Manju Singhal

Tragedy

3.9  

Manju Singhal

Tragedy

त्राहिमाम

त्राहिमाम

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हे ईश्वर यह क्या हो रहा है? यह कैसा समय आ गया है? सब कुछ समझ से परे है.2020 में जब करोना फैला था, आपदाएं आई थी सब के मुंह से यही निकलता था के “अब बस भी करो 2020”. पर उस समय हिम्मत थी कि सब ठीक हो जाएगा और हो भी गया था.2021 आया लगा चलो अब राहत मिलेगी. चल रहा था और कारोबार भी पटरी पर आने शुरू हो गए थे और डर भी कुछ कम हो गया था. ठीक चल रहा था फिर गलती कहां हो गई?मार्च में पतझड़ आया, पेड़ों के पत्ते पीले होकर झड़ने लगे पर अप्रैल आते-आते ऐसा लगा यह यह पतझड़ इंसानों में आ गया है. लोग पत्तों की तरह गिरने लगे. पेड़ों से तो पीले पत्ते ही गिरते हैं पर इंसानों में तो हरे पत्ते कोमल पत्ते गिरने लगे हैं. पूरे के पूरे परिवार खत्म होने लगे हैं, कंधा देने वाला कोई नहीं बचा. अस्पतालों में जगह नहीं है, लोग सड़कों पर तड़प रहे हैं, एक एक कर दम तोड़ रहे है . सांसों के लिए संघर्ष है. ऑक्सीजन की ऐसी कमी ना देखी ना सुनी. श्मशान घाट में अंतिम संस्कार की जगह ना बची और अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी लाइनें लग गई, घंटो का इंतजार करना पड़ रहा है. फोन की घंटी डराती है और टेलीविजन खोलते डर लगता है पता नहीं क्या बुरी खबर मिले. अपने साथ छोड़ गए है. 

कई बार तो लगता है कि कोविड इंसानों के शरीर ही नहीं बल्कि बुद्धि और आत्मा पर भी हमला कर रहा है. इंसान की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और आत्मा मर चुकी है. इस विकराल समय में कुछ लोग ऑक्सीजन दवाई इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे हैं. यह लोग इंसान हैं जो लाशों का कारोबार कर रहे हैं. यह किसी की सांसो की कीमत पर पैसा कमा रहे हैं जबकि लोगों को नहीं पता कि खुद की सांसे कब रुक जाएं और सारा पैसा रखा रह जाएगा.

वहीं दूसरी तरफ इतने अच्छे लोग भी हैं जो दिन और रात दूसरों की मदद में लगे हैं. अपना सब कुछ बेच कर भी दूसरों की मदद कर रहे हैं, शायद ऐसे ही लोगों के कारण दुनिया चल रही है. 

हे भगवान तेरा इंसान तुझे पुकार रहा है अब तो आ जाओ. जब जब पाप बढ़ता है तुम अवतार लेते हो अब आ जाओ और रक्षा करो अपने बंदों की, पुकार सुन लो प्रभु.

किसी के लिखी यह पंक्तियां भगवान से विनती है. “हे दयानिधि रथ रोको अब, क्यों प्रलय यह तैयारी है. यह बिना शस्त्र का युद्ध है जो महाभारत से ही भारी है. कितने परिचित कितने अपने, कितने यू आखिर चले गए, हाथों में दौलत बल , सब क्रूर काल से चले गए. राघव माधव , मृत्युंजय, सुन लो यह अर्जी हमारी है, यह बिना शस्त्र का युद्ध है जो महाभारत से भी भारी है!


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