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Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter 27

Twilight Killer Chapter 27

13 mins
342

सुबह-सुबह का वक्त था। शहर जग चुका था....लोग अपने घरों से निकल कर काम पर जाने लगे थे, इस वक्त अच्छी खासी भीड़ लगी रहती थी। किसी का वाहन बस था, कोई कर से कोई ऑटो से तो कई लोग पैदल भी अपने काम पर जाया करते थे। महानगरों में जितनी देर से रात को नींद आती थी उतनी ही जल्दी सुबह भी हो जाती थी कारण पूछो तो...औद्योगिकरण! बस-ऑटो के हॉर्न की तेज आवाज परेशान करने वाली थी पर वाहन पर लोगों को इस से भी ज्यादा सुन ने की आदत थी। ट्रैफिक लाइट का पूरा कमाल था, एक हरे होने पर पैदल चलने वालों की मंडली निकलती तो एक दूसरी हरि लाइट से वाहन पूरी स्पीड में अपने गंतव्य की ओर निकल जाते। चौराहों की तो बात फिर बहुत ही अलग थी, हर जगह की भीड़ सबसे ज्यादा वहीं से होकर गुजरती थी। आज भी सब कुछ वैसा ही था.....पर कुछ तो अजीब था आज! वहाँ शहर कितना भी बड़ा हो, लोग रोज गुजरने वालों को रोज ही देखा करते थे पर आज इतनी सुबह, कुछ नए चेहरे भी वहाँ पर थे! पर इस सब को देख जरा रुक कर सोच विचार करने का समय भी किसी को नहीं था, जो जैसा चल रहा था वैसा ही ठीक था?

“बूमssss....बूमsss.... बूमssss” किसी को पता भी नहीं चला और चौराहों पर एक एक करके धमाके होने लगे। जो लोग चल रहे थे वो उड़ कर कहीं दूर जा गिरे, कोई जल कर राख हो गया तो किसी का शरीर टुकड़ों में बिखर गया! गाड़ियों में अलग धमाके हुए, उनके अंदर फंसे लोगों का जलना शुरू हुआ तो वो चीखे, पर उनकी चीखें भी धमाकों की आवाज से ज्यादा नहीं थी। चारों तरफ आ फेल गयी, जो बच गए वो अपनी जान बचा कर जहाँ समझ पड़ा भागने लगे....कहीं आग फैली हुई थी तो कहीं धुआँ उठ रहा था....हर तरफ बस लाशें पड़ी हुई थी। कहीं किसी का बिलखता बच्चा अपनी माँ की अधजली लाश को देख कर समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ बोल क्यों नहीं रही, वहीं कोई माँ अपने बच्चे की स्कूल यूनिफोर्म को पकड़ कर घुटनों के बल बेसहारा रोये जा रही थी। किसी को उम्मीद नहीं थी कि जो लोग उनके बगल से सर लटकाये गुजरे वो जीते जागते बम थे....धमाकों के बाद जो आवाज बची थी वो बस विरह और पीड़ा की थी।

(हाँ, सीधे जाते रहो! और वहाँ से लेफ्ट लो...दूसरी सड़कों पर भगदड़ मची हुई है)

टीना और राम-राघव अपनी काली जीप में वाशी के चौराहे की ओर जा रहे थे और आसमान में उड़ते दरों की आंखों से देखता हुआ पुनीत उन्हें एक साफ रास्ता दिखा रहा था। धुआँ बहुत घना था राम को जीप संभालने में थोड़ी परेशानी हो रही थी पर फिर भी वो बहुत तेजी से वाशी के चौराहे की ओर जीप भगा रहा था।

(तुमनें एम्बुलेंस और पुलिस को कॉल किया या नहीं......) कान में लगे हुए ट्रांसमीटर बड के जरिये वो बात कर रहे थे। पर अचानक ही पुनीत चुप हो गया था...टीना ओ कुछ समझ नहीं आया कि आखिर पुनीत चुप क्यों है? क्या कनेक्शन टूट गया था?

सामने धुंए की दीवार सी थी जिसके आगे कुछ भी नहीं दिख रहा था, राम के हाथ लड़खड़ाये! वो बिना देखे इसके अंदर नहीं घुसना चाहता था पर बिना पुनीत के इंस्ट्रक्शन के वो एकदम रोक भी नहीं सकता था!

“जल्दी! पुनीत से पूछो...सामने केवल धुंआ ही है, मुझे कुछ दिख नहीं रहा है” राम चीखा

“वो कुछ बोल नहीं रहा है, पता नहीं उसे क्या हो गया?” टीना परेशान हो गयी। उधर राम को समझ नहीं आया कि अब वो क्या करे? जीप चलने दे और उस धुंए में घुस जाए या फिर जीप को रोक ले!

(जीप रोको, अभी!) टीना के कान में पुनीत की चीख साफ सुनाई दी

“रोको!” टीना की आवाज निकलते ही राम ने झटके से ब्रेक पर पैर मारा और जीप टायरों को घिसटाते हुए उस धुंए की दीवार से टकराते-टकराते बची, राघव तो पीछे की ओर सीट से नीचे गिर गया। सभी का दिल जोरों से धड़क रहा था।

(तुम्हारा दिमाग खराब है क्या पुनीत!) टीना का चेहरा गुस्से से लाल हो गया (इस तरह अचानक से इंस्ट्रक्शन दोगे तो तुम ही हमें मार डालोगे!,,, इतनी देर से कहाँ मर गए थे?)

अभी वो पुनीत को चिल्ला ही रही थी कि उसकी नजर राम और राघव के चेहरों पर पड़ी जो कि सामने की ओर देख रहे थे, उनकी आंखें फ़टी पड़ी थी। सामने का वो धुआँ अब छटने लगा और जैसे ही टीना ने अपनी नजरे सामने की, वह चुप हो गयी, एकदम चुप! सामने वहीं ब्रिज था जिस पर से गुजर कर करगोयार्ड की ओर जाया जाता था, वहीं से वाशी के चौराहे के एक मात्र रास्ता था...! जो उनकी आंखों के सामने बुरी तरह से आग से झुलस कर अधमरा हो गया था, ऊपर खड़े ट्रक और कार बहुत से जल कर काले पड़ चुके थे तो कुछ में अब भी थोड़ी आग बाकी थी। लोगों की लाशें खून की जगह राख से सनी हुई थी, उस ब्रिज पर कोई भी नहीं बचा था! वो तीनों इसलिए चुप थे क्योंकि आज तक उन्होंने इसे नजारे देखे तो थे पर पहले देखे हुए नजारों में मरने वाले आतंकवादी थे, क्रिमिनल्स थे! पर आज उनकी आंखों के सामने लोग थे, सामान्य लोग जो अपनी रोज की जिंदगी बसर करने के लिए हर सुबह घर से निकलते थे।

(.....अपने आप को संभालो पुनीत! यह वक्त इस तरह से रुकने का नहीं है, आगे बढ़ कर इसकी तह तक पहुंचना है। हो सकता है वो अपराधी अब भी घटना स्थल पर मौजूद हो) पुनीत के ट्रांसमीटर से आसुना की आवाज आई जो पुनीत को होश में रहने के लिए कह रही थी, जानती थी आसान नहीं है पर अभी आतंकवादियों और नागरिकों को ढूंढना जरूरी था।

टीना और राम-राघव आसुना की बात समझ गए और खुद को भावनायों की जकड़न से ढील दी। ऊपर उड़ते हुए तीन कॉम्बैट और एक इन्वेस्टिगेटर ड्रोन ने भी यह सिग्नल दे दिया कि पुनीत भी संभल चुका है।

(ओके, यहाँ से जीप आगे नहीं जाएगी। तुमने पैदल ही ब्रिज पर करना होगा) पुनीत ने इंस्ट्रक्शन दिए और वो तीनों जीप बाहर ही छोड़ कर वहाँ से चल दिये (1.5 किलोमीटर का रास्ता है....ब्रिज के दूसरी ओर जाते ही सतर्क रहना, मुझे चौराहे के पास कुछ हलचल दिख रही है। कुछ कह नहीं सकते कि वो नागरिक ही है या कोई और)

ब्रिज पर करते ही जलते मांस की बू बढ़ने लगी, बारूद से ज्यादा और कुछ परेशान कर रहा था तो वो वीभत्स्य दृश्य जिसमें जिंदा जल चुके बच्चे और महिलाओं के शव ऐसे सड़कों पर बिखरे हुए थे जैसे पेड़ से टूट कर सूखी पत्तियां जमीन पर चुप-चाप पड़ी होती है। उन्होंने अपने आधे मास्क चढ़ा लिए......

राम-राघव हाथ में असाल्ट राइफल ताने तेजी से आगे बढ़ रहे थे, थोड़े पीछे ही सपोर्ट के लिए टीना चल रही थी, उसने हाथ मे एक 50 कैलिबर की काली स्नाइपर राइफल थी।

(अगर तुम्हें कहीं पर भी लाश का केवल सर मिले तो उसे एक तरफ उठा कर रख दो, इन्वेस्टिगेटर ड्रोन से मैं उसे चेक कर लूंगा की वो ह्यूमन बोम्ब था या नहीं?)

(गोट इट!) सभी ने जवाब दिया।

वो तीनों उस पूरी जगह पर फैल गए और लाशों को चेक करने लगे ऊपर उड़ रहे ड्रोन सिक्योरिटी चेक कर रहे थे। कुछ ही देर में उन्होंने 8-10 सर इकट्ठे कर लिए और पुनीत को ड्रोन भेजने के लिए कहा। ऊपर से उड़ता हुआ वो गोल आंख जैसा ड्रोन अपनी आंख से निकलने वाली स्कैनिंग करने वाली किरणों से उन्हें चेक करने लगा।

(ये आखिरी वाला सर बॉम्बर का नहीं है, किसी लड़की का है!...उसे....) पुनीत ने जैसे दिल पर पत्थर रखा (उसे वहीं छोड़ दो और एक लास्ट राउंड लेकर वापस आ जाओ, एम्बुलेंस और पुलिस वाशी चौराहे आने को निकल चुकी है। अतुल सर ने कहा है कि वो ज्यादा देर नहीं रुक सकते....वाशी अकेला नहीं है जहाँ पर बम ब्लास्ट हुए है!)

(क्या मतलब?!) टीना हैरानी से बोली

(वाशी से लेकर थाने तक 14 चौराहों में बम ब्लास्ट हुए है) पुनीत ने बताया (सभी ह्यूमन बॉम्ब्स थे, कुछ विदेशी थे और कुछ सामान्य लोग थे जिनके अंदर बम थे। ठाणे के चौराहे पर CBI इन्वेस्टीगेशन कर रही थी, राजन भी इसकी चपेट में आ गया है......पर यह सब वेट कर सकता है! तुम लोग जल्दी से वहाँ से निकलो)

एक आखिरी दौरा करके वो लोग वापस ब्रिज के रास्ते जाने लगे, उनके हाथ मे एक काले रंग का बैग था जिसमे बॉम्बर्स के सर रखे हुए थे। उन्हें उम्मीद थी कि कोई बचा होगा...पर उन्हें वहाँ पर कोई भी नहीं दिखा। बस ब्रिज शुरू होने ही वाला था कि टीना के कदम अचानक रुक गए, वो पीछे मुड़ कर देखती रही जैसे वहाँ पर कोई था!

(पुनीत, क्या हमारे पीछे का पूरा एरिया क्लियर है?) टीना ने पीछे से अपनी नजरें नहीं हटाई

(हां, आल क्लियर कोई भी चीज हिल नहीं रही है। वहां पर कोई मोमेंट नहीं है.....मैं पीछे से ही तो ड्रोन लेकर आ रहा हूँ! अगर कुछ भी दिखेगा तो पहले तुम सभी को बताऊंगा) पुनीत ने सामान्य तौर पर कहा

“टीना!” राम पीछे देखते हुए चिल्लाया, वह ब्रिज पर करते रुक गया था “चलो भी अब! हमें जल्दी निकलना है”

भले ही केवल एक हफ्ता हुआ था पर शियाबेई के द्वारा दिए गए अभ्यास ने उन सभी को बहुत इम्प्रूव किया था जिसमे टीना के सेंस अब पहले से भी ज्यादा शार्प थे। उसे लग रहा था कि कोई उसके पीछे था पर ड्रोन ने कोई हलचल नहीं देखी और वहाँ पर दूर-दूर तक जलती-राख हो चुकी गाड़ियों के अलावा केवल लाशें थी। वह रुक कर एक बार देखना चाहती थी पर वहाँ से निकलना ज्यादा जरूरी था। वह पीछे रह गयी थी तो उसने ब्रिज के बीचे में राम और राघव को जमीन से कुछ सर उठाते हुए देखा।

“यह तुम लोग क्या कर रहे हो?”

“ब्रिज की हालत देख कर मुझे लगा ही था कि यहाँ पर भी ब्लास्ट हुए होंगे और आते समय मैंने यहाँ पर कुछ सर देखे थे तो.....बस वहीं उठा रहा हूँ” राघव के चेहरे पर घबराहट वाले भाव थे, जाहिर है कोई भी किसी की लाश के सर नहीं उठाना चाहेगा!

जल्दी ही वो लोग उस पर पहुंच गए। उन्होंने जल्दी से जीप पर बैठना सही समझा और ड्रोन्स के अपने पीछे आते ही वो सभी वहाँ से निकल गए, टीना को अब भी लग रहा था कि कोई साया, कोई नजर उनके पीछे है। उसने स्नाइपर के स्कोप से पीछे नजर बनाए रखी जब तक कि वो ब्रिज आंखों से ओझल नहीं हो गया। उसने स्नाइपर को वापस पैक करके जीप में पटक दिया, और राहत की सांस ली!

“क्या हुआ, तुम पीछे क्या देख रही थी?” पीछे बैठे हुए राघव ने पूछा

“मुझे ऐसा लगा जैसे कि वहाँ पर कोई था? पर कोई दिखा नहीं.....ड्रोन से भी नहीं?” टीना ने अपना माथा पकड़ लिया, रह रह कर वो अधजली लाशें उसके जहन को सिरह कर रहीं थी “आखिर किसी को भनक भी कैसे नहीं लगी कि इस तरह के ह्यूमन बॉम्ब्स की प्लानिंग की जा रही थी?”

राघव ने सर झुका, माथा पकड़े हुए टीना के कंधे पर हाथ रखा। विनम्र स्पर्श था, जैसे उसे कह रहा हो ‘चिंता की जरूरत नहीं है, तुमने अच्छा काम किया!’

उन्होंने वहीं कच्चा रास्ता लिया और पुलिस के आने से पहले ही वहाँ से गायब हो गए। उन्हें पुलिस की गाड़ियों का हॉर्न सुनाई दिया था, पीछे पीछे जाती हुई एम्बुलेंस की भी थोड़ी झलक दिख गयी थी। अब जिन सरों को उन्होंने इकट्ठा किया था उस से उन्हें पता चल सकता था कि कौन से एक्सप्लोसिव्स का इस्तेमाल किया गया था। धूल उड़ाती हुई जीप डोर कच्चे रास्ते मे गायब हो गयी........पर उन तीनों को ही नहीं पता था उनकी जीप नीचे किसी तरह की हल्की लाल लाइट जल रही थी!

दूर ब्रिज के पास पड़ी हुई गाड़ियों में से एक दूरबीन से टकटकी लगाए निगाहें उन्हें जाता है देख रही थी। वो 4-5 साये थे, काले..धूल से रंग के चीथड़े ओढे हुए थे और वो दिखे भी तब जब वो हिले! वरना वो सब इतने स्थिर थे कि अधजले कपड़ों के ढेर की तरह लग रहे थे। उनमें से एक साया मुस्कुराया, एक भयानक मुस्कान जैसी शिकारी अपन शिकार को जाल में फंसा हुआ देख कर मुस्कुराता है। उन सायों ने बिना आवाज के पीछा करना शुरू किया.......

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आज हुए बम ब्लास्ट से शहर के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड में भी भगदड़ मच गई थी। हर तरफ लोग दौड़ रहे थे, किसी तरह की जल्दबाजी थी या तैयारी थी.....अंडरवर्ल्ड का हर एक शक्श इस वक्त बस एक ही काम कर रहा था.....’हथियार जमा’! बड़ी मात्रा में गन्स और गाड़ियां इकट्ठी की जा रही थी, हर तरफ बस अफरा-तफरी मची हुई थी। बंकर का भी यहीं हाल था शैली का पूरा संगठन हथियारों के साथ इकट्ठा हो रहा था, शैली के चारों बॉडीगॉर्ड जो कि उसकी सेना के सेनापति भी थे, वो भी हमले की तैयारी कर रहे थे। ‘वो’ भी इस वक्त तैयार हो रहा था, जल्दी में उसने कोट फसाया था...वह गुस्से में था पर चेहरे की जगह आंखे उसके गुस्से को दिखा रहीं थी। वो शैली के कमरे में गया जहां पर शैली अपने चारों बॉडीगॉर्ड को कुछ इंस्ट्रुक्शन्स दे रही थी उनमें कोल था, एक नीले छोटे बालों वाली लड़की थी, एक टकला बॉडीबिल्डर टाइप का सांवला आदमी खड़ा था और एक नीली आंखों और सुनहरे बालों वाला लड़का था जिसकी उम्र जय जितनी ही थी।

जय को अंदर आता है देख शैली ने उन्हें बाहर जाने को कहा, अब कमरे में केवल वो दोनों ही थे।

“क्या उन लोगों ने ही हमला किया है?” जय ने सीधे पूछा

“हाँ, ईस्टर्न फैक्शन! वो लोग पोर्ट के जरिये अंडरवर्ल्ड में घुस आए है” शैली के चेहरे पर काफी समय बाद इतनी ज्यादा चिंता थी “उन्होंने प्रभु और श्रेय को मार दिया है....शायद उन्होंने उन्हें तब ही मार दिया था जब उनका ह्यूमन ट्रैफिकिंग का प्लान फेल हो गया था।...उफ्फ...मुझे यकीन नहीं होता हमने अंडरवर्ल्ड की मीटिंग उनके सामने ही की थी”

शैली ने ac में आरहे अपने माथे के पसीने को उंगलियों से जमीन पर झटका, जय कुछ सोच रहा था।

“ क्या करने वाली हो?” सख्त सी उसकी ध्वनि बिल्कुल भी नहीं बदली थी

“सेंट्रल कमिश्नर को फ़ोन करके सिचुएशन बता दी है, बस अब जिस लड़ाई को शुरू किया है..उसे खत्म करने का वक्त आ गया है” उसकी आंखें बता रही थी कि वह इस सब को लेकर निश्चय कर चुकी थी “शियाबेई भी तैयार है, उन हरामियों ने प्रभु और श्रेय को मार कर उनकी जगह पर कब्जा कर लिया है.....अब वो चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, मौत तो उनकी निश्चित है। भला शेर की मांद में घुस कर कभी कोई शेर को मार सकता है? जब कुत्ते के घर मे घुस कर कोई कुत्ते को नहीं मार सकता तो फिर यह तो हम जैसे कातिलों का घर है”

शैली के चेहरे पर गुस्से के साथ एक हंसी भी आ गयी पर वह हंसी देख कर हंसने वाली नहीं थी, ख़ौफ़ खाने वाली थी। उसे इस तरह देख कर जैसे जय को कुछ याद आ गया, उसके होंठ और गाल हिले....वो एक छोटी सी मुस्कान थी...एक भेड़िये की मुस्कान!

“मैं नवल का बनाया हुआ ड्रग लेने जा रहा हूँ! वापस आते ही तुम्हारे इस शुभ काम में शामिल हो जाऊंगा” जय इतना कह कर पीछे मुड़ कर जाने लगा। शैली को एकाएक झटका लगा! जय ने खुद कहा था कि उसे नहीं पता कि नवल का वह ड्रग कहाँ है?

“रुको, रुको!...तुम्हें पता है कि नवल का ड्रग कहाँ पर है? तो तुमने मुझसे झूठ क्यों कहा?” शैली को जय के झूठ से बुरा लगा था, आखिर वो तो जय को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती है और उसे पूरा भरोसा था कि जय को भी उस पर भरोसा है। पर जय के झूठ ने उसे ठेस पहुंचा दी थी।

“मेरे अलावा किसी को भी अगर उसके बारे म पता चल जाता तो उसकी जान भी खतरे में पड़ जाती...मैं अपना एक दोस्त खो चुका हूँ” जय गर्दन घूम कर शैली को देखा, उसकी आंखें थोड़ी नरम दिख रही थी “अब मेरी वजह से तुम्हें खतरे में नहीं डाल सकता था!”

इतना कह कर वो वाहन से चला गया, शैली उसे देखती ही रह गयी। उसके सीने में जैसे हल्की गरमाहट ने जन्म ले लिया। उसकी एक पलक ने अपना आंसू गिराया और उंगली से उसे पोंछते हुए उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गयी। वह भूल ही गयी थी कि जय खुद से ज्यादा अपने दोस्तों से प्यार करता था.....वो हमेशा से ऐसा ही था।



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