तुम अब भी मेरे साथ हो
तुम अब भी मेरे साथ हो
गौरी की प्रैग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। डॉक्टर ने जब उसकी प्रेगनेंसीकन्फर्म की ,तब गौरी को समझ नहीं आ रहा था कि ,वह खुश हो या उदास। गौरी को आई वी एफ तकनीकी के जरिये 2 असफल प्रयासों के बाद इस तीसरे प्रयास में माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था।
लेकिन आज जब परिवेश गौरी के साथ नहीं है तो इतनी बड़ी ख़ुशी मिलने का क्या फायदा ? जिसके साथ यह ख़ुशी शेयर करनी थी, वही नहीं है। परिवेश होते तो आज ख़ुशी के मारे नाचने लग जाते। लेकिन परिवेश तो गौरी को इस दुनिया में अकेले छोड़कर एक ऐसे जहान में चले गए हैं; जहाँ से आज तक लौटकर कोई भी वापस नहीं आया है।
उस दिन गौरी और परिवेश दोनों एक साथ ही डॉक्टर के पास तीसरी बार भ्रूण प्रत्यारोपित करवाने के लिए आये थे।
"परिवेश, मुझ से ऐसी क्या गलती हो गयी कि आई वी एफ से भी हमें संतान सुःख नहीं मिल पा रहा है।" गौरी ने निराश होते हुए कहा।
"गौरी ,इस बार भ्रूण प्रत्यारोपण जरूर सफल होगा। तुम अपना दिल मत छोटा करो।" परिवेश ने समझाते हुए कहा।
"गौरी ,इस बार प्रत्यारोपण जरूर सफल होगा।" डॉक्टर ने भी समझाते हुए कहा।
गौरी और परिवेश शादी के पाँच साल बाद भी माता-पिता नहीं बन पाए थे। दोनों की लव मैरिज थी; गौरी के अनाथ होने के कारण परिवेश के परिवार वालों ने कभी भी गौरी को बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया था। लेकिन दोनों अपनी छोटी सी दुनिया में खुश थे।
परिवेश को बच्चे बहुत पसंद थे ,गौरी भी जल्द से जल्द अपना परिवार बढ़ाना चाहती थी। लेकिन वह गर्भधारण नहीं कर पा रही थी। दोनों ने अपने सारे टेस्ट भी करवा लिए थे ;सब रिपोर्ट्स एकदम नार्मल थे। फिर गौरी ने ही परिवेश को IVF तकनीकी अपनाने का आईडिया दिया। परिवेश ने समझाया भी कि गौरी यह तकनीकी बहुत ज्यादा पेनफुल है। तुम्हें सैंकड़ों इंजेक्शन लगवाने पड़ेंगे। सफलता की 100 % गारंटी भी नहीं है। तुम्हें शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरीके से कष्ट उठाना पड़ेगा। जब भगवान् की इच्छा होगी तब हमारे भी बच्चे हो जाएंगे।
गौरी ने ज़िद पकड़ ली थी कि "अब मैं शीघ्र से शीघ्र बच्चा चाहती हूँ।"
परिवेश ने गौरी की बात मान ली थी। सैंकड़ों सुइयाँ गौरी के शरीर पर चुभाई गयी, लेकिन अपने बच्चे को अपनी गोद में खिलाने की ख़्वाहिश के साथ गौरी हर दर्द को हँसते-हँसते बर्दाश्त कर गयी थी। लेकिन जब २ प्रयास असफल हो गए तब गौरी टूटने लगी थी। जब गौरी रात को उठ-उठ कर रोने लग जाती, तब परिवेश उसे समझाते ,उसकी पीठ थपथपाते ,उसके आँसुओं को अपने हाथों से पोंछते, उसे अपने गले लगाते।
उस दिन भी, परिवेश उसे प्यार से समझाते ,हौसला बढ़ाते ,हॉस्पिटल तक लाये थे। परिवेश कहते थे कि, हमारा आने वाला बच्चा हमें फिर से हमारे परिवार से जोड़ देगा। परिवेश के मातापिता ने चाहे उन्हें अपनाया नहीं था ,लेकिन वे कभी उनके दिल से दूर नहीं हुए थे।
"गौरी ,तुम कुछ देर इंतज़ार कर लो। मुझे किसी जरूरी कार्य से ऑफिस जाना होगा .अभी २ घंटे में जाकर वापस आता हूँ।".परिवेश ने कहा।
"तुम आराम से जाकर आओ .मैं मेरा टर्न आते ही प्रोसीड्यूर के लिए अंदर चली जाऊँगी। तुम जब लौटकर आ जाओगे तो साथ ही घर चल चलेंगे।" गौरी ने कहा।
गौरी प्रोसीड्यूर के बाद , होश आने के बाद इंतज़ार ही करती रही लेकिन परिवेश नहीं आया। परिवेश की मृत्यु की न्यूज़ जरूर आयी। परिवेश की कार को किसी बस ने टक्कर मार दी थी और ऑन द स्पॉट परिवेश की मृत्यु हो गयी थी।
और आज गौरी को अपने गर्भवती होने की सूचना मिली है। अब इस बच्चे के रूप में परिवेश हमेशा -हमेशा के लिए गौरी के पास रहेंगे। गौरी को जाते-जाते भी परिवेश जीने की एक वजह दे गए।
