Priyanka Gupta

Inspirational

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Priyanka Gupta

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तुझमें रब दिखता है

तुझमें रब दिखता है

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" डॉक्टर ,आपका अगला अपॉइंटमेंट एक घंटे बाद ही है। ",रिसेप्शनिस्ट ने डॉक्टर रेवा के चेम्बर का दरवाज़ा खोलते हुए कहा। 

"ठीक है ;मधु एक कॉफ़ी भिजवा देना। ",डॉक्टर रेवा ने मुस्कुराकर कहा। 

डॉक्टर रेवा शहर की मशहूर मनोचिकित्सक हैं। ये रॉबिनहुड स्टाइल में काम करती हैं। जो लोग दे सकते हैं ;उनसे खूब फीस लेना और जो देने में असक्षम हैं ;उनका मुफ्त में इलाज़ करना। डॉक्टर रेवा किशोर विद्यार्थियों के लिए एक हेल्पलाइन भी चलाती हैं। किशोर बच्चे परीक्षाओं के दबाव ,घरवालों की डाँट और भी अन्य कई समस्याओं के कारण कभी -कभी ग़लत क़दम उठा लेते हैं। रेवा ऐसे बच्चों की मदद करती है ,उनकी काउन्सिलिंग करती है। 

मधु ने डॉक्टर रेवा के लिए कॉफ़ी भिजवा दी थी। रेवा कॉफी पीते हुए रेडियो सुनने लगी। अपनी पसंद के गाने का लुत्फ़ लेने के लिए रेवा ने अपनी आँखें बंद कर ली थी। बीच -बीच में कॉफ़ी के घूट भी ले रही थी। 

रेडियो पर गाना बजने लगा ,"तुझमें रब दिखता है। " इस गाने को सुनते ही रेवा की आँखों से दो बूँदें लुढ़ककर उसके कपोलों पर आ गिरी थी। "नहीं ,मैं उसकी जितनी कमजोर नहीं हो सकती। मुझे तो अभी बहुत सी ज़िंदगियों को बचाना है ;संवारना है। "

अपने आँसुओं को तो रेवा ने अपने भीतर ही जज़्ब कर लिया था। लेकिन यादों का क्या करें ?यादें चाहे अच्छी हो या बुरी ;इंसान चाहकर भी नहीं भुला पाता है। जब-तब यादों के समंदर में गोते लगा आता है। इस गाने ने भी रेवा को उसके अतीत की याद दिला दी थी ,ऐसे अतीत की जिसे उसने अपने दिल में बरसों से दबा रखा है। 

रेवा और वह दोनों साथ ही में स्कूल में पढ़ते थे। रेवा शाहरुख़ खान की जबरदस्त फैन थी। वह कुछ -कुछ शाहरुख़ जैसा ही दिखता था। रेवा क्लास की सबसे होशियार लड़की और वह एक औसत छात्र था। लेकिन शाहरुख़ की दीवानी रेवा को वह अच्छा लगता था। वैसे भी उस उम्र में इतनी कैलकुलेशन कौन करता है। वह तो बड़े होने पर ही हम अपना स्टेटस ,पद ,पैसे के अकॉर्डिंग ही तय करते हैं कि किससे प्यार करना है और किस से नहीं ?तब ही तो जैसे -जैसे उम्र बढ़ती जाती है ,वैसे -वैसे किसी भी नए रिश्ते में बंधना मुश्किल हो जाता है। सामने वाला इंसान हमारी उम्मीदों पर खरा ही नहीं उतरता। तब ही तो स्कूल जैसे सच्चे दोस्त हमें ज़िन्दगी में वापस नहीं मिलते। किशोर मन केवल इंसान को देखता है ;उसके पद ,पैसे ,प्रतिष्ठा को नहीं। 

वह शाहरुख़ जैसा दीखता ही नहीं था ,उसका तो नाम भी राहुल था। रेवा के दिल की बात वह भी समझता था। राहुल भी रेवा को पसंद करता था ;यह रेवा ने उसे अपनी तरफ कई बार चोरी -चोरी झाँकते हुए देखकर पता कर ही लिया था। बाकी जो कसर बची ,उनके दोस्तों ने पूरी कर दी। दोस्तों ने उनके दिल में लगी आग को भड़काने के लिए उत्प्रेरक का काम किया। बिना एक दूसरे से कुछ कहे ही दोनों लैला मजनूं बन गए थे। 

रेवा 10th क्लास में पूरे जिले में प्रथम आयी ;वहीँ राहुल बस प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण मात्र हुआ था। रेवा डॉक्टर बनना चाहती थी ,इसीलिए उसने साइंस बायो लिया। राहुल रेवा के साथ रहना चाहता था ;इसीलिए उसने भी साइंस बायो लिया।रेवा ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा क्वालीफाई करने के लिए कोचिंग भी ज्वाइन था। दोनों स्कूल और कोचिंग साथ -साथ ही जाते थे। रेवा बराबर राहुल की पढ़ाई में मदद करती थी। 

रेवा और राहुल के दोस्त कई बार मज़ाक में कह देते कि ,"राहुल को तो गर्ल फ्रेंड के साथ -साथ एक पर्सनल टुटर भी मिल गयी है। "तब कई बार राहुल रेवा से नाराज़ भी होता और कहता ,"तुम मुझसे ज्यादा होशियार हो ;इसीलिए मुझ पर अपनी धौंस जमाती हो। "

रेवा उसे समझाती कि ,"तुमने साइंस ली ही क्यों थी ?अब अगर फेल हो गए तो ?"

तब राहुल कहता कि ,"अगर फेल हो गया तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगी ?"

"नहीं ,बुद्धु ;बिलकुल नहीं। ",रेवा कहती। 


रेवा और राहुल दोनों ने 12th उत्तीर्ण कर ली। रेवा का 12th के साथ ही मेडिकल एंट्रेंस भी क्लियर हो गया ,लेकिन रैंक थोड़ी कम आने के कारण उसे निजी कॉलेज में डेंटल मिल रहा था। राहुल को मेडिकल एंट्रेंस क्लियर नहीं हुआ था।

उन्हीं दिनों शाहरुख़ खान की मूवी" रब ने बना दी जोड़ी "रिलीज़ हुआ था। राहुल और रेवा दोनों ही एक -दूसरे को मनाने के लिए 'तुझमें रब दिखता है 'गाना गुनगुना देते थे। कोई कितना ही नाराज़ हो या दुःखी हो इस गाने को सुनकर होंठों पर मुस्कुराहट की लकीरें आ ही जाती थी।


 रेवा ने रैंक सुधारने के लिए दुबारा राहुल के साथ तैयारी शुरू की। अगले प्रयास में रेवा को अपने राज्य के सबसे अच्छे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया ;लेकिन राहुल इस बार भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा क्लियर नहीं कर सका। दो बार असफल होने के कारण घरवालों का उस पर दबाव था। वह तीसरी बार तैयारी कर रहा था। दोस्त भी मज़ाक में कह देते थे कि ,"तुझे तैयारी करने की क्या ज़रुरत है ?रेवा तो डॉक्टर बन ही रही है। उसके हॉस्पिटल को भी सम्हालने वाला तो कोई चाहिए। "

मज़ाक में कही बातें राहुल के दिल में घर बनाती जा रही थी,लेकिन रेवा को कभी इसका भान नहीं हुआ। रेवा अब राहुल को उतना वक़्त भी नहीं दे पा रही थी ,राहुल को लगता था कि रेवा उससे जान-बूझकर दूरी बना रही है। सफल रेवा ,असफल राहुल के साथ कैसे रह सकती है। रेवा उसे बहुत समझाती थी। राहुल ने तीसरी बार एग्जाम दिया और दुर्भाग्य से वह इस बार भी क्लियर नहीं कर सका। 

रेवा ने टूटे हुए राहुल को ढाँढस बँधाया और कहा ,"अगर हम दोनों ही डॉक्टर बन गए तो हमारा घर और बच्चे तो भगवान् भरोसे ही रहेंगे। तुम बी एस सी कर लो और फिर एम बी ए कर लेना।

अंदर से हारा हुआ राहुल ,रेवा की हाँ में हाँ मिलाता रहा था। फिर रेवा को देखकर उसने गुनगुनाया ,"तुझमें रब दिखता है। "

रेवा ने भी गाया ,"तुझमें रब दिखता है। "

"सब कुछ ठीक है। ",यह सोचकर रेवा राहुल से विदा लेकर अपने घर लौट गयी थी।

अगली सुबह रेवा की जब आँखें खुली तो सब कुछ बदल गया था। रेवा और राहुल की कॉमन फ्रेंड जो कि राहुल की पड़ौसी भी थी ,रेवा के सामने खड़ी थी और उसने जो कहा उससे रेवा के पैरों तले की ज़मीन ख़िसक गयी थी। राहुल ने आत्महत्या कर ली थी। रेवा उस फ्रेंड के साथ ही राहुल के घर की तरफ भाग चली थी। 

जिस चेहरे में रेवा को रब दिखता था ,वह चेहरा हमेशा के लिए रब के पास चला गया था। बुत बनी रेवा ,राहुल के शरीर को निहारे जा रही थी। कब वह राहुल के घर से लौटी ,कैसे लौटी ?उसे कुछ ध्यान नहीं था। बस उसे राहुल का चेहरा और वो बंद बोलती आँखें याद थी। 

राहुल ,रेवा की सफलता के कारण उस पर बने दबाव को झेल नहीं पाया था। बार -बार मिल रही असफ़लता ने उसे तोड़ के रख दिया था और वह अपना दर्द किसी को बता पा रहा था ;यहाँ तक कि रेवा को भी नहीं। वह निरंतर अवसाद की तरफ जा रहा था ,लेकिन कोई नहीं समझ पाया था। आज तो फिर भी हम मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाते हैं। सरकार द्वारा भी मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन उस दौर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता नहीं के बराबर थी। रेवा अगर उस समय राहुल को किसी मनोचिकित्सक ले जाती तो ,शायद राहुल उसके साथ होता। रेवा खुद भी तो अवसाद में जाने लगी थी ;तब उसे उसके कॉलेज की मनोचिकित्सक ने सम्हाला था। तब रेवा ने ठान लिया था कि वह भी मनोचिकित्सक बनकर लोगों की मदद करेगी। 

वह अपने राहुल को तो नहीं बचा सकी थी ,लेकिन प्रयास करेगी कि कोई और रेवा अपना राहुल न खोये। पी जी की प्रवेश परीक्षा में भी रेवा की बहुत अच्छी रैंक थी ;तब उसके साथी डॉक्टर्स ने उसे समझाया था कि बच्चों की डॉक्टर बनो ;तुम्हारी रैंक इतनी अच्छी है,मनोचिकित्सा में क्या रखा है। लेकिन तब रेवा ने अपने दिल की सुनी .उसके बाद रेवा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक मुहीम सी छेड़ दी थी। 

रेवा ने न जाने कितने ही किशोर-किशोरियों को अवसाद से निकलने में मदद की। ज़िन्दगी से पूरी तरीके से निराश हो चुके लोगों को उसने नयी उम्मीद दी। आज भी जब कोई किशोर रेवा के पास से मुस्कुराता हुआ लौटता है ;तब रेवा को अपना राहुल याद आ जाता है। आज इतने समय बाद वही गाना सुनकर ,उसका दिल भर आया था। 

"डॉक्टर ,मरीज़ बाहर इंतज़ार कर रहा है। भेज दूँ क्या ?",मधु की आवाज़ से रेवा वर्तमान में लौट आयी थी। 

"हाँ -हाँ भेज दो। ",अपना कल तो बदल नहीं सकी थी ,लेकिन लोगों के वर्तमान को सुधारकर उनका आने वाला कल तो बेहतर बना ही सकती हूँ। यह सोचकर रेवा अपने काम में लग गयी थी। 



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