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Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

3  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-3

Twilight Killer Chapter-3

11 mins
217

जय की बीवी आसुना का उसके साथ मर्डर्स में मिले होने की बात सामने आते ही लोगों का गुस्सा जय की जगह आसुना पर शिफ्ट(Shift) हो गया। जब आसुना को उसके घर से CBI लेकर जा रही थी तब वैसे भी आसुना को कोई भी उम्मीद नहीं थी कि कोई उसकी मदद करने की कोशिश करेगा या उसे तसल्ली देने की कोशिश करेगा पर उसने जो देखा उस दृश्य न उसे दुनिया का असली चेहरा दिखा दिया!

बाहर जो भीड़ लगी थी उसकी मंशा तो आसुना समझती थी पर उसके आस पड़ोस वाले लोग जिनसे जय का अच्छा रिश्ता था, जिनके घर आना जाना ज्यादा भले ही न हो पर बातचीत हमेशा होती रहती थी, आज वहीं लोग तिरछी नजरें किये हुए इतनी घृणा से आसुना की ओर देख रहे थे जैसे जय और आसुना ने हमेशा ही इन लोगों के साथ बुरा ही किया था। घृणा से उनके चेहरे सुकडे हुए थे, वो सब कुछ कह जरूर नहीं रहे थे पर आसुना को उनके मन में अपने और जय के खिलाफ गालियां सुनाई दे रहीं थी। आसुना के घर के पास ज्यादा घर थे नहीं पर जो लोग थोड़ी दूर भी रहते थे वो भी अपनी शक्ल उठाये हुए वहां आसुना की गिरफ्तारी देखने आये थे, कुछ दूरी पर जहां CBI की कार खड़ी हुई थी वहीं पर मीडिया-रिपोर्टर्स का तांता लगा हुआ था और आसुना को करीब आता है देख कर वो सभी अपने कैमरे लेकर तैयार हो गए। आसुना के हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी और एक महिला CBI अफसर जो कि 35 साल की लग रही थी, आसुना की बांह पकड़ कर उसे लेकर चल रही थी। उसके ठीक आगे राजन चल रहा था, उसके सफेद चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी। रिपोटर्स की भीड़ उमड़ पड़ी

“आसुना जी! सुना है कि आप ने अपने पति जय की कल रात के कत्लों में मदद की है? आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगी?” एक काफी जवान लड़की ने आसुना के पास आकर जल्दी से पूछा

“क्या आपके पति का मानसिक संतुलन हिला हुआ है?! कल रात को आपने कितने कत्ल किये?” एक अधेड़ उम्र के आदमी ने सवाल किया, उसका चेहरा गुस्से से लाल था

“इस से पहले और जय ने कितने लोगों को मारा है?”

“सुनने में आया है कि आप लोग अंडरवर्ल्ड से जुड़े हुए है?

क्या इसी कारण आपकी सच्चाई दुनिया से छुपी हुई थी?”

ऐसे और न जाने कितने सवाल गोली की बौछार की तरह आसुना पर छोड़े जा रहे थे, इनमें से ज्यादा का तो कोई भी तुक नहीं बनता था और ज्यादार तो जय को फसाने के लिए पूछे जा रहे थे कैमरे के फ़्लैश आसुना का दर्द और आंसुओं से भरे हुए चेहरे को अपने अंदर समाना चाहते थे ताकि दुनिया को यह बता सके कि आसुना अपने पति की हरकतों और अपनी गलतियों से कितनी परेशान है? जी उसे उम्मीद ही नहीं थी कि कोई उन्हें पकड़ पायेगा?...वे सभी एक झूठ को आसुना के चेहरे से सच में बदलना चाहते थे.......... पर आसुना ने उनके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया जैसे उसे फर्क ही न पड़ा हो, उसके चेहरे पर एक शांतिपूर्ण मुस्कान थी जो इस बात का सबोट थी कि उन रिपोर्टर्स के द्वारा पूछे गए सवालों का कोई तुक नहीं था। बिना जवाब दिए ही आसुना CBI की गाड़ी में बैठ कर निकल पड़ी।

यह सारा नजारा लाइव TV के माध्यम से हर जगह प्रचारित हो रहा था और अतुल भी इसे भी अपने थाने में बैठे हुए देख रहा था।

“अरे रे...बहुत बुरा हुआ सर, उसकी पत्नी की शक्ल से वो देवी लगती है और ये लोग है कि शक की बिनाह पर ही सीधे CBI को उसके ऊपर छोड़ दिया?” श्यामलाल की आवाज में अफसोस था

अतुल की कहानी सुनने के बाद पूरे थाने के लोगों को भरोसा हो गया था कि जय ने जो भी किया उसके पीछे कोई वजह जरूर होगी! पर उसकी पत्नी ने इस नहीं किया होगा और यह सब आसुना को फसाने की साजिश ही हो रही है, ऐसा सभी का मानना था। राजन की कुटिल मुस्कान ने अतुल की धड़कने तेज कर दीं..............वह अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और थाने से भर जाने लगा

“अरे सर कहाँ जा रहे है रुकिए मैं....!?”

“तुम वहीं रहो मैं अभी वापस आता हूँ, कहीं जा नहीं रहा हूँ श्यामलाल” बिना पीछे मुड़े ही वो भर चले गया।

उसने अपना स्मार्टफोन निकाला और अपने कांटेक्ट में से किसी को फ़ोन किया, उस फ़ोन के दौरान उसके चेहरे के भाव दृढ़ थे जैसे उसने कुछ करने का ठान लिया हो। कॉलर ट्यून में ‘यारा तेरी यारी संग सारी साथ हैsssssss...’ बज रहा था, कुछ ही पलों बाद अतुल का फ़ोन सफलतापूर्वक लग गया...

{हेलो......हां यार कहाँ पर है?....} अतुल ने फ़ोन लगते ही बात शुरू कर दी

{अच्छा मुंबई ही आ रहा है....कोई काम है क्या?...}

{नहीं यार आने से मना थोड़े ही कर रहा हूँ} अतुल ने हंसते हुए कहा, उसके चेहरे पर अलग सी खुशी थी {वो क्या है ना कि तू ठहरा बड़ा आदमी, तुझे दिल्ली से बाहर निकलने का समय ही नहीं मिलता तो तेरा यहाँ आना बहुत बड़ी बात है.....और अपने दोस्त के साथ समय बर्बाद करने तू आएगा नहीं...इसलिए पूछ रहा हूँ कि कोई काम है क्या?}

अतुल के दोस्त ने उसे कुछ बताया, शायद यहीं बता रहा था कि वो मुंबई क्यों आ रहा है? और उसकी बात पूरी होते ही तौल के चेहरे पर न सिर्फ खुशी छा गयी बल्कि उसका चेहरा ऐसे खिल गया जैसे उसके सर से कोई बड़ा भर उतर गया हो.....

{यह तो बहुत अच्छा हुआ..मैं भी तुझे इसलिए ही फ़ोन कर रहा था क्योंकि मुझे लग नहीं रहा था कि तेरे अलावा कोई और मेरी मदद कर पायेगा} अतुल की आवाज में अब शांति थी

{अच्छा कितनी देर में आ जायेगा मुंबई.....क्या?!} अतुल एकदम से जैसे चीख ही पड़ा {तू एयरपोर्ट से निकल रहा है?”

{अच्छा रुक मैं अभी आता हूँ.......} अतुल ने अपनी कार की तरफ कदम बढ़ा दिये और फिर अचानक ही रुक गया

{क्या?....तू CBI के हेड ऑफिस के लिए निकल गया है..?.....टैक्सी में जा रहा है?....हम्म....ओके मैं भी पहुंच रहा हूँ}

अतुल ने ड्राइवर को आवाज दी जो तुरंत ही श्यामलाल के साथ बाहर आ गया! वो लोग तो वैसे भी छुप कर अतुल की बातें सुन रहे थे

“अतुल साहब, मैं भी चलता हूँ आपके साथ” श्यामलाल गाड़ी की ओर बढ़ने लगा

“अरे नहीं श्यामलाल, मैं कुछ लोगों को लेने जा रहा हूँ इसलिए तुम रहने दो...चलो ड्राइवर जल्दी से कर निकालो” अतुल ने श्यामलाल को मना कर दिया

बेचारा श्यामलाल करता भी क्या? अब जबरदस्ती तो कर नहीं सकता था। मन मार कर वो वापस थाने में चला गया। अतुल अपनी सरकारी ‘डस्टर’ में बैठ कर निकल गया, उसे जाते हुए देख श्यामलाल के पास कुछ जूनियर ऑफिसर्स आ गए

“क्या हुआ श्यामलाल भाई? सर कहाँ गए है...” सभी चेहरे इस बात को जानने को उत्सुक थे

“पता नहीं, बस इतना कह गए कि वे कुछ लोगों को लेने गए है....पर बताया नहीं कि कहाँ गए है?”

श्यामलाल ने अतुल को अपने दोस्त से बात करते हुए सुना था इसलिए वो इतना तो जनता था कि अतुल के दोस्त कोई बड़ा ‘तोप’ है और अतुल का बहुत ही अच्छा दोस्त भी। उसके मन में एक बात का शक भी था, वह अंदाजा लगा रहा था कि जय की पत्नी की गिरफ्तारी के बाद तुरंत ही अतुल ने फ़ोन किया था। शायद उसका दोस्त कोई वकील या और बड़ा आदमी हो सकता है जिसे लेने वो निकल गया है। सवाल बहुत थे उसके मन में पर जवाब तो अतुल के आने के बाद ही पता चलेगा।


सेक्टर 10A. नवी मुंबई

CBI हेड आफिस

सेक्टर 10A का इलाका फ्लेमिंगो क्रीक सैंक्चुअरी के पास ही था और CBI का हेड ऑफिस से समुद्र का नजारा काफी शानदार दिखता था। वो एक कम बस्ती वाली जगह में बनी हुई 5 मंजिला बड़ी सी इमारत थी देखने में ऐसा लगता था जैसे पूरी बिल्डिंग कांच की खिड़कियों से ही बनी हुई थी, उसे देख कर ऐसा ही लगता था जैसे नीले कांच की इमारत है। उस इमारत के पास ही बाहर की ओर एक तरफ पार्किंग एरिया था जहाँ पर काफी सारी कारें खड़ी हुईं थी...... और दूसरी ओर एक बड़ा सा मैदान था जिस पर दो हेलीपैड बने हुए थे जिनमें से एक पर सफेद रंग का हेलिकॉप्टर खड़ा हुआ था। उस जगह पर कुछ नारियल के पेड़ जरूर थे पर बाकी की जगह रेत और धूल की परतों से ढकी हुई थी....जहाँ नजर जाती ज्यादातर धूल की जमीन ही नजर आती थी। बाहर कोई भी गार्ड नहीं था पर CC TV कैमरा और 8 ड्रोन पूरे एरिया के चक्कर लगा रहे थे। एकाएक पीले रंग की कोई चीज धूल उड़ाती हुई इसी ओर आ रही थी....वह एक टैक्सी थी। CBI की इमारत के ठीक सामने आकर वो टैक्सी रुक गयी;

उधर दूसरी ओर CBI की बिल्डिंग के अंदर अंडरग्राउंड बेसमेंट और जिसमे 10 के करीब सेल(Cell) थे,6 बड़े-बड़े कमरे थे जिनमें से 3 इंटेरोगेशन रूम थे, 2 इन्वेस्टीगेशन और स्टाफ रूम...बचा हुआ एक कंटोल रूम था जहाँ से सभी पर नजर रखी जाती थी ऊपर भी और नीचे , यह सबसे बड़ा कमरा था। इंटेरोगेशन रूम में इस वक्त 2 लड़कियां बैठी हुई थी, उसी से जुड़े हुए एक कमरे में कुछ लोग खड़े हुए थे जो कि एक काले एकतरफा देखने वाले कांच से उन पर नजर रखे हुए थे। वो 2 लड़कियां कोई और नहीं बल्कि आसुना अग्निहोत्री और निहारिका मेहरा थीं।

तभी उनके कमरे का दरवाजे खुला और उसमें से राजन आराम से चलता हुआ अंदर आया, उसके चेहरे पर पहले कोई भाव नहीं था पर आसुना के पास आते ही उनके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी, उसकी शक्ल सच में डरावनी सी लग रही थी। उसने एक कुर्सी को अपने पास खींचा और आसुना के पास बैठ गया

“मेरे इंट्रोडक्शन की तो तुम दोनों को जरूरत है ही नहीं....” उसकी मुस्कान चौड़ी थी पर दांत नहीं दिख रहे थे “मैं सीधे पॉइंट पर आता हूँ......जय...कहाँ.. पर है?!”

“मुझे नहीं पता” आसुना ने सीधे ही जवाब दिया जिस पर राजन उसी कुटिलता से हंसा

“चलो कुछ आसान सा सवाल पूछता हूँ....कल रात को कत्लेआम के वक्त तुम कहाँ पर थीं?”

“मैं घर पर ही थी..” आसुना ने शांति से जवाब दिया

पर अब राजन के चेहरे से वह हंसी का पर्दा उतर गया था, अब उसका चेहरा किसी मुर्दे से लग रहा था। वह आसुना के करीब आया

“आखिरी बात पूछूंगा और मुझे इसका सही जवाब चाहिए...” उसकी आवाज में अजीब सी ठंडक थी “जय को आखिरी बार कहाँ पर देखा था?”

आसुना इतनी देर बाद अच्छे से मुस्कुराई, उसकी मुस्कान को देख कर कोई भी ये नहीं कह सकता था कि उसके ऊपर किसी भी तरह का दवाब है

“यह बात तो तुम्हे अच्छे से पता होनी चाहिए ना?..... भागा तो वो तुम्हारी ही कैद से था ना?!”

“चटssssss!...” आसुना की बात पूरी होते ही उसने बिना कुछ कहे एक जोरदार तमाचा आसुना को जड़ दिया। उसका चेहरा दूसरी ओर झुक गया। उसके गोर चेहरे पर राजन का हाथ छप गया...उसका सर कुर्सी के दूसरी तरफ झुक गया

“अबे एssss! ये क्या कर रहा है?....” निहारिका के चेहरे पर गुस्से से घृणा का भाव आ गया “एक तो बिना महिला अफसर के हमारे साथ पूछताछ की जा रही है ऊपर से तने उस पर हाथ उठाया......छोड़ूंगी नहीं तुझे, एक बार कोर्ट में जाने दे फिर तेरी सारी हिमाकत निकालती हूँ......ह...”

निहारिका की बात को उसने उसी कुटिल मुस्कान के साथ नजरंदाज कर दिया, आसुना वापस कुर्सी से तक गयी...उसके होंठ के कोने से खून निकल रहा था, उसके गाल पर थप्पड़ का निशान इतना गहरा था कि उसका गाल सूज ने लगा था। दोनों के हाथों में हथकड़ी बंधी हुई थी वरना जिस तरह से निहारिका गुस्सेल हो रही थी वो पक्का राजन पर टूट पड़ती

“तुम तो इसे और भी मुश्किल बना रही हो....” राजन ने अपने जेब से एक काला रुमाल निकाल कर अपने दायें हाथ में मुट्ठी को भिंचते हुए बांध लिया, इस बार वो आसुना को बुरी तरह से पीटने को तैयार था

“एक बार फिर पूछता हूँ......जय को आखिरी बार कहाँ देखा था?” राजन ने अपनी बात पर जोर दिया

आसुना ने इस बार धीरे से उसे अपना कान पास में लाने का इशारा किया, राजन ने झुकते हुए अपना कान पास में किया

“आखिरी बार बता रही हूँ...भागा तेरे पास से था न? तो तुझे पता होना चाहिए की वो कहाँ है...” एक बार फिर आसुना को मुस्कुराता देख कर राजन को गुस्सा आ गया, वैसे ही उसका सफेद चेहरा किसी कुत्ते की तरह नाक-भौ सिकोड़ने लगा। उसने आसुना की टीशर्ट का कलर पकड़ा और उसकी पेट की ओर मुक्का चला दिया

“मैंने तो सिर्फ सुना ही था कि मिस्टर ‘डेथ एडर’ बहुत ही क्रूर है...पर पता नहीं था कि वो किसी औरत के साथ भी अमानवीय व्यवहार करते है” दरवाजा खुलने की आवाज से ही राजन का मुक्का रुक गया था, वो तीनों ही उस आदमी की ओर देख रहे थे जो इस वक्त दरवाजे के सामने खड़ा हुआ था।

सूट बूट में अपनी टाई को ठीक करते हुए वो लंबे चौड़े शरीर वाला आदमी खड़ा हुआ था। उसके चेहरे पर बहुत ही शांत भाव था पर वो चेहरा बहुत ही गर्व से भरा हुआ था, एक तरह से वो राजन के बिल्कुल ही उलटी पर्सनालिटी(Personality) वाला था। राजन सोच ही रह था कि यह कौन है? क्योंकि राजन को बीच में रोकने की हिम्मत तो CBI के चीफ मैं भी नहीं थी। तभी वो दरवाजे से टिक ते हुए बोला

“अब तुम्हें यही सब करने की जरूरत नहीं है” उसने अपना छोटा-काला गोल रिम वाला चश्मा उतारा

आई विल टेक इट फ्रॉम हेयर(I will take it from here)!”

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