तथास्तु
तथास्तु
तथास्तु, सुनने में तो केवल एक ही शब्द ही लगता है पर हमने कभी ध्यान नहीं दिया कि इसके मायने कितने गहरे हैं. यह हमारी सोच विचार, बोलचाल हर बात से जुड़े हुए हैं. तथास्तु का अर्थ है “ऐसा ही हो” या तुम्हारी मनोकामना पूर्ण हो. हम कहते हैं कि ईश्वर वरदान देता है. लोग मंदिरों के चक्कर काटते हैं घंटिया बजाते हैं, पूजा पाठ करते हैं और तरह-तरह की मन्नते मांगते हैं. कुछ लोग बहुत दुखी रहते हैं भगवान हमारी सुनता नहीं , हमें तो बस दुख ही दुख मिलते है, हमारे साथ कुछ भी ठीक नहीं होता. पर ऐसा नहीं है यह हमारे सोचने का तरीका है, भगवान वरदान नहीं देता बस हम मांगते हैं, ईश्वर के पास तो बस एक ही शब्द है “तथास्तु”. हम अच्छा मांगे या बुरा, खुशी से या शिकायत करके, ईश्वर के पास तो एक ही शब्द है“तथास्तु”.
इसे समझने के लिए एक कहानी साझा करते हैं. बहुत पुरानी बात है जब आने जाने के कुछ साधन नहीं थे, सब पैदल ही आते जाते थे. एक आदमी पैदल पैदल दूर गांव जा रहा था और रास्ता जंगल से होकर जा रहा था. चलते चलते वह थक गया एक सुंदर पेड़ देखकर उसके नीचे बैठ गया, आराम करने लगा, थोड़ी देर में भूख भी लगने लगी. वह आदमी यह नहीं जानता था की जिस पेड़ के नीचे वह बैठा है वह पेड़ “कल्पवृक्ष” है, मतलब मन की इच्छा पूरी करने वाला पेड़. वह सोचने लगा काश मुझे खाने के लिए कुछ मिल जाए तो आनंद आ जाए, और यह क्या? उसके सामने स्वादिष्ट पकवान आ गए. पेट पूजा की. पेट भर गया बुद्धि ने काम करना शुरू किया सोचा क्यों ना थोड़ा सोना मांग लो जो जिंदगी आराम से कट जाए, हाथ जोड़कर प्रार्थना की मुझे थोड़ा सोना मिल जाए और यह क्या सोना हाजिर हो गया. तभी अचानक उसे डर लगने लगा मैं जंगल में अकेला हू कहीं शेर ना आ जाए और मुझे खाना ले..? तभी अचानक जंगल से शेर आया और उसे खा गया. क्यों? क्योंकि उसने जो मांगा उसे वही मिला क्योंकि ईश्वर ने कहा “तथास्तु”.
हमें वही मिलता है जो हम मांगते हैं. कुछ लोग हर समय शिकायत करते रहते है कि मेरी तो तकदीर ही खराब है, हर इंसान धोखा देता है, मुझे कभी सुख नहीं मिलेगा आदि आदि. फिर वही! ईश्वर कहता है “तथास्तु” उसे कदम कदम पर दुख मिलते हैं धोखा मिलता है परेशानी मिलती है क्योंकि वह उन्हीं की तो कामना हर समय करता है. जो सोचता है वही पाता है. पुराने लोग कहते हैं किस दिन में एक बार जीभ पर सरस्वती बैठती है इसलिए हर समय अच्छी बातें, लो बातें बोलनी चाहिए, क्या पता कब देवी जुबान पर आ बैठे हैं और बोला हुआ सच हो जाए. इसे हम विचारों की शक्ति भी कह सकते हैं.
सदा पॉजिटिव थिंकिंग होनी चाहिए यह बात डॉक्टर और वैज्ञानिक भी मानते हैं. अगर मरीज की इच्छा शक्ति ठीक होने की है तो बड़ी बीमारी भी ठीक हो जाती है अपंग लोग भी पहाड़ पर चढ़ जाते हैं यह सिर्फ किताबी बात नहीं है, अनेक उदाहरण हमारे समाज में बिखरे पड़े हैं. इसीलिए कहा जाता है कि सोच अच्छी रखो और अपने पर और अपने भगवान पर विश्वास रखो, मनचाहा जरूर पूरा होगा. ईश्वर तभी तो कहेगा “” तथास्तु”. कभी नकारात्मक या बुरे विचार मन में ना लाएं क्योंकि ईश्वर तो उन पर भी “तथास्तु” नहीं बोलेगा. तो है ना तथास्तु जीवन का सार? यह केवल एक शब्द नहीं है, इस बात को समझे और जीवन में उतारे, करके देखें कुछ भी असंभव नहीं है. ईश्वर सुनता है. “तथास्तु”.