Kumar Vikrant

Comedy Drama

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Kumar Vikrant

Comedy Drama

टेनिस सुंदरी का प्रेमी

टेनिस सुंदरी का प्रेमी

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"छक्कन दादा अपन का दिल एक हॉकी प्लेयर पर आ गया है.....लेकिन समझ नहीं आ रहा प्रेम की नैया कैसे पार लगे?" ढक्कन प्रसाद उर्फ़ डिप्पी छक्कन दादा की चारपाई के पास अपनी कुर्सी डालते हुए बोला।

छक्कन दादा उस समय अपनी घुड़साल के बरामदे में एक चारपाई पर लेता दोपहर के खाने के बाद नींद लेने के लिए लेटा हुआ था, उसने अपने पास लकड़ी की विशालकाय कुर्सी पर बैठे डेढ़ कुंतल वजन और पाँच फ़ीट के गोलमटोल डिप्पी पर डाली और उबासी लेते हुए बोला, "क्यों बे हॉकी की प्लेयर के चक्कर में क्यों पड़ रहा है, किसी फुटबाल की प्लेयर के चक्कर में पड़ता तो मामला ज्यादा अच्छा रहता.......तू फुटबाल की तरह गोलमटोल है ही........" छक्कन दादा हँसकर हँसकर बोला।

"देखो दादा अब मेरे वजन का मजाक तो उड़ाओ मत.......आपकी मदद की दरकार है, आप मदद करो तो मेरी नैया पार हो जाए......" डिप्पी दादा के पैर दबाते हुए बोला।

"कौन है वो लड़की, मैं तुम्हारी कैसे और क्यों मदद करूँ?" छक्कन दादा उबासी लेते हुए बोला।

"दादा पूरे गुलफाम नगर के आशिकों के सरपरस्त बने फिरते हो और मुझसे पूछ रहे हो कैसे और क्यों.....यही है तुम्हारी सरपरस्ती?" डिप्पी झल्ला कर बोला। 

"अबे मुद्दे पर आ....अगर तेरे जैसों की सरपरस्ती करने लगा तो दो दिन में बिस्तर बंध जायेगा मेरा......" छक्कन दादा अपनी नींद को भगाते हुए बोला।

"दादा उसका नाम रूना है और वो तुम्हारी आंटी लैला की की बेटी है......अब तुम्ही चक्कर चलवाओ मेरा उससे......." डिप्पी उत्साह के साथ बोला।

"रूना के साथ चक्कर चलाना चाहता है, अबे लगता है तेरी शामत आ गई है.....लैला आंटी के हाथों एक बार मेरी मोहब्बत का जनाजा निकल चुका है....... बेटे चक्कर में न पड़, चुपचाप अपनी आंटी की चावल की मिल में काम करता रह; नहीं तो बेटे गुलफाम नगर की बात तो छोड़ तेरे लिए इस हिन्दुस्तान में रहने की जगह न बचेगी.......चल अब दफा सरपट हो जा, नहीं तो बेमौत मारा जाएगा।" छक्कन दादा चारपाई से उठते हुए बोला, उसकी नींद उड़ चुकी थी।

"क्या हुआ दादा? तुम्हारे जैसा धीर-गंभीर आदमी अचानक इतना परेशान क्यों हो गया?" डिप्पी ने चिंता के साथ पूछा।

"बेटे लैला आंटी बहुत खतरनाक है, मोनिका और मेरे इश्क की नैया में उसने ही छेद किया था......" छक्कन दादा चिंतित स्वर में बोला।

"कौन मोनिका?" डिप्पी ने उत्सुकता से पूछा।

"अबे युगोस्लाविया की मशहूर टेनिस खिलाड़ी मोनिका सेलेस......" छक्कन दादा ठंडी सांस भरकर बोला।

"क्या बात करते हो दादा, आप और मोनिका सेलेस? ये मेल कुछ हजम नहीं हो रहा है......" डिप्पी मुस्करा कर बोला।

"अबे हजम नहीं हो रहा तो दफा हो यहाँ से, क्यों मेरे सिर में दर्द करने के लिए बैठा है?" छक्कन दादा फिर से चारपाई पर लेटते हुए बोला।

"दादा गलती हो गई माफ़ कर दो, आप आज भी गुलफाम नगर के सबसे स्मार्ट लोगों में से एक हो.....दादा सुनाओ न अपनी और मोनिका की स्टोरी....." डिप्पी मक्खन लगाते हुए बोला।

"जाने दे डिप्पी, दर्द भरी दास्ताँ है न तू सुन सकेगा न मैं सुना सकूँगा....." छक्कन दादा ठंडी आह भरकर बोला।

"अरे दादा मैं तुम्हें दुखी नहीं करना चाहता लेकिन लैला आंटी ने आपके इश्क की नैया कैसे डुबाई थी ये जानने की बहुत उत्सुकता है।" डिप्पी बोला।

"सही कह रहा है बेटे, आंटी की करतूत बताने के लिए मै तुझे यह दास्ताँ सुनाऊंगा..... नहीं तो मैंने कसम खाई थी कि यह राज मेरे सीने में ही दफ़न रहेगा।" छक्कन दादा चारपाई से उठकर बैठते हुए हुए बोला।

"हाँ दादा सुनाओ......." डिप्पी उत्साह के साथ बोला। 

"बीच में मत टोक बस सुनता रह, बात उन दिनों की है जब मैं डिग्री कॉलेज में पढ़ रहा था तो एक दिन मोनिका सेलेस और स्टेफी ग्राफ का टेनिस मुकाबला टीवी पर देख बैठा, देख क्या बैठा बस मोनिका की ब्यूटी और टेनिस से प्रेम कर बैठा। और लव वन लव टू सुनते-सुनते मोनिका का हर टूर्नामेंट देखने लगा। बात यहाँ तक आ पहुँची की मेरी टेनिस से हुई नई-नई आशिकी की वजह से पिता जी इतने नाराज हुए की उन्होंने गुस्से में आकर मेरे टीवी देखने पर रोक लगा दी। लेकिन मैं टीवी की बजाय मोनिका के दर्शन के लिए स्पोर्ट्स की मैगजीन घर में लाने लगा।" छक्कन दादा बोला।

"फिर क्या हुआ दादा?" डिप्पी ने पूछा।

"तभी यू एस ओपन टूर्नामेंट आ गए और मैंने तय किया अब मोनिका से मिलकर अपनी आशिकी का इजहार करने का टाइम आ गया है, मैंने पिता जी से हाथ पैर जोड़ कर अमेरिका जाने की अनुमति ली, अनुमति मिली लेकिन दो शर्तों के साथ पहली शर्त थी कि मेरे साथ हमारा नौकर घुंघरू जायेगा और दूसरी शर्त थी यू एस के इस टूर में यू एस में रह रही मेरी आंटी लैला हरदम मेरे साथ रहेगी। मुझे घुंघरू और लैला आंटी के नाम से चिढ़ होने लगती थी, लेकिन मरता क्या न करता, मुझे इन दोनों के साथ ही रहना पड़ा।" छक्कन दादा बोलता रहा।

"फिर......."

"फिर क्या बेटे, टूर्नामेंट शुरू हुआ और एक दिन मैं हिम्मत करके मोनिका से मिला और अपनी दोस्ती हो गई और हम अक्सर एक दूसरे से मिलने लगे, मोनिका भी मुझे पसंद करती थी या नहीं ये तो पता नहीं लग पा रहा था लेकिन वो मुझमें रूचि जरूर ले रही थी। मैंने आशिकी के फ़ास्ट ट्रैक पर चलते हुए मैंने मोनिका को प्रपोज करने के लिए अपने फेवरेट इटैलियन रेस्ट्रा में डिनर पर बुलाने का विचार किया और एक खूबसूरत ग्रीटिंग कार्ड पर इन्विटेशन लिख कर घुंघरू को मोनिका के होटल में भेजा। घुंघरू ने बताया कि मोनिका ने तुम्हारा इन्विटेशन पढ़े बिना ही डिनर का इन्विटेशन स्वीकार कर लिया है।" छक्कन दादा एक सेकेण्ड के लिए रूक कर फिर से बोला, "बेटे शाम को जब मैं इटैलियन रेस्ट्रा की तरफ चलने लगा तो घुंघरू भी साथ चलने की जिद करने लगा। जब मुझे लगा कि वो मानेगा नहीं तो मैंने उसे अपने साथ चलने के लायक बनाने के लिए अपना एक सूट दे दिया, वो मेरी कद काठी का था इसलिए उसे वो सूट आराम से आ गया। खैर हम रेस्ट्रा पहुँचे मैं अपनी रिजर्व सीट पर जा बैठा। मोनिका अभी नहीं आई थी इसलिए मेरे साथ घुंघरू भी आ बैठा। कई गिलास पानी पीने के बाद मुझे वाशरूम जाना पड़ा और जब मैं वापिस आया तो घुंघरू टेबल के पास लहू-लुहान पड़ा था उसके मुँह में एक कागज़ का टुकड़ा ठूसा हुआ था। मैंने घुंघरू को उठाया और पूछा क्या हुआ? उसने रो-रो कर बताया कि पाँच हट्टे-कट्टे मुस्टंडे आये थे और तुम्हारा नाम लेकर मुझ पर टूट पड़े और पीट-पीट कर मेरा ये हाल कर दिया और जाते-जाते मेरे मुँह में कागज का ये टुकड़ा ठूँस गए।"

"क्या था वो कागज का टुकड़ा?" डिप्पी ने उत्सुकता से पूछा।

"चिट्ठी थी मोनिका की जिसमें उसने मुझे खरी-खोटी सुना रखी थी और फिर कभी उसके सामने न पड़ने की चेतावनी भी दे रखी थी......लेकिन मैं फिर भी उससे मिलने गया तो उसने अपने बाउंसर से मुझे दफा करने को कह दिया। फिर मेरा दिल टूट चुका था मैं उदास मन से हिन्दुस्तान वापिस आ गया और शराब में डूब गया।" छक्कन दादा ने दुखी मन से बताया।

"फिर कभी मोनिका से मिले?" डिप्पी ने पूछा।

"हाँ दस साल बाद, तब तक मोनिका और मैं दोनों शादीशुदा थे और हम दोनों के कई बच्चे भी थे। मोनिका तब तक कुछ हद तक शांत हो चुकी थी उसने पूछा- मिस्टर तुम तो सभ्य इंसान लगे थे मुझे लेकिन जब तुमने मुझे एक रात्रि के प्रेम के लिए इटैलियन रेस्ट्रा बुलाया तो मेरा दिल टूट गया और मैंने तुमसे मिलने अपने बाउंसर भेजे जो गलती से न जाने किस बेवकूफ को पीट आये......खैर तुम सब मर्द एक जैसे ही होते हो। मोनिका की बात सुनकर मैं बहुत दुखी हुआ और घुंघरू से सच्चाई पूछी तो उसने बताया ये आंटी लैला की करतूत होगी क्योंकि उसने कार्ड अपने पास रख कर घुंघरू को किसी काम से भेज दिया था।" छक्कन दादा बोला।

"अरे ऐसा क्यों किया उसने?" डिप्पी ने पूछा।

" मेरे पिता जी ने ने अपनी बहन, मेरी लैला आंटी की शादी उनकी मर्जी के खिलाफ करा दी थी तो वह तभी से मेरे पिताजी और हर आशिकी करने वाले को अपना दुश्मन समझती है इसलिए उन्होंने मोनिका और मेरी आशिकी से चिढ़कर उसे गलत मैसेज भेजा जिस कारण मोनिका मुझसे नफरत करने लगी और मेरी आशिकी की नैया बीच मझधार में डूब गई.........." छक्कन दादा ने बताया।

"अच्छा दादा तुम्हारी दास्ताँ सुनकर मेरी आशिकी का भूत उतर चुका है, तुम्हारी लैला आंटी ने जब तुम्हें ही नहीं बख्शा अब वो मुझ जैसे का क्या हाल करेगी अब मुझे समझ आ चूका है।" कहकर डिप्पी उठ खड़ा हुआ और सोने की कोशिश करते हुए छक्कन दादा के पास से उठकर बाहर आ गया।


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