Twilight Killer Chapter-14
Twilight Killer Chapter-14
15 मिनट पहले!
करन की इमारत के इंवेर्टर्स ने जैसे ही काम करना बंद किया, नाम मात्र का उजाला उस जगह पर रह गया था। अतुल के लिए अचानक उन इंवेर्टर्स का बन्द होना बुरा था। हिमांशु ने भी अपने साथियों से हर जगह नजर रखने के आदेश दे दिए थे। ‘जय इस अंधेरे का फायदा उठा कर बिल्डिंग में घुसने की कोशिश करेगा’, सभी के मन में यहीं ख्याल था। गार्ड्स अंदर जाकर बाहर आ गए थे उनके शांत व्यवहार से तो यहीं लग रहा था कि अंदर सब कुछ नॉर्मल है। शायद इन्वर्टर्स आज चार्ज नहीं हो पाए थे, वेसे भी वो पूरी बिल्डिंग बहुत हेवी इलेक्ट्रिसिटी यूज करती थी, ऐसे में इस तरह की समस्या आम थी। सेंट्रल के पावर हाउस में जो नए उपकरन और यूनिट लग रही थी, वह भी इसके पीछे एक बड़ी वजह हो सकती थी।
(हाँ टीना! ऊपर सब कुछ ठीक है ना?)
हिमांशु की सारी टीम, ट्रांसमिटिंग बड्स के जरिये एक दूसरे से कनेक्टेड थे!
(एवरीथिंग इस लुकिंग फाइन!) टीना ने बड़ी ही सहूलियत से जवाब दिया (स्कोप के नाईट विज़न में आसानी से लगभग सब कुछ दिख रहा है, 3 लोग- 2 गार्ड और करन! सब कुछ ठीक है और जय के ऊपर आने के कोई चांस नहीं लग रहे पर मैं फिर भी नजर रखूंगी)
(.....और वो......राजन क्या कर रहा है?) हिमांशु की आवाज जासूसी भरी थी
( मुझ से कुछ दूरी पर लेटा हुआ है, हाथ में एक मॉडिफाइड M24 स्नाइपर लिए हुए है और उसका निशाना भी करन का आफिस ही है)
(ओहके! उस पर ध्यान देना, मुझे CBI पर भरोसा नहीं है....! सभी ने सुना न?)
(यह सर!) हिमांशु की टीम के सभी की आवाज एक साथ एक लय में आयी
हिमांशु ने बिना ब्रेक लिए, सीधे अपने अगले मुद्दे पर आ न ही ठीक समझा!
(पुनीत, ड्रोन्स को कुछ मिला क्या?)
(नहीं सर। बस अभी ऊपर से नीचे की ओर नजर रखा हुआ हूँ, अगर कहीं भी कोई गड़बड़ लगेगी तो फौरन अलर्ट कर दूंगा) उसकी आआवज थोड़ी हिली हुई सी थी.....और हिमांशु इसका कारण जानता था।
(देखों पुनीत, मैं समझ सकता हूँ कि जय तुम्हारे लिए एक बहुत ही अच्छा इंसान है और तुम उसे चोट नहीं पहुंचना चाहते! पर इस वक्त वो पुराना वाला जय नहीं है है, उसके हाथ खून से रंगे हुए है। तुम जिस जय को जानते हो इस वक्त वो जय तुम्हे नहीं मिलेगा, बस अपने काम पर फोकस रखो और मैं इतना वादा तो कर ही सकता हूँ कि उसे पकड़ते ही पहले उसे तुम्हारे सवालों के जवाब देने होंगे ओके?)
पुनीत की ओर से कोई आवाज नहीं आयी, जैसे वो कुछ नहीं कहना चाहता हो,
(ठीक है सर! पर अपना वादा मत भूलियेगा)
(बिल्कुल!)
अभी 5 मिनट ही बीते थे। सभी अपनी जगह पर मौजूद थे कि अचानक ही हिमांशु को ऐसा लगा जैसे उसने कुछ टकराने की हल्की सी आवाज सुनी, बिल्कुल मरी हुई जैसे उसकी कल्पना में हो...जो दूर से आ रही थी। उधर अब तक लाइट तो आइए ही नहीं थी,
(ओके...यह बहुत ही अजीब है) टीना की आवाज रिसीवर में सुनते ही सभी के चेहरे के भाव बदल गए, उन सभी के पैर वहीं जम गए जहाँ पर वो मौजूद थे। (मुझे अपने स्कोप से अंदर अब 4 लोग दिख रहे है, एक जमीन पर पड़ा हुआ है और हिल नहीं रहा है। करन टेबल के नीचे छुपा हुआ है और एक गार्ड 15-20 कदम पर खड़े किसी पर रस्सी जैसे लंबे हथियार से हमला कर रहा है और......वाओ! आपको यह देखना चाहिए ये दोनों अलग ही लेवल पर है!......वह और सबसे जरूरी बात, ‘जय’ करन के आफिस में है! आई रिपीट, ‘जय’ करन के ऑफिस में है)
इतना सुनते ही सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई! ‘जय’ का इमारत में घुसना अगल बात थी, वो करन के आफिस में था यह मानना इम्पॉसिबल था पर टीना के पास मजाक करने का कोई कारण नहीं था।
“अतुल, वो ऊपर है। जय करन के ऑफिस में घुस गया है हमे अभी ऊपर जाना होगा” हिमांशु चीखा
“क्या?..प...पर कैसे? हम सब तो....यहीं पर थे ना...वह अंदर गया कैसे?” अतुल चोंक पड़ा
“बताने का समय नहीं है, जल्दी!” बाहर गार्ड्स को भी इस बात की खबर अतुल और हिमांशु से हो गयी थी, उन्होंने एकसाथ मिलकर काम करना सही समझा। नीचे से सभी इमारत में अंदर की ओर घुसने लगे। राम-राघव ऊपर नहीं गए और पुलिस के कुछ लोग भी वहीं पर रुक गए, लोगों को इमारत के बाहर निकाला जाने लगा। सभी घबराकर बाहर की ओर जा रहे थे,
“हिमांशु!, कंट्रोल रूम पहले फ्लोर पर है। मैं कंट्रोल रूम को चेक करता हूँ तब तक तुम ऊपर जाओ” अतुल ने जल्दी से कहा और वो दोनों ही सीढ़ियों पर अलग हो गए, हिमांशु ऊपर की ओर जाने लगा और अतुल कंट्रोल रूम की ओर, बिना बिजली के लिफ्ट तो चले वाली ही नहीं थी। अतुल जैसे ही कंट्रोल रूम के सामने पहुंचा, दरवाजा खुला हुआ था! एक पल रुक कर वो जल्दी से अंदर भागा तो अंदर देख कर उसके मन में मौजूद घबराहट बढ़ गयी! किसी ने मुख्य कंट्रोल पैनल उड़ा दिया था, किसी हथौड़े से वार किया था शायद। टूटे उपकरणों में से कुछ से चिंगारियाँ निकल रहीं थी, इन्वर्टर्स खराब हो चुके थे...ऐसी हालत किसी ने जानबूझ कर की थी। क्या जय ने पहले यह सब किया और उसके बाद वो ऊपर जा पहुंचा?...इस सवाल का जवाब इस वक्त सबसे जरूरी था। अतुल ने काल किया
“यहाँ तो सब कुछ तहस-नहस हो गया है, कंट्रोल रूम पूरी तरह के तबाह हो गया है!....क्या यह जय ने किया होगा?”
सीढ़ियों पर तेजी से भाग कर ऊपर जाते हुए हिमांशु के कानों में यह बात पड़ी तो वो एकदम से धीमा हो गया।
“नहीं..नहीं! ऐसा नहीं हो सकता। जय के पास इतना समय नहीं था और वो नीचे से ऊपर जा ही नहीं सकता था, उसका पकड़ा जाना पक्का था”
“तो आखिर जय ऊपर गया कैसे?”
यह सवाल अब भी वैसा ही था जैसे हिमांशु के मन में था। जय का ऊपर पहुंचना नामुमकिन था, वह सोच में पड़ गया। क्या उन से कुछ ऐसा छूट रहा था जो जय का आफिस में घुसना छुपा रहा था? हिमांशु ने एक बार फिर अपनी और करन की आफिस में मुलाकात को याद किया और उसमें वो देखने लगा। 1 मिनट की चुप्पी के बाद जैसे उसे अपनी गलती का अहसास हो गया, वह फिर से दौड़ते हुए सीढ़ियां चढ़ने लगा
“पेंट्री-फ़ूड कार!”
“क्या?” अतुल को समझ नहीं आया
“अरे यार जय पेंट्री कार से ऊपर पहुंचा होगा, देखा नहीं कितनी बड़ी थी वो?...ऊपर से अंदर के गार्ड्स ने भी उसे चेक नहीं किया था। एक पेंट्री कर ही थी जिस पर कोई भी शक नहीं कर सकता था, डेम इट! जय ने पेंट्री कार का ही इस्तेमाल किया है”
हिमांशु ने कॉल काट दिया, वह अभी आधे ही फ्लोर्स तक पहुंचा था कि उसकी ट्रांसमिटिंग बड में सिग्नल आया। यहाँ हिमांशु ने उस सिग्नल का जवाब दिया वही इमारत से निकलता है कोई साया सबकी नजर बचा कर पास वाली इमारत की ओर भागा, वो कौन था पता नहीं पर वो बाहर आकर कुछ अच्छा तो बिल्कुल नहीं करने वाला था, यह तय था!
(ही किल्ड बोथ गार्ड्स!...वह अब करन की ओर बढ़ रहा है सर....शूट करने का आर्डर दीजिये!) टीना की आवाज ने हिमांशु की धड़कन और भी तेज कर दी
(शूट हिज लेग्स! हमें जय को जिंदा पकड़ना है...तुम ई.....!)
हिमांशु की बात अभी खत्म नहीं हुई थी और उसे किसी साइलेंसर लगे हुए गन से फायर होने की आवाज आई, वह जानता था कि टीना बात को बीच में छोड़ कर फायर नहीं कि होगी पर फिर भी,
(क्या तुमने अभी फायर किया?)
(नहीं सर, यह उस राजन ने किया है और...उसका निशाना जय का सर था!)............
गोली का निशाना जय का सर था! पर वो उस मोटे कांच को पार नहीं कर पाई और उसका निशाना कांच तक ही अटक कर रह गया और जय बच गया! जय ने करन को उठाते हुए कुर्सी पर बिठाया, उनके दोनों हाथों को टेबल पर सामने रखा। करन की चमड़ी फटने लगी थी, मांस ऐसे दिख रहा था जैसे सख्त हो गया हो, उसके नाक मुँह से बहे खून में पतले छोटे बर्फ के टुकड़े जैसे कुछ दिख रहे थे जो उसके खून को चमका रहे थे। करन जिंदा था पर बहुत तकलीफ में था, इतनी चढ़ चुकी थी उसे शराब की वह दर्द के मारे चीख भी नहीं पा रहा था। जय के चेहरे से करन की हालत देख कर बहुत ही सुखद हंसी टपक रही थी जैसे इस से ज्यादा खुशी उसे अपनी शादी पर भी ना हुई हो, एक बार उसने उस कांच की दीवार को देखा जिसमें एक गोली अटक गई थी ह करन के सामने खड़ा हुआ, उसने करन के बांये हाथ की बीच वाली उंगली को पकड़ा और बहुत कस के दबाया। सामान्यतः इसमें थोड़ा बहुत दर्द होता पर जैसे करन का शरीर जम कर नाजुक हो गया था। पहले उंगली की चमड़ी किसी चिप्स की तरह टूट कर गिरी, जय की पकड़ मजबूत होते ही मांस भी टूटने को हुआ और फिर एक ही झटके में उसकी उंगली को जय ने खींच कर बाहर ही निकाल लिया!
“आsssss... ह..हाआssssss.........!” बची हुई पूरी ताकत के साथ वो चिल्लाया! जहां से उसकी उंगली टूटी थी वहां पर गाढ़ा खून बाहर आना शुरू हो गया था, ज्यादा नहीं था। नशे ने उसे थोड़ा सा सहनशील बना दिया था पर लगातार हो रही पीड़ा के लिए यह काफी नहीं था और जय के बर्ताव से ऐसा लग रहा था कि अभी उसका काम पूरा नहीं हुआ। करन अब भी बहुत दर्द से कांप रहा था, सर टेबल पर रखा हुआ था
“मेरे पास समय कम है और तुम्हारे पास भी!” जय की सर्द आवाज उस शांत माहौल में बहुत तेज थी, उसने पास रखी कुर्सी को करन के सामने ही रखा और उस पर बैठ गया। जेब से एक पुराना रिकॉर्डर निकाल कर रिकॉर्डिंग के लिए चालू किया, “तो मैं तुम से कुछ सवाल करूंगा, अगर सारे जवाब सही दिए तो वादा करता हूँ कि तुम्हारे परिवार को छोड़ दूंगा!”
इंसान कितना भी घबराया हो, परिवार ही एक ऐसी चीज है जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाता है, आखिर जय भी तो सब कुछ इसलिए ही कर रहा था। कर्ण ने कांपते हुए हामी में सर हिलाया, वह जानता था कि वह जल्दी ही मर जायेगा पर फिर भी वो जय पर भरोसा कर रहा था, पता नहीं क्यों? तब तक सामने कांच पर कुछ और गोलियां आकर अटक गयीं थी
“ह्यूमन ट्रेफिकिंग का धंधा कब से कर रहे हो?”
“2 साल...से.....”
करन की आवाज कटने लगी थी, जय समझ गया था कि उसके पास ज्यादा समय नहीं था। CBI, हिमांशु की टीम कभी भी उस तक पहुंच सकती थी और करन की सांसे भी कब तक उसका साथ देने वाली थी अब सब कुछ समय पर ही टिका हुआ था।
“नवल को मारने के पीछे किसका हाथ है!” जय की आवाज में घृणा थी
“अंडरवर्ल्ड का....वो लोग...चीन के अंडरवर्ल्ड....से है...। उनकी असलियत...मैं....नहीं जानता, इस धंधे में...सौरभ ने मुझे जोड़ा था....वह जानता है”
सौरभ का नाम सुनते ही ‘जय’ का चेहरा गुस्से और घृणा से भर गया, ऐसा लग रहा था जैसे उसका चेहरा बदल जायेगा। पर वह अब भी कुछ सवालों के जवाब चाहता था,
“सौरभ ने ऐसा क्यों किया? उसके पास तो बहुत सारा पैसा था?”
“वो चायनीज...गुंडे.! वो...बहुत पहले से यहाँ पर
थे।...कारण नहीं पता...पर सौरभ सालों से उन से जुड़ा हुआ है...और मैं कुछ......खाsssss....!”
अफसोस काफी देर हो गयी थी, करन की सांसें उसके शरीर को छोड़ चुकी थी। जय के सवाल सवाल ही रह गए थे पर अब उसके पास एक और लीड थी, चाइनीज अंडरवर्ल्ड का इंडिया में सालों से होना जय की समझ से बाहर था पर कोई तो बड़ा कारण था जो वो सौरभ से सालों से जुड़े हुए थे!
“धम्मsssss!” जय की सोच में एक धमाके की माध्यम आवाज ने देख दी जो कि उसके पीछे दरवाजे से आई थी। अचानक ही खिड़की में से लाइट की बड़ी-बड़ी बीमों ने उसे सराबोर कर दिया, वो पुनीत के ड्रोन्स थे
“धांय-धांय-धांयssss.............!” करन से दूर उन्होंने कांच पर गोलियों की बौछार कर दी, इतनी ताबड़तोड़ गोलियां चलाई की वो बुलेटप्रूफ कांच भी बुरी तरह से तड़कने लगा। और अब वो स्नाइपर बुलेट्स जय तक पहुंच सकती थी। उधर बाहर के दरवाजे को बम से उड़ा कर कमजोर करने के बाद 2 हाथ अब उसे पूरी ताकत से खोलने की कोशिश में लगे हुए थे। अब समय नहीं था,
जय ने करन के पेंट में से उसका जंजीर वाला बेल्ट निकाल लिया, रिकॉर्डर को बंद कर के वहीं टेबल पर छोड़ दिया और बायी ओर कोने की ओर भागा जहां टॉयलेट थी जिसने एक बड़े से धातु के पिल्लर को छुपा कर रखा था। करन के इस आफिस के कमरे के चारों कोने में 4 मेटल पिलर्स थे जो उस बड़े कमरे की मजबूत बेम की तरह काम करते थे....ऐसा देखने वालों को लगता था। टॉयलेट कांचों के बहुत करीब थी, टॉयलेट के दरवाजे तक पहुंचते ही जय को ऐसा लगा जैसे कोई पटाखे जैसी रोशनी वाली चीज उसकी ही ओर बढ़ रही थी!
“बूमssss!” एक धमाके के साथ ही वो किनारे के कांच टूक कर बिखर गए, आग की लपटें बाहर की ओर ज्यादा निकली। वो पुनीत के ड्रोन्स की मिनीं मिसाइल्स थी जिसने कांच के चीथड़े उड़ा दिए थे।
(वी आर मिसिंग दी टारगेट सर!) स्नाइपर स्कोप से देखते हुए टीना ने कहा
(अभी जाकर देखता हूँ!) दरवाजे को दोनों हाथो से खोलने की कोशिश करते हुए हिमांशु बोला और अगले ही पल दरवाजे इतने खुल गए कि वो किसी तरह अंदर घुस गया। पहले करन को उसने देखा, सांसे बंद थी, शरीर ठंडा पड़ चुका था। टेबल पर रिकॉर्डर रखा हुआ था जिसे हिमांशू ने बिना झिझक के उठा लिया, नीचे गार्ड्स की लाशें पड़ी हुई थी, कांच के टूटे टुकड़े जमीन पर बिखरे हुए थे...नीचे टाइल्स की हालत बीच में बहुत खराब थी, चकनाचूर हो चुकी थी। कोने में नजर पड़ी तो वहाँ पर टॉयलेट का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। हिमांशु जल्दी से अंदर गया, टायलेट सीट्स, शावर, पर्दे सब कुछ सही सलामत और नया रखा हुआ था केवल सामने उस मेटल के पिल्लर पर थोड़ा सा खून लगा गया हुआ था।
(वो ऊपर हैं, जय सर...मतलब टारगेट ऊपर छत पर है। क्या ऑर्डर्स है सर?)
पहले तो यह सुन कर हिमांशु चौंका, पुनीत की बात ने एक पल के लिए सब कुछ असमंजस में डाल दिया था। तभी उसकी नजर कोने में लगे हुए एक लाइट के स्वित पर गयी, वो भी थोड़े खून से सना हुआ था। हिमांशु ने जल्दी से वो बटन दबाया और आश्चर्य! वह मेटल का पाइप घूमते हुए खुला....वह एक लिफ्ट थी!
जय ऊपर छत पर पहुंच गया था, उसकी नजर अब कुछ दूर की इमारत पर गयी जो कि करन की इमारत से करीब आधी थी। जय की नजर वहीं थी, जैसे वहाँ पर कुछ था या कुछ का इंतजार था। अचानक ही उसे सामने की उस इमारत केई छत का दरवाजा खुलता हुआ दिखा, मुंह पर सफेद रुमाल बंधे हुए एक आदमी कम लड़का ज्यादा, भूरे बालों वाला छत पर दिखा। उसके हाथ में एक काला बैग था, उसने उसमें से एक बजूका जैसा हथियार निकाला जिसके किनारे मैं काले रंग की मोटी चिकनी से रस्सी लिपटी हुई थी और उस बजूका के मुंह में एक नुकीला मोटा तीर जैसा कुछ था। उसने दीवार से बजूका को टिकाया और उस रस्सी के एक छोर को छत की कंकरीट में हथौड़े से घुसेड़ दिया और उसने फायर किया। वो तीर जैसा हिस्सा रस्सी को अपने साथ लिए हुए करन की इमारत की छत में जा घुसा, जय इसी का इंतजार कर रहा था। रस्सी की ओर बढ़ते उसके कदमों को एक आवाज ने जमा दिया, हवा में घूमती हुई उस ब्लेड की आवाज के साथ ही 3 ड्रोन्स ऊपर आ गये लाइट्स ने जय को घेर लिया। निशाना लगाने वाले लाल लेज़र जय के हाथ और पैर पर जम गए। जय उन सभी ड्रोन्स को हल्के में नहीं ले सकता था। ऐसी हालत में वहां से भागना जान को खतरे में डालने वाला, पर जय को जैसे अब कोई डर ही नहीं था! इस सिचुएशन में भी वो बस वहाँ से निकलने की प्लानिंग में खड़ा हुआ था। उसके जेब के अंदर एक हरी रोशनी चमकी, एक कंपन हुआ, उसने जेब से पुराना वॉकी-टॉकी जैसा उपकरण निकाला, परिमाप पर लगा हुआ लम्बा बटन दबाया और कान से लगाया। एक आवाज आई, जैसे रेडियो की फ्रीक्वेंसी हो
(लगता है आखिर में तू फंस ही गया.....कोई मदद चाहिए?)
(मैं देख लूंगा!) जय ने ठंडे लहजे को बनाये रखा, यह बात उसकी उसी लड़के से हुई थी जो दूसरी बिल्डिंग में अभी रस्सी फसाया था।
जय ने वॉकी-टॉकी वापस जेब में रखा, तभी सामने के एक कोने का मेटल पिल्लर स्लाइड होकर खुल गया, मास्क उतारे हिमांशु की एंट्री हुई। कपड़ों पर कुछ राख लगी हुई थी, आखिर बम से दरवाजा उड़ाना आसान तो बिल्कुल भी नहीं था। हिमांशु ऐसे तो अतुल के साथ एक सामान्य दोस्त की तरह व्यवहार करता था पर उसका प्रोफेशनल चेहरा, प्रोफेशनल ही था। चेहरे पर तेज और आंखों में अलग ही लेवल का कॉन्फिडेंस। कहते है ताकत एक ऐसी भावना है जो सामने किसी को भी देख कर महसूस की जा सकती है, और जब हम से ज्यादा ताकतवर कोई और सामने आता है तो दिमाग खुद-ब-खुद हमें अहसास करा देता है कि ‘इस व्यक्ति से पंगा नहीं लेना’! पिछली बार जय को कोई खास अहसास नहीं हुआ था पर आज जब सामने हिमांशु खड़ा हुआ था तो जय के लिए सामने एक खूंखार बाघ खड़ा हुआ था और जय उसके सामने केवल एक अकेला भेड़िया था।
(अगर वो हिले तो उसे ड्रोन्स से भून देना, राम-राघव ऊपर आयो...जैसा कि आसुना को वादा किया था, हम जय को लेकर ही यहाँ से जाएंगे!) हिमांशु ने ट्रांसमीटर पर अपना आदेश सुनाया। जय और उसके बीच करीब 15 कदम की दूरी थी, उन दोनों की नजरें मिली तो जैसे आसमान कांप उठा! उन काले बादलों में तेज बिजली चमकी और फिर गड़गड़ाहट हुई जैसे शेर की दहाड़ हो।
“घर लौटने का समय हो गया जय!....तुमसे काफी सवाल पूछने है पर...पर पहले एक अच्छी जगह चलते है” हिमांशु ने हाथ बांधते हुए कहा
जय के चेहरे पर कुटिलता भरी ठंडी मुस्कान ने अपनी जगह बना ली जैसे खाली स्लेट पर भावनाएं सिमट गयीं।
“घर!....अब घर नहीं रहा ‘राणा’!...एक पल में सब कुछ बदल चुका है, जिन हाथों ने सालों पहले खून बहाया था आज वो वापस पहले जैसे रंग गए है। जो मेरे लिए पूरा परिवार था...उसे तो मुझ से छीन ही लिया और अब तुम मुझे एक ऐसे घर में बुलाना चाहते हो जहां मुझे शांति नहीं मिलेगी, मेरे दोस्त को न्याय नहीं मिलेगा! लोगों पर भरोसा करके मैंने कई बार चोट खाई है पर इस बार मुझे सहारा देने वाला ही नहीं है तो किस बिनाह पर घर वापस आ जाऊं?........आसुना से कहना अभी काम बाकी है” जय की आवाज में दर्द था पर चेहरे पर एक भी भावना उसने झलकने नहीं दी, यह वह आवाज थी जिसने कई बार दिल का टूटना सहा था।
अगर हिमांशु जय से पहले मिला होता तो शायद यह नौबत नहीं आती पर अब जय कोई सिविलियन नहीं था, वह एक क्रिमिनल था। हिमांशु उसे किसी भी हालत में और कत्ल नहीं करने देना चाहता था। तभी हवा में घूमती हुई कुछ और भी आवाजों ने दोनों का ध्यान खींचा, दूर से उड़ते हुए कुछ न्यूज़ चैनल्स के ड्रोन्स इसी ओर आ रहे थे, कुछ न्यूज़ चैनल्स से थे तो कुछ किसी और कि आंखें थी!
“अब भी वक्त है मेरे पास आ जाओ, वादा करता हूँ तुम्हें और नवल को न्याय मैं दिलवाऊंगा...बस एक बार अपना हाथ आगे बढ़ाओ और मैं तुम्हें इस पर ले लूंगा”
“आज नहीं, किसी ओर दिन!” जय के शब्द खत्म होते ही पास में उड़ रहे एक ड्रोन से कोई चीज आकर टकराई और धमाका हुआ, आग और ड्रोन के टुकड़ों से बचने के लिए हिमांशु नीचे पंजो के बल बैठ गया। वह हमला नीचे पास वाली बिल्डिंग से किया गया था, उस लड़के ने अपना मुह पर लगा हुआ कपड़ा उतार दिया था...वह ‘कोल’ था, उसके हाथ में एक ग्रेनेड लांचर था जिस से अभी उसने एक ड्रोन उड़ा दिया था। अचानक से किसी को भी समझ नहीं आया कि वो हमला कहाँ से हुआ था? और जय उन्हें संभलने का मौका नहीं देना चाहता था।
एक ओर ग्रेनेड उछलता हुआ जय के सर के ऊपर जा पहुंचा!,
“सी यू सून....” जय के यह आखिरी शब्द थे, उसने घूमते हुए एक ‘राउंड हाउस किक’ से उस ग्रेनेड को हिमांशु के ऊपर उड़ रहे ड्रोन की ओर दे मारा।
“बूम” बडे धमाके ने हिमांशु को पीछे हट कर छुपने को मजबूर कर दिया। जय उस रस्सी की ओर भागा उसके पास करन का जंजीर वाला बेल्ट था। तेजी से भंगते हुए जय ने अपनी रिवॉल्वर निकाल कर पबिन देखे पीछे की ओर शूट किया जिस से आखिर ड्रोन भी किसी परिंदे की तरह फड़फड़ाता हुआ नीचे जा गिरा और जय ने जल्दी के रस्सी में बेल्ट फंसा कर छलांग लगा दी!50-60 फुट की ऊंचाई से वो दूसरी बिल्डिंग की ओर हवा में लटकते हुए जाने लगा। ऊपर हिमांशु अभी धमाके से उबरा नहीं था, लटकता हुआ जय दूसरी बिल्डिंग के बहुत करीब था
“सांय!” तभी एक गोली आकर जय के कंधे के ऊपर वाली मांसपेशियों को भेद गयी पर वो घबराया नहीं, लड़खड़ाया नहीं और सही से दूसरी बिल्डिंग जा पहुंचा
“शिट! जरा सा चूक गया” काफी दूर से अपनी स्नाइपर पकड़े हुए राजन बोखला गया। जैसे ही हिमांशु ने यह देखा उसने अतुल को पूरी पुलिस के साथ उस बिल्डिंग में भेजा पर कोई फायदा नहीं हुआ। जो एक बार वो नजरों से ओझल हुए फिर नहीं मिले। हर तरफ अफरातफरी मच गई। हिमांशु की टीम वहाँ से तुरंत निकल गयी क्योंकि मीडिया की वैन अब आ चुकीं थी। उन्होंने पुलिस और CBI को घेर लिया, राजन वहाँ से गायब था। हर जगह बस शोर था और न्यूज़ में एक और ‘मर्डर’ की चर्चा शुरू हो गयी थी!
खबर थी कि एक और मर्डर हुआ और इस बार बेहिसाब सिक्योरिटी के बीच हुआ और उसे कोई नहीं रोक पाया........लोगों में उसकी दहशत फैल गयी एक नए नाम से जो उसे मीडिया ने दिया था!
‘Twilight Killer’!
