# थैंक्यू योगा टीचर "प्योली"
# थैंक्यू योगा टीचर "प्योली"
आज अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर सभी को शुभकामनाएं दी और ली गई उसके बाद सुबह सुबह योगा भी किया गया । मेरी भी इच्छा हुई कि आज मैं भी योगा करूं । 11 साल बाद मैंने आसन लगाया और बड़ी हैरानी हुई कि मैं सही तरीके से आलथी पालथी मार कर ध्यान मुद्रा में बैठ सकी । ऊं का मंत्रोच्चारण के बाद सांसों पर ध्यान केंद्रित किया और धीमी धीमी गहरी सांस लेती रही । उसके बाद अपने दोनों हाथों को ऊपर करने में कामयाब हो गई और एक पांव पर खड़े रहकर भी आजमाया । लगभग बीस मिनट तक योगा किया । इच्छा हो रही थी कि कुछ देर और ध्यान मुद्रा में बैठूं लेकिन प्योली को डर लगने लगा मेरी शारिरिक अस्वस्थता को देखते हुए । मेरी रीढ़ की हड्डी में आई हुई समस्याओं की वजह से मेरा जमीन पर बैठना बिल्कुल मना है । बेड या कुर्सी पर भी एक घंटे से अधिक बैठ नहीं सकती और पंद्रह मिनट से अधिक खड़े नहीं हो सकती हूं । अपने डॉक्टर और फीजियोथेरेपिस्ट के निर्देश पर ही मेरी जिंदगी संचालित हो रही है लगभग दस ग्यारह वर्षों से । आज न जाने कहां से इतनी ऊर्जा मिली जो मैंने ऐसा दुस्साहस किया ? मुझे बेइंतहा खुशी हुई यह देखकर की मेरे शरीर में अभी भी लचीलापन बाकी है । वो अकड़न और जकड़न न जाने कहां गायब हो गया जिसने मेरे साथ सभी को भयभीत कर रखा था । बीते सालों में मैंने कभी कोशिश ही नहीं की । क्योंकि एक्सिडेंट के बाद डॉक्टर ने सख्त हिदायत दी थी और मैं पूरी तरह उनके आदेश का अनुपालन करती रही हूं । आज मेरी प्रेरणा मेरी "योगा टीचर प्योली श्रीवास्तव" मेरे साथ हैं । वो गर्भवती हैं , उन्हें अभी योगा नहीं करना चाहिए मगर मेरी खातिर उन्होंने यह जोखिम उठाई है ।
योगा के साथ एक बड़ी रोमांचक स्मृति भी है जो बरबस आज याद आ गई । बात सन 2004 की है मैं फैजाबाद में रहती थी वहां एक योगा टीचर मुझे योगा सीखाते थें । उन्होंने बहुत कुछ सीखाया , अभ्यास कराया और मेरी जिंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास किया । काफी कुछ सीखने बाद जब उन्होंने शव आसन का अभ्यास कराना शुरू किया तब मुझे बड़ा आनन्द आने लगा । अपने आपको मृत अवस्था में कल्पना करके दिव्य दृष्टि से अपने मृत शरीर को देखना स्पर्श करना और महसूस करना । इस अभ्यास में कुछ निर्देश और संवाद भी होता था । योगा टीचर कहते थे कि सफ़ेद चादर ओढ़ कर सर से पांव तक लेट जाएं और कल्पना करें की आपकी मृत्यु हो गई है और शरीर छोड़कर आप आत्मा के रूप में बाहर निकल चुके हैं और बाहर से जमीन पर लेटे हुए अपने शरीर को देखें और कल्पना करें आप अपने हाथ , पांव , सर और अपने आंखों को छू रहे हैं और महसूस कीजिए अपने शरीर से निकल कर आप कितना हल्का फुल्का और स्वतंत्र महसूस कर रहें हैं । यह अभ्यास जैसे ही शुरू हुआ था कुछ देर में ही मेरी दीदी और जीजाजी अचानक घर आएं और उन्होंने मुझे ज़मीन पर लेटे हुए देखा सर से पांव तक सफ़ेद चादर और उस योगा टीचर का संस्कृत में मंत्रोच्चारण उन्हें भयभीत कर दिया उन्हें लगा की मेरी मृत्यु हो चुकी है । उन्होंने मेरे बच्चों से पूछा ये कब हुआ ? बच्चों ने कहा अभी ही हुआ है । उसके बाद उन्होंने मेरे श्रीमान जी को फोन लगाया बोला कि जल्दी से आइए हम लोग आपके क्वार्टर पर हैं । मेरे पति जो भारतीय सेना में एक महत्वपूर्ण पद पर आसीन थे । इस तरह अचानक नहीं आ सकते थे उन्होंने पूछा क्या बात है बताइए तो ? तब उन्होंने कहा "गुड़िया नहीं रही " यह सुनते ही योगा टीचर हड़बड़ा का खड़े हो गए । फिर बच्चों ने बताया की "मॉम तो योगा कर रही है शव आसन का अभ्यास कर रहीं हैं । " तब तक मेरे पति भी पहुंच गए और सभी ने मिलकर योगा टीचर से कहा कि अब माफ़ कीजिए और कुछ सीखाने की जरूरत नहीं है आप अपनी फीस लीजिए और फिर कभी यहां आने की तकलीफ़ मत कीजिएगा ।
योगा टीचर भी बहुत डर गए थे सो चुपचाप चलते बने । उस दिन के बाद मैंने फिर कभी किसी योगा टीचर से योगा नहीं सीखी । मेरी बड़ी प्योली ने पहले खुद योगा सीखा और बहुत सारी किताबें खरीदी फिर उसने मुझे सीखाया और अभ्यास भी कराया । मगर 2012 में रीढ़ की हड्डी की तकलीफ़ के वजह से मैंने छोड़ दिया था । 2018 से सिर्फ ध्यान लगाया करती थी और अपने सांसों को नियंत्रित करके स्थिर रहने का अभ्यास करती थी । मन की शांति , शरीर की शुद्धि के लिए ध्यान और साधना बेहद मददगार साबित होता है ।
अपनी योगा टीचर श्रीमती प्योली श्रीवास्तव को बहुत बहुत धन्यवाद और आभार प्रकट करती हूं ।