कंचन
कंचन
पापा की बिगड़ती तबियत देख कर उसने तुरंत उन्हें जयपुर के बड़े हॉस्पिटल में दिखाने का निर्णय लिया। अगले ही दिन अलसुबह वो अकेली उन्हें टैक्सी
में लेकर 250 किलोमीटर दूर जयपुर के लिए रवाना हो गयी। चूंकि उसके जीजा और जीजी जयपुर में ही रहते है उन्होंने पहले से ही सब व्यवस्था कर रखी थी। जाते ही पापा को हॉस्पिटल में एडमिट करवा कर इलाज शुरू कर दिया गया। समस्त प्रकार की जाँचे की गई। रात को वो अकेली ही पापा के पास रुकी। अगले दिन जब रिपोर्ट आई तो पता चला कि वो कोरोना पॉज़िटिव है। ऐसी स्थिति जो भी उनके सम्पर्क में आयेगा पॉजिटिव हो जाएगा। परन्तु पिता तो आखिर पिता है। उनको इस अवस्था में अकेले कैसे छोड़ा जा सकता है। उसने अपनी परवाह किए बगैर पापा के साथ रह कर उनकी देखभाल करने का निर्णय लिया। उन्हें तुरन्त कोरोना वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। पापा की बिगड़ती तबीयत ने उसकी बेचैनी बढ़ रही थी। कोई हौसला देने वाला पास नहीं था। कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट ने सब रिश्तेदार मित्रगणों के पैर बांध दिए। वो अकेली ही अपने पापा की सार सम्भाल में जुट गई। पूरा दिन उनका ध्यान रखती, डॉक्टर नर्स से परामर्श करती समय पर सब दवाइयां देती। हालांकि दीदी जीजा जी पूरी सहायता कर रहे थे परंतु पापा को छोड़ कर वो कहीं जाना नहीं चाह रही थी। पूरे 10 दिन वो अकेली ही दिन-रात हॉस्पिटल में पापा की बनती बिगड़ती तबीयत और मानसिक स्थिति से वो लड़ती रही। पापा से अब ना उठा जा रहा था ना बोला जा रहा था। उनकी दैनिक क्रियाओं को भी वही सम्पादित करवा रही थी। उसके पापा सब भाइयों में बड़े थे। उनके दो छोटे भाई और उनके आगे कुल 6 बेटे थे परंतु मुश्किल की इस घड़ी में किसी ने साथ नहीं दिया। वो बेटी होकर भी बेटों के फर्ज निभा रही थी। उसके पापा की शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं थी परंतु कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आने के चलते उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वो उन्हें लेकर जयपुर के ही फ्लेट में शिफ्ट हो गयी। मम्मी और छोटे भाई को भी वहीं बुला लिया। अगले दिन उन्हें फिर हॉस्पिटल में दिखाया तो डॉक्टर ने बताया कि उम्र ज्यादा होने की वजह से रिकवरी धीमे है और बॉडी पार्ट्स भी कमजोर हो चुके है। आप इनकी घर पर ही देखभाल करें व दवाइयां देते रहें। अब उसने घर पर ही पापा की सेवा शुरू कर दी। समय पर दवा पानी, दैनिक क्रियाओं को बिस्तर पर ही निष्पादित करवाना, पल पल उनका ध्यान रखना। डॉक्टर के बताए इंजेक्शन देने के लिए एक मेल नर्स को भी 10 दिन के लिए लगा लिया। परन्तु होनी को कुछ और ही मंजूर था, इतना सब करने के बाद भी उनकी तबीयत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी। अब तो मुंह से खाना पीना बिलकुल बंद सा हो गया था। वो रात रात भर जाग कर पापा की सेवा कर रही थी। मन में आशंका और भावनाओं के तूफान उमड़ रहे थे। उसने अपना सारा सामर्थ्य पापा की सेहत सुधार में लगा रखा था परंतु शनिवार सुबह 4 बजे के आसपास जब वो पापा के इशारे पर पीने के लिए पानी लेने रसोईघर में गयी और वापिस आईं तो देखा कि वो इस दुनिया में नहीं है। उसने लाख कोशिश कि पर वो पापा को बचा नहीं सकी। वो रो रही थी उसे विश्वास नहीं हो रहा था परंतु ईश्वर के आगे किसी का बस नहीं चलता।
75 वर्ष की उम्र में दुनिया से विदा लेने पर शायद किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ा होगा लेकिन उसके सिर से आज पिता का साया उठ गया। पिता स्वरूप घर के आँगन का विशाल व छायादार वृक्ष आज गिर गया।
इस दुनिया में आना जाना तो सब ईश्वर के हाथ है। मनुष्य तो बस कठपुतली मात्र ही है परंतु कंचन के हौसले और प्रयासों ने समाज के उस वर्ग के मुँह पर जोरदार तमाचा मारा है जो कहते है बुढ़ापे के सहारे के लिए पुत्र का होना आवश्यक है। वो 20 वर्ष से नौकरी करके अपने माता पिता और छोटे भाई बहिनों का सहारा बनी हुई है। छोटे भाई बहिनों की पढ़ाई से लेकर शादी तक का दायित्व। बूढ़े माता पिता की दवा दारू व देखभाल का जिम्मा हो, चाहे विधवा बहिन और उसके दो बच्चों की समस्त जिम्मेदारी, उसने लड़की होते हुए भी बहुत शिद्दत से उठा रखी है। एक लड़की होते हुए भी वो घर चला रही है। अपने निजी जीवन की परवाह किए बिना उसने अपना सर्वस्व परिवार के लिए न्यौछावर कर रखा है।
आपसे उन लोगों को सीख लेनी चाहिए जो कहते है कि लड़कियां कमजोर होती है वो मर्दों का मुकाबला नहीं कर सकती। मुझे लगता कि आप ऐसे मर्दों से कहीं आगे है। जिस जिम्मेदारी से आपने अपने कर्तव्य निभाएं है शायद एक आदमी भी उतनी शिद्दत से ना निभा पाए।
कंचन आप समाज के लिए एक प्रेरणा है, एक मार्गदर्शन है। आप उन सभी लड़कियों के लिए आइडियल है जो परिवार और समाज के लिए कुछ करना चाहती है। आपका हौसला और जज्बा तारीफ ए काबिल है। अपना हौसला आप यूँ ही बनाये रखना। समाज और परिवार को आप जैसी सशक्त नारी शक्ति की नितांत आवश्यकता है। आपके इस जज्बे को सलाम। हमें आप पर गर्व है।
