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Kumar Vikrant

Crime

3  

Kumar Vikrant

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तीन ठग/अपराध

तीन ठग/अपराध

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910

विनीता ने घर का राशन खरीदा और बड़ा सा थैला उठा कर ऑटो रिक्शा की तलाश में मुख्य सड़क की तरफ चल पड़ी। 

'क्या मुसीबत है, इस शहर में ऑटो मिलना भी किसी चमत्कार से कम नहीं है......' कहते हुए विनीता ने सामने आते ऑटो की तरफ हाथ देते हुए कहा। 

'भैया बुद्धि विहार चलोगे?' विनीता ने ऑटो के पास जाकर पूछा। 

'२०० रूपये......' ऑटो वाले ने जवाब दिया। 

'भैया मुश्किल से तीन किलोमीटर जाना है, २०० तो बहुत ज्यादा है, ५० रूपये दूँगी......' विनीता बोली। 

'मैडम १०० रूपये तो मिनिमम भाड़ा है और बुद्धि विहार से वापसी में कोई सवारी नहीं मिलती है, २०० ही लगेंगे चलना है तो चलो।' ऑटो वाला ऑटो आगे बढ़ाता हुआ बोला। 

'खुली लूट है तुम लोगो की न कोई कहने वाला न कोई सुनने वाला, १०० दूंगी चलना है तो चलो....' कहते हुए विनीता ऑटो में बैठ गई। 

'तो मैं दूसरी सवारी के आने का इंतजार करूँगा मंजूर हो तो बोलो नहीं तो मैं चला।' ऑटो वाला बोला। 

'कर लो इंतजार......' विनीता ऑटो में बैठे-बैठे बोली। 

थोड़ी देर बाद दो अधेड़ पुरुष ऑटो के पास आकर बोले- कृष्णा नगर चलोगे। 

'बैठो, ये तो बुद्धि विहार के रास्ते में है.......' ऑटो वाला बोला और उनके बैठते ही ऑटो आगे बढ़ा दिया। 

कुछ देर बाद कृष्णा नगर के मोड़ पर वो दोनों अधेड़ उतर गए और ऑटो आगे बढ़ गया। 

तभी विनीता की निगाह एक छोटे से पाउच पर गई जो ऑटो के फर्श पर पड़ा था। विनीता ने सावधानी से उठाया और पाउच की चेन खोली। पाउच में चार मोटे-मोटे कड़े थे और देखने में सोने के लग रहे थे। विनीता के मन में लालच जागा और उसने एक बार ऑटो को देखकर वो पाउच अपने बैग में रख लिया। 

तभी ऑटो रुका और ऑटो वाला पीछे की तरफ आकर बोला, 'मैडम जो आपने उठाया है वो अभी उतरी सवारी का है, लाइए मैं उन्हें वापिस कर दूँगा नहीं तो पुलिस के हवाले कर दूँगा।'

ऑटो वाले की बात सुनकर विनीता घबरा गई और बोली, 'बकवास मत कर ये ज्यूलरी तो मैं अभी खरीद कर लाई हूँ।'

'तो बिल दिखाओ, मैडम लालच मत करो बेकार में पुलिस का चक्कर पड़ जाएगा, मैंने तुम्हें वो पाउच फर्श से उठाकर आपके थैले में डालकर देखा है।' ऑटो वाला बोला। 

'तुम ठग हो......मैं तुम्हारी रिपोर्ट पुलिस में कर दूंगी।' विनीता झूठी हिम्मत दिखते हुए बोली। 

'यही तो मैं कह रहा हूँ; चलो पुलिस के पास चलते है, पाउच के गहनों की रसीद तुम्हारे पास हुई तो गहने तुम्हारे नहीं तो पुलिस गहनों को उनके असली मालिक तक पहुँचा देगी।' ऑटो वाला ऑटो में बैठ कर ऑटो को पीछे की तरफ मोड़ते हुए बोला। 

पुलिस के नाम से विनीता थोड़ा घबरा गई थी लेकिन गहनों का लालच न छोड़ते हुए बोली, 'ये मुझे मिले है इसलिए मेरे हुए और तुम चाहो तो आधे तुम रख लो।'

'मैडम ये सब मुझे नहीं आता, हम थाने ही चलते है।' ऑटो लगातार थाने की तरफ बढ़ते हुआ बोला। 

'अजीब पागल हो आधे गहने भी नहीं चाहिए, ये मुश्किल से १० हजार के गहने होंगे, पाँच हजार लो और अपना रास्ता नापो।' विनीता जानती थी कि वो कड़े कम से कम दो लाख के होंगे इसलिए वो ड्राइवर को लालच दिखाते हुए बोली। 

'क्या बात कर रहे हो आप, मुझे तो किसी भी तरह से उस पाउच में ५० हजार का माल लग रहा है।' ऑटो वाला बोला। 

'तो पच्चीस हजार लो और दफा हो जाओ।' विनीता गुस्से से बोली। 

'पच्चीस हजार कैश दीजिए।' ऑटो वाला ऑटो रोकते हुए बोला। 

'ये लो पाँच हजार कैश और बीस हजार की मेरी गोल्ड चैन......' विनीता चैन और रूपये ऑटो वाले के हाथ पर रखते हुए बोली। 

ऑटो वाले ने बुरा सा मुँह बना कर रूपये और चैन ली और बोला, 'ऑटो का भाड़ा तो दे दो।'

'बहुत लालची हो इतने से पेट नहीं भरा तुम्हारा.......मुझे तुम्हारे ऑटो से जाना ही नहीं है, अब दफा हो जाओ।' विनीता ऑटो से उतरते हुए बोली। 

इससे पहले ऑटो वाला कुछ कहते विनीता ने पीछे से आ रहे ऑटो को पकड़ा और वहाँ से चली गई। 

ऑटो वाले ने ऑटो मोड़ा और आगे बढ़ गया आगे मोड़ वही अधेड़ पुरुष खड़े थे। उसने उनके पास जाकर ऑटो रोका और वो दोनों ऑटो में बैठ गए। 

'कितना मिला?' उन अधेड़ पुरुषों में से एक बोला। 

'पच्चीस.....' ऑटो वाले ने जवाब दिया। 

'ऑटो का एक दिन का किराया एक हजार और नकली सोने के कड़ों के दो हजार काटकर २२ हजार यानी तीनों के लगभग सात-सात हजार रूपये।' दूसरा वाला अधेड़ आदमी बोला। 

'सही है यार चेन झपटने से तो ये ठगी का धंधा अच्छा अब कल के लिए ठगी का नया प्लान बनाओ, ये ऑटो वाला प्लान अब दोबारा यूज करना ठीक नहीं है।' कहते हुए ऑटो वाले ऑटो आगे बढ़ा दिया। 


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