STORYMIRROR

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

3  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

The 13th अध्याय-32

The 13th अध्याय-32

14 mins
171

उसकी सांसे तेज हो गयी थी.........आंखें बंद पड़ने वाली थी.......मुँह से खून भी निकल रहा था और....वह जमीन पर पड़ा हुआ था!

“हाsssss ह, तुम्हें क्या लगा?...... रेड ऑक्टोपस जो कि पूरी दुनिया में फैला हुआ है उसका बेस इतना कमजोर होगा कि यहाँ पर घुसने वाले छोटे चूहों को भी पकड़ ना सके?” उसके चेहरे पर बड़ा ही भयानक व्यंग था “ये जंग आखिर किस लिए हो रही है? मास्टर संग के लिए.....’हाँ’ और उनका लगबहाग काम तमाम हो भी गया है, एलेनोरा को किडनैप करने की कोशिश किस लिए जब हम इंसानों से ज्यादा ताकतवर आर्मी(Army) तैयार कर सकते है?.........लगता है CIA ने इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं दिया”

ओबर सृजल के बिल्कुल करीब पहुंच गया, उसका दांया हाथ मशीनी था जो काली-चांदी से मिले जुले रंग का था और उसकी कोहनी व कंधे से हल्के नीले रंग की रोशनी निकल रही थी और उसके हाथ हिलने से कुछ मशीनी आवाज भी आ रही थी पर काफी हल्की। उसने सृजल की गर्दन पकड़ कर उसे दीवार पर ऊपर उठा दिया। सृजल की आंखों में अब भी कुछ बेहोशी छाई हुई थी और जिस मशीनी हाथ से ओबर ने सृजल को उठाया हुआ था वह काफी ज्यादा आधुनिक और ताकतवर लग रहा था जिसका इंसानी हाथों से तो कोई मुकाबला हो ही नहीं सकता था!


ओबर के मैकेनिकल आर्म का चित्रण

“पता नहीं क्यों पर मेरे बॉस को तू चाहिए.....” यह बात सुनते ही सृजल के मन में एक विचार कौंध गया “मैं तो तब से ही तुझ पर नजर रखे हुए हूँ जब से तूने रूबी फार्मसूइटिकल के लिए काम करना शुरू किया था। तेरे दोस्त आनंद को यह बोल कर बेवकूफ बनाया कि मैं रशिया में एक फाइटिंग क्लब चलाता हूँ और वह मुझे हर बार तेरी हर तरह की जानकारी देता रहा........ऑफ कोर्स(Of course)! इनफार्मेशन के बदले में उसे काफी पैसे भी दिए पर वह बेचारा यह समझ ही नहीं पाया कि मैं कौन था पर वो रूबी हद से ज्यादा चालक निकली और उस जापानी फाइटर से फाइट के बाद उसने मुझे कभी भी वहाँ पर नहीं आने दिया। इसलिए तो तुझे यहां पर खींचना पड़ा और अब कहीं जाकर.........खाssssssss!”

ओबर अपनी बात पूरी करता इससे पहले ही सृजल ने अपनी कमर में लगा हुआ वो डंडे सा हथियार निकाला और उसे ऑन करने का बटन दबा कर ओबर के फेफड़ों के बीच खाली जगह में दे मारा। ओबर की सांस सी अटैक गयी और उस हथियार के वेग से वो कुछ दूर जा गिरा जिस से सृजल को संभालने का मौका मिल गया।

सृजल के पास जो डंडे जैसा हथियार था उसमें सेग्मेंट्स(Segments) निकल आये थे जिस से उसकी लंबाई कुछ बढ़ गयी थी और वह पीले रंग की ऊर्जा से भर गया था। वैसे तो सृजल को यकीन था कि अगर यह हथियार मास्टर संग ने बनाया था तो कोई आम हथियार तो होगा ही नहीं? और अब यहीं हथियार है जो सृजल कि ओबर से लड़ने में मदद कर सकता है।

“गुड ग्रीफ(Good grief)......” अपनी छाती सहलाते हुए ओबर आराम से खड़ा हो गया जैसे उस पर कुछ खास असर नहीं हुआ हो...और होता भी कैसे? सृजल ने बहुत ही मुश्किल से उस पर वार किया था “लगता है इतनी आसानी से तू हाथ नहीं आएगा.........बॉस से तुझे नुकसान पहुंचाने के लिए बाद में माफी मांगनी पड़ेगी”

अब सृजल को पक्का यकीन हो गया था कि उस आइलैंड पर रूबी नहीं बल्कि वो खुद ही इन लोगों का टारगेट था पर किस्मत अच्छी थी इसलिए बच गया...रशिया में भी अगर UNO(Cia) वाले नहीं होते तो शायद सृजल वहाँ से निकल नहीं पाता... और बच्चों को भी इसलिए ही अगवा किया था ताकि सृजल को बाहर अकेला लाया जा सके। खैर अब जब सृजल को यह बात पता चल गई थी तो वह बिल्कुल भी इनके हाथ नहीं आना चाहता था पर सवाल अब भी वहीं था?.......कि मैं(सृजल) ही क्यों?

“आखिर ऐसा क्या है मुझ में जो तेरे पास नहीं है?.......” सृजल ने भिड़ने से पहले ओबर से जानकारी निकलने की कोशिश की “मुझ में तो कोई खास बात भी नहीं है, और ऐसे में मेरी कोई भी जरूरत मुझे जान नहीं पड़ती?”

“वो सब मैं नहीं जानता........और मैंने जान ने की कोशिश भी नहीं की क्योंकि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो तेरे साथ क्या करने वाले है?......पर अगर बॉस ने यह फैसला लिया है तो कोई जबरदस्त बात तो होगी ही!”

ओबर के शब्द खत्म होते ही उसके कदम सृजल की लपक पड़े, ओबर भी सृजल की ही तरह रशियन मार्शल आर्ट ‘सिस्टेमा(Systema)’ का उपयोग करता था जो क्लोज-कॉम्बैट(Close-combat) में सबसे खतरनाक माना जाता है। बस फर्क इतना था कि सृजल का बेस बॉक्सिंग और जूजूत्सु का था और सेंटर में सिस्टेमा ने जगह बना रखी थी जबकि ओबर पूरी तरह से सिस्टेमा में पारंगत था।

दूरी कम करने में उसे सिर्फ 2 सेकंड ही लगे और उसका मुक्का सृजल के चेहरे की ओर बढ़ चला......’टन्नssssssss...’ जिसे सृजल ने बहुत ही बारीकी से बचाया और ओबर का मुक्का पीछे धातु के दरवाजे से टकराया जिसकी आवाज से सृजल समझ गया कि अगर यह मुक्का उसे पड़ता तो वह पक्का बेहोश हो जाता। सृजल को बाजू से निकलता देख ओबर ने घूमते हुए एक बैक (Back punch) मारा जो सृजल के गाल को छूता हुआ निकल गया। इसी बीच सृजल ने अपने बांये हाथ में वह आधुनिक बाटन(डंडे जैसा हथियार) नीचे की तरफ थाम लिया ताकि ओबर के मशीनी हाथ को पैरी(Parry) कर पाए और सृजल भी अब ओबर से भिड़ गया.................................   

मुकाबला बहुत ही ज्यादा कड़ा था! एक ओर सृजल घायल सा था तो दूसरी ओर ओबर को कोई खास चोट नहीं लगी थी और उसके पास एक मैकेनिकल हाथ भी था जिसकी ताकत से सृजल भली भांति परिचित था। दोनों एक दूसरे के वार से बचते हुए एक दूसरे को मारने की कोशिश में व्यस्त थे जिसमें सृजल किसी तरह से ओबर के मैकेनिकल हाथ को अपने बाटन से दूर रखने की कोशिश में जुटा हुआ था......

ओबर ने अचानक ही क्लोज-कॉम्बैट में मुक्के की जगह कोहनी मारी.....सृजल ने मुक्के को कोहनी में बदलते हुए देख कर तुरंत ही बाटन उसकी कोहनी में मार कर वार बचाया

“धाड़sssssss” पर इसी वार को बचाने के चक्कर में ओबर के बांये मुक्के की ओर उसका रिएक्शन(Reaction) उतना तेज नहीं हो पाया और सृजल का चेहरा मुक्का खाते हुए पीछे की ओर गिरने लगा, ओबर ने जल्दी से अपना मैकेनिकल हाथ सृजल की छाती की ओर बढा दिया क्योंकि सृजल का ऊपरी शरीर पीछे की ओर गिर रहा था और सृजल इस से रिकवर(Recover) नहीं कर सकता था!

“पट्टssssssss...!” जो कि ओबर को लगा था......पर सृजल ने अपने मुक्कों की जगह लेफ्ट हाई-किक(Left high-kick) से ओबर की चिन(Chin) को छिन्न-भीन्न कर दिया, ओबर का सर घूम गया.....वो यह बात कतई भूल गया था कि वो सृजल की रेंज(Range) में आकर उस पर वार करना चाह रहा था। खैर जबड़े में खाई हुई किक का असर होने लगा था, ओबर का बैलेंस बिगड़ गया था....और सृजल को इसी का तो इंतजार था.......

पीछे हटते हुए ओबर के घुटने में सृजल ने एक जबरदस्त लॉ-किक(Low-kick) दे मारी जी से वह दायिनी ओर झुक गया और फिर सृजल ने राइट-हुक(Right-hook) उसके जबड़े में मार कर उसका संतुलन संभलने नहीं दिया हालांकि ओबर ने हाथ से गार्ड करने की कोशिश की पर सृजल का पंच उसके हाथ से बचता हुआ निकल गया। सृजल अब क्लोज-कॉम्बैट के फॉर्म में आ गया और ओबर के बेसंभले हुए वारों से बचता हुआ ओबर पर लात-घूंसों की बरसात करने लगा। सृजल ने लगभग 2 मिनट तक लगातार उसकी धुलाई की पर ऐसा लग रहा था जैसे कोई खास चोट उसे लग नहीं रही थी। अचानक ही ओबर ने सृजल को सर मारने की कोशिश की जिसके जवाब में सृजल ने एक राउंड-हाउस किक दे मारी और......यहीं पर सृजल से गलती हो गयी........ सृजल ने अभी तक ओबर को दाईं ओर से जबड़े में मारा था पर इस बार की राउंड-हाउस किक उसने बाईं तरफ से मार दी या कह लो कि ओबर ने खुद जान बूझ कर वो बाईं किक खाई ताकि उसका संतुलन वापस आ जाये पर जब तक सृजल को यह बात पता चलती, ओबर उसका वार बचाता हुआ बिजली सी फुर्ती से सृजल के पीछे पहुंच गया और एक जोरदार कोहनी सृजल के बाल पकड़ते हुए उसके गर्दन और रीढ़ के जोड़ पर दे मारी......

“आहsssssss.....” सृजल कराह उठा, उसे ऐसा लगा दी जैसे कोई नुकीली सी चीज उसके रीढ़ की हड्डी से टकराई हो

“धाड़ssssss” सृजल ने ओबर का हाथ पकड़ा और अपना एक पैर पीछे ले जाते हुए उसे सीधे जमीन पर दे मारा पर गिरकर संभालते हुए ओबर ने अपने मेकैनिकल हाथ से सृजल का कालर पकड़ा और उसे उठा कर सामने फेंक दिया। सृजल को कोई खास चोट नहीं आई और वह उठ गया...ठीक उसी समय जब ओबर उसके एकदम सामने ही आ गया। ओबर का मैकेनिकल हाथ का मुक्का सृजल के चेहरे से कुछ इंच ही दूर था और इसी वक्त सृजल ने अपनी पूरी ताकत अगली तीन मूव्स(Moves) पर लगा दी!

उसके पास बाटन नहीं था इसलिए उसे अपने मार्शल आर्ट पर ही निर्भर रहना था! ओबर का मुक्का पड़ने से पहले ही सृजल ने अपनी बाईं एड़ी ओबर के दांये घुटने में दे मारी जिस से ओबर का संतुलन आगे की तरफ बिगड़ गया और सृजल ने एक कदम पीछे लेकर ओबर का वहीं मेकैनिकल हाथ अपने बांये हाथ से पकड़ लिया और अपना संतुलन स्थिर किया.......ओबर को यह समझने में ही देर लग गयी कि सृजल का वार क्या होगा? और सृजल ने अपने 5 साल की मेहनत से तैयार की गई खुद की मार्शल-आर्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जो कि ब्रूस-ली के 1इंच-पंच से प्रेरित थी!


“1 इंच किक(One inch-kick)”{original by Srajal yadav)"

वन-इंच पंच: मशहूर मार्शल आर्टिस्ट और एक्टर ब्रूस ली किसी को भी अपने वन इंच पंच से गिरा सकते हैं। वन इंच पंच चीनी मार्शल आर्ट में एक पंचिंग एक्सरसाइज होती है। ब्रूस ली ने इसे मशहूर कर दिया। इसमें टारगेट को 0 से 15 सेंटीमीटर की दूरी से पंच किया जाता है।पॉपूलर मैकेनिक्स के विलियम हर्केविट्ज ने पता लगाया आखिर कैसे ली इतनी ताकत से प्रहार कर पाते हैं। ब्रूस ली को अपनी हर मांसपेशी से अधिकतम शक्ति पैदा करने में महारत हासिल है। स्टैनफोर्ड की बायोमैकेनिकल रिसर्चर जैसिका रोज ने बताया, जब तक ब्रूस ली का हाथ अपने टारगेट को छूता है, उन कुछ क्षणों में वे अपने शरीर की सबसे बड़ी मांसपेशियों से ताकत जमा कर अपने टारगेट को हिट करते हैं। यह पंच कई मसल्स का एक्स्प्लोसिव पावर होता है। इसके पीछे सिर्फ ब्रूस ली की मसल्स ही नहीं हैं।वन इंच पंच जैसे मूवमेंट के लिए समन्वय और टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है। कम समय में सिंक्रोनाइज कर उनके कंधे, कोहनी, कलाई और घुटने सभी एक साथ काम करते हैं। फिर वह पल आता है, जब शरीर तेज गति में आकर अधिकतम ताकत पैदा करता है। सृजल ने ठीक इन्हीं सिद्धांतों का उपयोग पंच की जगह किक पर किया जिस से बहुत ही धमाकेदार प्रहार का निर्माण हुआ।

सृजल की किक जैसे ही ओबर को पड़ी तो एक पल के लिए उसका शरीर सुन्न सा पड़ गया.....और अगले ही क्षण दर्द के मारे पहले उसकी आंखें बाहर निकलने को होने लगी और जमीन पर गिरते-गिरते उसके मुंह से काफी सारे खून निकल गया। उसका शरीर तड़पता हुआ सृजल के सामने ही बेहोश हो गया, सृजल ने उसे दोबारा देखने की कोशिश नहीं की......... क्योंकि वह जानता था कि जब उसने ओबर को किक मारी तभी ओबर की फ्लोटिंग और फाल्स(Floating and False) रिब्स(Ribs) टूट गईं थी साथ ही लिवर और अमाशय को भी गहरी चोट लगी थी जिसके कारण वह बेहोश हो गया था। ओबर से लड़ना इतना ज्यादा मुश्किल था कि सृजल हाँफ रहा था, वैसे तो वह हर हालत में आराम करना चाहता था पर समय की नजाकत उसे इसका आदेश नहीं दे रही थी। उसने जल्दी से अपना बाटन उठाया उसके नीचे की बटन दबा कर उसे पीली ऊर्जा से भर दिया, उसी कमरे के सामने गया जहां से वो अंदर मेन रूम तक गया था जिसका दरवाजा अभी बंद था। बाटन के सिरे को दरवाजे से टिका कर उसने ऊपर लगी एक बटन को दबा कर रख जिस से वह सारी ऊर्जा नीचे की ओर भर गई और बटन छोड़ते ही............”धड़ामssssssss” गुलेल से छोड़े पत्थर की तरह वह ऊर्जा दरवाजे से टकराई और दरवाजा टूट कर अंदर की ओर गिर गया।


सृजल के advance बाटन का चित्रण

सृजल को पता था कि वहां उस कमरे में हथियार के कुछ बक्से रखे हुए थे, जिनमें कुछ डिस्क जैसे देखने वाले बम रखे हुए थे। उसने जल्दी से उन बमों को निकाला, वो बम कंट्रोल किये जा सकते थे, उनका एक कंसोल भी अंदर था जो कि कंप्यूटर से जुड़ सकता था। इसलिए सृजल ने देर नहीं की उस कंसोल को कंप्यूटर से कनेक्ट करके पूरी जगह का मैप उपलोड कर दिया हर एक बम को एक-एक कमरा दे दिया। फिर क्या? सृजल के कंसोल को ऑन करते ही वे सारे बम सामने सृजल द्वारा बनाये गए रास्ते से अंदर की ओर जाने लगे पर उनमें से कोई भी आवाज नहीं आ रही थी......वह सारे बम अपनी-अपनी जगह पर जा कर लग गए

“थम...थम,...थम......” सृजल को रोबोट्स के पास आने की आवाज सुनाई दी जो कि उसी पाइपलाइन वाले रास्ते से आ रही थी जहाँ से सृजल मेन रूम तक गया था और इसी के साथ बमों में अपने आप ही 1 मिनट का काउंटडाउन शुरू हो गया। सृजल जल्दी से लिफ्ट के पास गया और उस लीवर को खींच दिया जिस से पहले सारे दरवाजे बंद हो गए थे और अब वो सारे दरवाजे खुले गए थे, सृजल लिफ्ट का इंतजार करने लगा..........पर लिफ्ट नीचे नहीं आ रही थी बल्कि रोबोट्स के कदमों की आवाज पास आने लगी थी। अब सृजल की फट रही थी...इसलिए नहीं कि रोबोट्स आ रहे थे बल्कि इसलिए क्योंकि बस 30 सेकण्ड्स रह गए थे बमों के फटने में और 3 बम तो सृजल की आंखों के सामने ही थे। अचानक ही उसे कुछ याद आया और वह दौड़ कर गया उसी कमरे में और उन बक्सों में से एक डाइविंग सूट भी निकाल लिया और जल्दी से भाग कर वापस लिफ्ट के पास आया।

वो तो किस्मत अच्छी थी जो सृजल के वापस आते ही लिफ्ट भी नीचे आ गयी, सृजल जल्दी से लिफ्ट में चढ़ गया और लिफ्ट अब ऊपर जाने लगी। तभी सामने वाले रास्ते से 2 रोबोट्स और कुछ रेड ऑक्टोपस के सैनिक आ गए और सृजल को भागते हुए देख गोलियां चलाने लगे(शायद सृजल की किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी) सृजल लिफ्ट के बार्स(Bars) के पीछे छुप गया पर गोलीबारी ने आसपास की दीवार और लिफ्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा दिया। लिफ्ट ने अपने रफ्तार पकड़ ली और सृजल को ऊपर पिट तक पहुंच दिया जहां से सृजल दीवार पर लगी सीढ़ियों से ऊपर पहुंच गया कि तभी एक-एक करके धमाकों की आवाज आने लगी। हफ्ते हुए सृजल ने आव-देखा-ना-ताव जल्दी से बाहर निकला और अंदर जाने के उस गोल से ढक्कन को बंद कर दिया। नीचे बमों के फटने से न सिर्फ धमाका हुआ बल्कि नीचे के बेस में बहुत सारा पानी भर गया सृजल के नीचे की जमीन बहुत तेजी से कांपने लगी मानों भूकंप आया गया हो, सामने जो पानी था किसी ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ा जिसकी आवाज से पूरा इलाका गूंज गया.............................पानी के ऊपर कुछ मलबा भी तैर कर आने लगा। चैन की सांस लेता है सृजल वहीं जमीन पर लेट गया, उसे भी कुछ चोटें लगीं थी पर शुक्र है कोई भी बहुत दिक्कत वाली बात नहीं थी पर देख कर ही समझ आ रहा था कि उसकी पिटाई की गई थी।

(हेलो, कारलोस!) सृजल ने अपने EM ग्लोव से कारलोस से कांटेक्ट किया (मैं यहां से निकल गया हूँ...और मैंने उनका बेस तबाह कर दिया है)

पर कारलोस की लाइन में से कोई भी जवाब नहीं आया.....जिस से सृजल घबरा गया। वह जल्दी से वाहन से उठा उर उस डाइविंग सूट को पहन के पानी में कूद गया, उस सूट में कुछ बूस्टर्स लगे हुए थे जिनकी मदद से सृजल किसी शार्क की रफ्तार से पानी में गुजरने लगा। कुछ ही देर में पानी के अंदर से ही उसे गोलियों और धमाके की आवाजें आने लगीं उसने ऊपर उठ कर देखा तो वह ब्रूकलिन ब्रिज और उस सी-फ़ूड रेस्टोरेंट के बीच वाले रास्ते पर आ गया था, उसने जल्दी से अपना डाइविंग सूट उतार फेंका और ब्रूकलिन ब्रिज की ओर भागने लगा। कि तभी ब्रूकलिन ब्रिज पर एक बहुत बड़ा धमाका हुआ और सृजल एक पेड़ के पीछे छुप गया क्योंकि उस धमाके के वेग ने बहुत गर्म हवाएं छोड़ी थी।

जब सृजल ने हट कर नजर डाली तो उसकी आँखों के सामने ब्रूकलिन ब्रिज के बीच में हुए धमाके से ब्रिज पर आग लग गयी थी और वह ब्रिज भी बीच में से टूट गया था। किस्मत यहाँ पर भी CIA वालों की अछि थी जो उस धमाके की चपेट में कोई भी नहीं आया पर किसी का बाल भी बांका न हुआ हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता था। सृजल कि आंखें तो तब फटी की फटी रह गयी जब उसके सामने यानी ब्रूकलिन ब्रिज की दूसरी ओर 8-10 वैसे ही रोबोट्स थे जैसे अभी सृजल ने रेड ऑक्टोपस के बेस में देखे थे और कुछ भारी बन्दूकबन्द गाड़ियां भी। रेड ऑक्टोपस के ये सैनिक आगे बढ़ रहे थे...वहीं CIA की तरफ से एलेनोरा और कुछ जांबाज CIA के एजेंट्स गाड़ियों के बीच लंबी-लंबी ढालों को लेकर आगे छुपते हुए बढ़ रहे थे...............पर सृजल को कारलोस और बाकी लोग नहीं दिख रहे थे ऊपर से उन रोबोट्स का मुकाबला करना हंसी खेल नहीं था। सृजल ने उसी वक्त खुद से यह वादा कर लिया कि अब वो हिचकिचाएगा नहीं और उसके कदम आगे बढ़ने लगे जैसे अपना जंगल बचाने के लिए कोई शेर अपने दांत दिखाए आगे बढ़ रहा हो...........


नमस्कार दोस्तों

पिछले हफ्ते प्रकाशन नहीं कर पाने के लिए माफी चाहता हूँ पर आज 32वा भाग प्रकाशित हो चुका है और आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा

कुछ ही हफ्तों में The 13th की कहानी का पहला सीजन समाप्त हो जाएगा इसलिए जल्दी ही आपसे आगे की कहानियों पर चर्चा करने के लिए में अपनी आगे की योजना बताऊंगा

तो फिर मिलते है अगले रविवार



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action