*थैंक यू मम्मी जी*
*थैंक यू मम्मी जी*
" अरे तुम कहाँ उठ रही हो, तुम्हारा भी मोबाइल पूरे दिन बिना सांस लिये बस बजता ही रहता है। ना उसे तुम्हारे बिना चैन है और ना उसके बिना तुम्हें... मैं लाकर देता हूँ", अनुभव ने शीतल से कहा
" जी मम्मी जी, अब तबियत ठीक है...अनुभव तो मुझे उठने ही नहीं देते, पूरे दिन आराम कर कर के थकान होने लगी है", शीतल ने कहा
बहुत देर तक सास बहू की बातें, और गपशप चलती रही और फिर शीतल ने अचानक ही उनसे कहा
" मम्मी जी आपने अनुभव को कितने अच्छे संस्कार दिए हैं जो वो मेरा इतना ध्यान रखते हैं, मेरी इज़्ज़त करते हैं। मैं बहुत से ऐसे आदमियों को जानती हूँ जो पति कहलाने योगय भी नह
ीं। थैंक यू सो मच मम्मी जी"!
" शीतल बेटा, ये तो तेरा प्यार व समर्पण है जो अनुभव को तेरी देखभाल करने को प्रेरित करता है, मैंने तो उसे अलग से कुछ नहीं सिखाया", मम्मी जी ने सहजता से पूरा श्रेय शीतल की तरफ सरका दिया।
" मम्मी प्लीज अगर आप दोनों की बातें खत्म हो गईं हों तो फ़ोन रख दीजिए...शीतल की तबियत ठीक होते ही हम आपसे मिलने आयेंगे। बाय माँ," अनुभव ने शीतल से फ़ोन लेकर अपनी माँ से कहा और उसे जूस का ग्लास पकड़ा दिया।
"बहुत हुई मेरी तारीफ, एक आदमी को सच्चा आदमी पहले उसकी माँ बनाती है और कायम रखती है उसकी पत्नी, अब जल्दी से इसे पी लो", अनुभव ने प्यार से शीतल को कहा।