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Anita Sharma

Tragedy Crime Inspirational

3  

Anita Sharma

Tragedy Crime Inspirational

तुम हो तो सब कुछ है

तुम हो तो सब कुछ है

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"राज, राज ये क्या कर रहे हो तुम? नहीं बेटा तुम ये नहीं कर सकते।"

राज की माँ बसुधा जी खिड़की पर खड़ी होकर थप- थपा कर चिल्लाये जा रहीं थी। उनकी आवाज सुनकर राज के पापा अशोक जी भी

" क्या हुआ बसुधा"? बोलते हुये वहाँ आ गये। अपनी पत्नी के यूँ बदहवास होकर चिल्लाने और कमरे के अन्दर का नजारा देखकर सकते में आ गये। उन्होंने आनन-फानन में वहीं रखे गुलदस्ते को खिड़की पर दे मारा। जिससे उसका काँच टूट कर बिखर गया।

अशोक जी ने जल्दी से हाथ डाल कड़ी खोली और खिड़की के रास्ते कमरे में आकर झट से फंदा गले में डाले अपने अठ्ठाइस साल के बेटे को हाथ पकड़ कर नीचे उतारा, तब तक उसी खिड़की के रास्ते ही अन्दर आई बसुधा जी ने चटाक !! चटाक! चटाक! तीन चार तमाचे एक साथ राज के चेहरे पर जड़ दिये।

और खुद ही फूट -फूट कर रोते हुये राज की कॉलर पकड़ कर उसे झझोड़ते हुये बोली.... "पागल हो गया क्या? ये क्या करने जा रहा था तू? ये सब करने से पहले तूने एक बार भी हमारे बारे में नहीं सोचा ? क्यों नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना हमारा क्या होगा ? "

वहीं दीवार का सहारा लेकर खड़े अशोक जी की तो जैसे घिघ्घी बंध गई थी। उन्होंने कुछ बोलने के लिये मुँह तो खोला पर शब्द जैसे अन्दर ही रह गये। पर उनके मौन आँसू और थर -थर काँपता शरीर देखकर खुद राज का कलेजा मुँह को आ गया।

वो जैसे एक गहरी नींद से जागा हो, वो अपने खुद के किये कृत्य पर खुद ही शर्मिंदा होते हुये दहाड़े मार अपनी माँ से लिपटते हुये बोला...."मुझे माफ कर दो माँ, मैं बहुत बुरा हूँ। मैने आप दोनों का दिल दुखाया है। पर,,, पर मैं क्या करू ? मैं निशा के बिना नहीं रह सकता।"

* * निशा जो राज के ऑफिस में ही काम करती थी। इन दोनों की मुलाकात दो साल पहले उसी ऑफिस में हुई थी।वहीं दोनों की दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई। साथ जीने मरने की कसमें खाई। और सात जनम साथ रहने के वादे भी किये।

पर दोनों ये भूल गये कि प्यार इतनी आसानी से पूरा नहीं होता । प्यार अपने साथ हजार पवंदिया, लाखों बहाने लाता है दो प्रेमियों को अलग करने का। ऐसा ही इन दोनों के साथ भी हुआ। जैसे ही दोनों के प्यार की खुशबू फिजाओं में फैली वैसे ही निशा के ऊँचे कुल के परिवार वाले इस प्यार के खिलाफ हो गए।

उन्होंने साफ मना कर दिया कि वह अपनी बेटी की शादी राज से नहीं कर सकते।

राज को अपने माँ, पापा पर पूरा भरोसा था कि वो मान जायेंगें। पर निशा का परिवार नहीं मान रहा था तो राज ने निशा के सामने घर से भागकर कोर्ट में शादी करने का प्रस्ताव रखा। पर निशा ने ये कह कर मनाकर दिया कि....

"मेरे माँ पापा ने मुझे पढ़ा लिखा कर मुझ पर विश्वास करके नौकरी करने के लिये भेजा था। अगर मैं तुम्हारे साथ भाग गई तो फिर मेरे परिवार की कोई भी बेटी आगे नहीं बढ़ पायेगी। न ही फिर कोई उनपर विश्वास करेगा।मैं सिर्फ अपनी खुशी के लिये उनका भविष्य दाव पर नहीं लगा सकती। पर मैं अपने माँ पापा को तुम्हे अपना दामाद बनाने के लिये मनाती रहूँगी। और जबतक वो नहीं मान जाते हमें इंतजार करना पड़ेगा।"

राज भी इंतजार करने को तैयार था। पर कल ही राज को कहीं से उड़ती हुई खबर मिली की निशा के परिवार वालों ने उसकी सगाई कहीं और कर दी। बस इसी बात से परेशान होकर वो आज इतना बड़ा कदम उठाने जा रहा था।

और अभी अपने बेटे के मुँह से निशा का नाम सुनकर उसे अपने आँचल में समेट रोते हुये बोली.....

"पर बेटा हम लोगों का क्या? क्या हम तुम्हारे बिना रह सकते है?निशा के दो साल के प्यार के लिये तूने हमारे अठ्ठाइस साल के प्यार, संस्कार और परवरिश की परवाह नहीं की। एक लड़की ने तेरे साथ आने से मना कर दिया तो तू हमें अकेला छोड़ ये दुनिया छोड़ने के लिये तैयार हो गया।एक बार भी नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना हमारा क्या होगा। हमारे लिये तो तुम ही तो सब कुछ बेटा।तुम्हारे बिना तो हम जीते जी मर जाते। हम कल ही निशा के घर चलेंगें,हम उन्हे मनायेगें।हमें पूरा विश्वास है वो जरूर मान जायेंगें।"


अपने माँ पापा की ऐसी हालत देखकर राज बार - बार माफी माँगते हुये सोच रहा था कि वो आज कितना बड़ा पाप करने जा रहा था। पर अब चाहे जो हो जाये वो अपने माँ, पापा का दिल नहीं दुखायेगा। उसके माँ ,पापा है तो सबकुछ है। अगर मेरी वजह से उन्हे कुछ हो गया तो वो खुद को कभी माफ नहीं कर पायेगा।

निशा कीअपने माँ पापा के लिये कही बात आज उसे समझ आ गई थी। उसने मन ही मन सोच लिया था कि कल अगर उसके माँ, पापा मान गये तो ठीक वरना हमारे बड़े जो कहेंगे हम वही करेंगें।

दोस्तों:- कभी - कभी हमारे बच्चे प्यार के पूरा न होने पर गलत कदम उठा लेते है। बिना ये सोचे कि उनके इस कदम से उनके माँ बाप पर क्या बीतेगी। आखिर उनके लिये तो उनके बच्चे ही सब कुछ होते है। मैं सभी युवा बच्चों से अपनी कहानी के माध्यम बस यही कहना चाहती हूँ कि ऐसा कुछ भी करने से पहले अपने माँ पापा के बारे में जरूर सोच लें।


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