थप्पड़ वाली घड़ी
थप्पड़ वाली घड़ी
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सीखना एक सतत प्रक्रिया है। व्यक्ति जीवन भर कुछ ना कुछ सीखता रहता है। सीखने से व्यक्ति के एक भंडार में वृद्धि होती है जिसे अनुभव कहते है।
कई बार कुछ समस्याओं के हल सैद्धान्तिक रूप से नहीं निकलते जिन्हें अनुभव से खोजा जा सकता है।आज कल युवा पीढ़ी जहाँ हर कार्य को निर्धारित नियमों और शर्तों के माध्यम से पूरा करना चाहती है वहीं अनुभवी व्यक्ति अपने ज्ञान से सरलतापूर्वक समस्या को हल कर लेते है।
दो वर्ष पूर्व ऑफिस में बैठे थे तभी साथी शिक्षक का ध्यान दीवार पर टंगी घड़ी पर गया तो उन्होंने देखा कि उसमें समय दो घण्टे पीछे चल रहा है।महोदय ने उठ कर दीवार से घड़ी उतारी और समय को सुचारू कर पुनः दीवार पर लगा दिया लेकिन अगले दिन भी घड़ी का समय पीछे चलता मिला। तब श्रीमान ने तुरंत नई बैटरी मंगवाकर घड़ी में लगा कर समय को अपडेट कर दिया।सोचा कि बैटरी कमजोर हो गयी होगी तो नई लगा देते है अब यह ठीक चलेगी। मगर लगता है घड़ी भी सही समय ना बताने की जिद्द पर अड़ी थी।अगले दिन पुनः घड़ी का समय पीछे चलता मिला तो श्रीमान ने घोषणा की कि ये घड़ी खराब है।
तब वहाँ बैठे एक अनुभवी शिक्षक ने अपना ज्ञान आजमाया और कहा कि घड़ी को नीचे उतार कर थोड़ा थपथपाइये और समय सही करके वापिस लगा दीजिए शायद इससे समस्या का हल हो जाये।
यकीन मानिए दो वर्ष बीत गए आज भी वह घड़ी सही समय बता रही है।एक बार बैटरी जरूर नई लगाई थी परंतु जिसे खराब घोषित किया गया था वो बिना रुके दो वर्ष से निरन्तर समय बता रही है।
सोचता हूँ जीवन में कोई भी समस्या क्यूँ ना हो। थोड़ा रुकिए, विचार कीजिये। समस्या को थोड़ा थपथपाइये, शायद कोई हल निकल आये। परन्तु इस बात का भी ध्यान जरूर रखिये कि हर समस्या का हल थपथपाने से नहीं होता।कई बार थपथपाना महंगा भी पड़ जाता है।
हाहाहा...
खैर... मजाक की बात अलग है परंतु उक्त घटना ने मुझे दो बातें सिखाई। एक तो यह कि समस्या समाधान के लिए धैर्य बहुत जरूरी है दूसरा यह कि अनुभव से समस्याओं के बेहतर हल खोजे जा सकते है।