Sarita Kumar

Inspirational

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Sarita Kumar

Inspirational

नायिका

नायिका

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202


छः महीने का वक्त मिला था लेकिन पांचवें महीने में ही इशिता से साबित कर दिया कि वो हार नहीं सकती। आत्मविश्वास से परिपूर्ण अदम्य साहस का परिचय दिया है। सही कहते हैं बुजुर्ग लोग की "पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।" मुझे याद आया काबुल लाइन का वह बचपन प्ले स्कूल जिसमें इशिता का पहली बार एडमिशन हुआ था और तीन चार दिन बाद ही उसने स्कूल जाने से मना कर दिया था इस तर्क के साथ कि स्कूल की टीचर को कुछ नहीं आता है तो वो मुझे कैसे पढ़ाएंगी ? हम सब सन्न रह गये तीन साल की बच्ची एक टीचर पर इल्ज़ाम लगा रही है ? मैंने बड़े आराम से पूछा कि तुम्हें ऐसा क्यों लगा ? तो उसने कहा की मैं जब स्कर्ट टॉप पहन कर जाती हूं और वहां जाकर रोती हूं तब वो कहती हैं कि तुम तो रोता रहता है रोता रहता है और पूरे टाइम रोता ही रहता है। जबकि मैं तो रोती रहती हूं क्योंकि मैं लड़की हूं। यह सुनकर बाकी लोग हंस पड़े लेकिन मैं गंभीर हो गई मुझे समझ में आने लगा की यह कोई साधारण बच्ची नहीं है। वास्तव में इशिता आम बच्चों से अधिक चंचल और अधिक प्रतिभावान थी। दुनिया के तमाम बच्चें पैदा होने के बाद संघर्ष करते हैं और इशिता तो पैदा होने के लिए भी अनवरत संघर्ष करती रही। पता नहीं ईश्वर ने ऐसा क्या खास इसके लिए सोचा था कि ऐसी हैरतअंगेज घटना घटी। पांच महीने के बच्ची अल्ट्रासाउंड मशीन में दिखाई नहीं देती थी। मैं इसका घूमना ऊपर नीचे होना भली-भांति महसूस करती थी मगर डॉ तो रिपोर्ट देखते हैं। और रिपोर्ट में बच्चा नहीं उन्हें ट्यूमर दिखाई देता था। कर्नल रूद्र प्रताप सिंह जो की काफी अनुभवी और उम्र दराज डॉ थे मगर उन्हें मेरी बच्ची दिखाई नहीं देती थी वो भला हो उस नंदिता सिस्टर का जिसने दूसरे मशीन पर अल्ट्रासाउंड किया और दिखाया मुझे। अभी तक मेरी आंखों में वो दृश्य कैद है‌। हाथ पांव मारती हूं चंचल सी बच्ची जिसके सर में बाल भी उग आएं थे और उसकी धड़कन की धक धक अभी तक कानों में गूंजती है। छठे महीने में ही कर्नल रूद्र साहब की पोस्टिंग आ गई वो चले गए तब मेजर संजय सिंह आएं और उन्होंने सही से जांच की तब जाकर 30 मई 2000 शाम के 5 बजे मेरी दुनिया में अवतरित हुई। बहुत कठिन दौर था हमारे जीवन का वैसे संकट में श्री कृष्ण की तरह अवतार लेकर हमारे सभी समस्याओं का अंत किया था। अपने पापा का प्रमोशन करवाया और मुझे मुक्ति दिलाई। यूं तो हमारी तीसरी संतान हुई मगर जश्न ऐसा मनाया गया दावत ऐसी की मानो पहली संतान बहुत मिन्नतों के बाद पैदा हुई हो। सोना ही सोना बांटा था बुआ लोगों को। सभी हैरान हो रहे थे कि हमारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है जो दोनों हाथों से दौलत लुटा रहें हैं लेकिन हमने परवाह नहीं की। वास्तव में हमें इस संतान के सकुशल पैदा होने की बेइंतहा खुशी थी।

हम सभी के लिए आज का दिन भी बेहद खुशी का है। इशिता को सिर्फ नौकरी ही नहीं मिली है बल्कि पिछली तनख्वाह से बढ़कर पैकेज मिला है ‌। उसका मेल दो तीन बार पढ़ने के बाद ही मुझे तसल्ली हुई। बैंगलोर छोड़ने से पहले मैंने कहा था कि सिर्फ छः महीने का मोहलत दे रही हूं इसके बाद तुम्हें मेरी शर्तों पर चलना होगा। तब इशिता से झुक कर पांव छुए थे और कहा था बड़े शांत स्वर में कि "मां तुम्हारे विश्वास की जीत होगी , जो तुम्हारे दिल में है वह होकर रहेगा।" यह सुनकर मैं भीतर तक सहम गई थी क्योंकि मेरे मन में जो चल रहा था वह तो इशिता के खिलाफ था। और उस बच्ची के मन में मेरे प्रति कैसा अटूट विश्वास था कि मैं उसके पक्ष में सोच रही हूं ...? मुझे खुद पर गुस्सा आया और घृणा के भाव पनपने लगे। मैं कैसी मां हूं कि अपनी ही बच्ची के सुनहरे सपने छीन कर समय से पहले ही अनचाही विवाह बंधन में बांधना चाहती हूं। पहले भी एक प्रतिभाशाली मेधावी छात्र का जीवन खराब कर चुकी हूं। एस एस बी क्लियर करने के बाद उसे सेना में भेजने के बजाय विवाह बंधन में बांध दिया था उसकी क़िस्मत अच्छी निकली जो अच्छा जीवनसाथी मिला और उसे पलकों पर बिठाया है इसलिए उसका जीवन खुशहाल है वरना न जाने क्या होता। अगर कोई साधारण सा आम पुरुष होता तो जिंदगी इतनी हसीन नहीं होती उसकी। शायद भोले शंकर का विशेष आशीर्वाद का प्रतिफल है क्योंकि बचपन से भोले शंकर की पूजा और निर्जला व्रत करती थी। मुझसे अच्छा तो एक अजनबी निकला जिसने इशिता के टैलेंट और उसके आत्मविश्वास पर भरोसा किया और मुझे यकीन दिलाया की छः महीने से पहले ही इशिता साबित करके दिखा देगी। एक बार भरोसा करके देखो। मैंने इशिता से अधिक उस अजनबी इंसान पर भरोसा किया और उसे छोड़कर आई थी। जब मुझे इशिता का कन्फर्मेशन लेटर मिला तो सबसे पहले मैंने उस अजनबी को ही बताया। भगवान को प्रसाद चढ़ाया। 

मुझे याद आया वो दिन जब डॉ ने रिपोर्ट देखकर कहा था कि "सॉरी टू से बट सी इज नॉट एबल टू फ्लाई।" जेद्दा वाले एक्सिडेंट की वजह से उसके पांव में जो चोट लगी थी उसके वजह से अब खड़ी होकर नहीं रह सकती है। तीन महीने के बेडरेस्ट के बाद का रिपोर्ट हम सभी को दहला दिया था। बेडरेस्ट के दौरान हमने खूब अच्छी देखभाल की थी। ताकी जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाए और फिर से ड्यूटी ज्वाइन कर लें। ऐसे में डॉक्टर का ये कहना .... इशिता का मुझे पता नहीं लेकिन मुझे चक्कर आ गया और बेहोशी की हालत में चार घंटे तक पड़ी रही थी। मुझे याद है जब मुझे होश आया तब इशिता ने मुझे चाय पिलाई और कहा था चलों ना मम्मा कहीं घूमने चलते हैं। मैं हैरानी से उसे देखती रही थी कुछ बोल न सकी। उसने मेरे ड्रेस निकाला कैब बुक की और आधे घंटे में हम निकल पड़े। उसने कैब वाले से कहा हिन्दी पुराने गाने प्ले करो। लगभग एक घंटे का सफ़र तय करके हम सीटी मॉल पहुंचे। बेमतलब की ढ़ेर सारी शॉपिंग की फिर वंदना रेस्टोरेंट के पास गाड़ी रूकवाया। हम तीनों रेस्टोरेंट में दाखिल हुए। अक्सर हम वहीं जाया करते थे खाना के अलावा वहां की सर्विस बहुत अच्छी थी। खाने के बाद आइसक्रीम का आर्डर किया वेटर ने एक रिक्वेस्ट की थी। मैम इस बार मैं अपनी पसंद का आइसक्रीम सर्व करना चाहता हूं उसके बाद जो दिखाया हम बेतहाशा हंस पड़े और वेटर झेंप गया। खैर .... आइसक्रीम जब आया तो वाकई लाजवाब था। मैंने खाने से पहले दो तीन फोटो क्लिक की। हंसी रूक ही नहीं रही थी। वेटर भाग खड़ा हुआ था। इशिता मुझे हंसते हुए देखकर राहत महसूस कर रही थी। उसने भाई बहनों को मैसेज किया और हम तीनों की तस्वीरें भी भेजी। लौटते समय उसने गजरा भी लिया और कुल्फी भी। घर पहुंच कर मैं फिर चिंतित हो गयी थी। इशिता ने कहा मम्मा एक एक्सिडेंट मुझे रोक नहीं सकता उड़ने से तुम बिल्कुल चिंता मत करों। मैं तब तक नहीं हारूगीं जब तक मैं अपनी हार स्वीकार न लूं और तुम्हें बता दूं कि मैंने अपनी हार नहीं स्वीकारी है। "मैं पापा की बेटी हूं एक जांबाज सैनिक की बेटी हूं मुझे आगे से आगे बढ़ते ही जाना है। जहां रास्ते नहीं होते हम वहां भी पहुंच सकते हैं। मैंने स्काउट एंड गाइड्स के कैंप में सीखा है और टाइकांडो में अपने से दोगुना वजन वाले को भी परास्त करना सीखा है। इतने सालों से जो कुछ पढ़ा लिखा और सीखा समझा है उस पर अमल करने की जरूरत है वेट एंड वाच।" उसकी बातों में गजब का आत्मविश्वास था। मुझे खुद पर गर्व महसूस हुआ इशिता की मां होने पर। 

इशिता एक बहादुर , साहसी और पूर्ण आत्मविश्वासी लड़की है यह तो मानना ही पड़ेगा। तीन महीने के इस बेडरेस्ट में भी इसने जॉब किया एक न्यूज चैनल पर एंकरिंग का काम किया। बेड पर ही बैठ कर विडियो रिकॉर्डिंग करती और न्यूज चैनल पर भेजती रही। तीन महीने बाद जब रिपोर्ट आता है तब हताश और निराश होने के बजाय दोगुनी उत्साह से भींड गई चार पांच जगह इंटरव्यू दिया सेलेक्ट भी हो गई लेकिन एक अड़चन आ जाता की चार लाख से कम पर ज्वॉइन नहीं कर सकती थी और चार लाख से अधिक कोई दे नहीं सकता था। कोरोना काल में पूरा विश्व मंदी के मार से त्रस्त था ऐसे में हो ही क्या सकता था। इत्तेफाक से बड़े अच्छे अच्छे रिश्ते आने लगे थे। मैंने सोचा अच्छा अवसर मिल रहा है शादी करके अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाऊंगी। ज़ेवर कपड़े और नये नये भौतिक उपकरणों के चकाचौंध में कुछ दिन बीत जाएंगे फिर साथ में रहते रहते प्यार तो हो ही जाएगा बस जिंदगी खुशहाल हो जाएगी। मगर इशिता को यह मंजूर नहीं था उसके कुछ अपने सपने थें जिसे वो अपने पैरों पर खड़े होकर पूरी करना चाहती थी। उसे उजाला दिख रहा था और मुझे घुप अंधेरा इसलिए मैं विचलित होकर। तरह-तरह के षड्यंत्र रच कर उसे दिल्ली लाकर शादी कर देना चाहती थी। ऐसे मुश्किल पलों में उसके पिता ने सही भूमिका निभाई। उस पर भरोसा किया और मुझे चुप करा दिया और मेरे बचपन के मित्र भी इशिता के फेवर में चले गए। मैं बहुत गुस्सा क्षोभ और तकलीफ़ में लौटी थी। मन में सोचा था चलो छः महीने बाद तो हार मान ही लेगी बस इतने दिन चुप रह जाती हूं। आज मैं हार गयी लेकिन सबसे अधिक खुश मैं ही हुई अपनी हार पर और इशिता की जीत पर। उसके पापा बहुत खुश हुए और दो किलो काजू रोल मंगवाया 2800 रूपए का। सभी रिश्तेदारों में बांटा गया। कन्फर्मेशन लेटर के बिना किसी भी रिश्तेदार को जॉब के बारे में बताना उचित नहीं लगा था इसलिए किसी को नहीं बताया गया था। 

खुश होकर भी मन पर एक बोझ था जिसे हल्का करने को बेचैन हो रही थी। अन्ततः इशिता को फोन लगाकर बता दिया कि तुम्हारी इस सफलता का श्रेय तुम्हारे पापा को और उसके बाद केपी सर को जाता है क्योंकि इन दो लोगों ने ही तुम पर भरोसा किया और सच्चे मन से तुम्हारे साथ खड़े रहें। मैं तो तुम्हारे खिलाफ षड्यंत्र रच रही थी। मुझे यकीन नहीं था कि इस कोरोना काल में जब बाकियों की नौकरी जा रही तब तुम्हें कहां से मिल जाएगी ? मुझे जरा सा भी भरोसा नहीं था। चुपचाप मेरी सारी बातें सुनने के बाद इशिता ने कहा कि "तुम्हें दुनिया की हालत देखकर सही लगा था तुम गलत नहीं थी लेकिन वैसे कठिन वक्त पर तुमने जो एक बात कही थी बस मैंने उस बात का मान रख लिया इसलिए मैं बहुत खुश हूं और मेरी इस खुशी की वजह सिर्फ तुम हो सिर्फ तुम ...।" 

तब मैंने कहा था तुम नायिका हो इसलिए हर हाल में तुम्हें सफल होना ही था। और हम दोनों मां बेटी हंस पड़े थे। 

सचमुच नायिका ही तो है बचपन से लेकर अब तक का जीवन किसी फिल्मी नायिका की तरह ही तो है। 18 वर्ष की उम्र में पहला इंटरव्यू के पहले राउंड में सेलेक्ट होती है 200 छात्रों में मात्र एक इशिता सेलेक्ट होती है स्पाइसजेट एयरलाइंस में एयरहोस्टेस के लिए और ट्रेनिंग के दौरान सबसे कम उम्र की होने के बावजूद ग्रुप लीडर बनाई जाती है। हर क्षेत्र में अव्वल दर्जा हासिल करती है। जॉब ज्वाइन करती है और पहले वर्ष में ही विदेश जाने के चयनित हो जाती है। अपनी ड्यूटी इतने अच्छे से करती है कि दो सौ से अधिक एप्रिसिएशन लेटर मेल से आता है। कुछ बुजुर्गों को सफ़र के दौरान विशेष ख्याल रखे जाने पर ढेरों आशीर्वाद के साथ बेटी का रिश्ता भी मिलता है। एक वृद्ध महिला और उनकी पोती को भुख लगी थी खाना आर्डर किया लेकिन उनका कार्ड काम नहीं कर रहा था और उनके पास पैसे नहीं थे तब इशिता ने अपने कार्ड से पेमेंट करके खाना खिलाया। उस मुसाफिर ने मुम्बई पहुंच कर मेल किया। जिसमे लिखा था "अपनी लक्ष्मी बेटी को लक्ष्मी पूजा के अवसर पर 1001 रूपए भेंट देना चाहती हूं। " दो चार और भी ऐसे मेल आए थे। 

अब मेरी राय बदल गई है। इशिता को विवाह बंधन में बांधने की कभी कोशिश नहीं करूंगी। उसके सपनों का आकाश मिल गया है उसे स्वछंद होकर उड़ान भरने दूंगी जब उसे थकान महसूस होगी तब उसके गृहप्रवेश का प्रबंध करूंगी। आखिर वो नायिका है तो कुछ स्पेशल तो होना ही चाहिए।


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