Patri Baazar
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आज हर जगह बड़े-बड़े मॉल खुल गए हैं, जिन की रौनक देखते ही बनती है. बड़ा से बड़ा ब्रांड वहां मिलता है. और तो और अब तो ऑनलाइन शॉपिंग ने बाजार में क्रांति ला दी है. घर बैठे जरूरत की हर चीज जैसे, राशन, कपड़े, दवाइयां, खाना, क्रोकरी, खिलौने, मतलब एक फोन पर हर चीज घर के दरवाजे पर हाजिर है और पेमेंट भी ऑनलाइन, कहीं कोई झंझट ही नहीं है. पर इस सब के बाद भी एक चीज है जो अपनी पूरी आन बान शान के साथ बरकरार है और वह है - साप्ताहिक बाजार या पटरी बाजार. हरगांव, हर कस्बे हर शहर में यह साप्ताहिक बाजार लगते आ रहे हैं और आज भी इनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है.
दिल्ली में 30 40 पटरी बाजार लगते हैं जिनमें दूर-दूर से दुकानदार हम लेकर आते हैं. सुबह से दुकानें सजाने की तैयारी शुरू हो जाती है. यहां चाकू छुरी से लेकर चारपाई मच्छरदानी तक सब कुछ मिलता है. रंग बिरंगे सामानों से भरी अस्थाई दुकानें ऐसे आकर्षित करती हैं मानो यह सामान सिर्फ यही मिलता हो और कहीं नहीं मिलेगा. गरम गरम जलेबी या पकोड़े, छोले भटूरे की दुकान मुंह में पानी लाती है. ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ गरीब या मध्यमवर्ग ही आता हो. यहां आपको अपर क्लास कहे जाने वाले लोग भी दिखाई दे जाएंगे जो कुछ बचते हुए खरीदारी करते दिखाई दे जाएंगे. भीड़ इतनी होती है के कंधे से कंधा टकराता है फिर भी पटरी बाजार का आकर्षण कितना है कि लोग वहां खींचे चले आते हैं. कितने भी मॉल खुल जाएं, ऑनलाइन शॉपिंग हो जाए पर पटरी बाजार की रौनक कभी कम नहीं होती. इसको नजरअंदाज करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, यह हैं और रहेंगे अपनी पूरी शान के साथ.