आप। कृतिका बहुत खुश हुई अपनी मां से कहा तुम्हारा फैसला सही था और मेरा तुम पर यकीन सही था तभी कृतिका के जेठ जेठानी ननद और लोगों ने कहा की हमारी दिल्ली वाली बहुरानी सबसे सही है। हर जगह नंबर वन रही। सर्जरी के नाम से अच्छे अच्छों के हाथ पांव फूल जाते हैं और यह बहादुर बहुरानी ऐसे में भी हमारे घर की रीति रिवाज, परम्परा को शिद्दत से निभाई। 22 टोला के गांव में ऐसी संस्कारी, शिक्षित, सुशील और आदर्श बहुरानी नहीं है।


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