Avinash Agnihotri

Drama Tragedy Classics

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Avinash Agnihotri

Drama Tragedy Classics

तितली

तितली

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आज बड़े दिनों बाद गरिमा अपनी बच्ची के साथ एक बगीचे में बैठी है। वहां का प्राकृतिक सौंदर्य अब उन्हें मोहित कर उनके मन के आंतरिक कोलाहल को शांत कर रहा था।

 कि तभी गरिमा की मासूम बेटी नवेली ने उसे फूल पर बैठी एक नन्ही तितली की ओर इशारा करते हुए कहा

देखो मम्मा कितनी सुंदर तितली है। जब ये बड़ी होगी और अपने सुंदर पंख फैला बगीचे में इधर उधर उड़ेगी तब कितनी प्यारी लगेगी ना।

नवेली की बात सुन अब गरिमा को याद आया कि बचपन मे उसकी माँ भी उसे तितली ही कहती थी।पर उस समय उनके पिता की नजरों के अंकुश और फिजूल की रोक टोक। फिर कुछ बड़ी होने पर भैय्या और अब पति के भी ऐसे ही व्यवहार ने तो जैसे उसके पर ही सिल दिये।

जिससे ऊँचाई के वो प्रतिमान जो कभी उसने बचपन मे अपनी कल्पना में सोचे थे। उन पर आज तक पहुँच ही नही पाई। फिर अचानक नव्या के कोमल स्पर्श से गरिमा की वो तन्द्रा टूटी,और उसी नन्ही तितली को देख। नवेली के सर पर हाँथ फेरते हुए गरिमा बोली, नही बेटा ये तितली नन्ही ही ठीक है। भगवान करे ये कभी बड़ी ही न हो।

उसकी बात सुन अब नवेली अपने बाल मन से उसकी बात के गहरे अर्थों को समझने की नाकाम कोशिश करने लगी।


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