Swapnil Ranjan Vaish

Drama Inspirational

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Swapnil Ranjan Vaish

Drama Inspirational

आदमियों के साथ भी ऐसा होता है

आदमियों के साथ भी ऐसा होता है

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" निखिल मुझे परेशान मत करो... जाओ यहाँ से ", तरुण ने अपने 6 साल के बेटे को चिल्ला कर डांटा। रसोई में चाय बनाती अनोखी ने सुना तो हैरान रह गई, जो तरुण ऑफिस से लौटते ही निखिल को गोद में उठा लेता था, आज ऐसा क्या हुआ जो वो इतना विचलित हो उठा?

" नहीं बेटा निखिल रो मत... पापा अभी ऑफिस से आये हैं ना और देखो कितनी गर्मी भी है। लो ये ठंडा पानी पापा को दे आओ, और ac भी चला देना फिर देखना पापा खुश हो जायेंगे " अनोखी ने रोते हुए निखिल को चुप करते हुए कहा।

रात तक तरुण चिड़चिड़ा ही बना रहा। सोते समय अनोखी ने बड़े प्रेम से तरुण से पूछा " क्या हुआ है तरुण, आज से पहले तुम्हें इतना टेंशन में नहीं देखा।"

" कोई बात नहीं है अनोखी... तुम परेशान ना हो आराम से सो जाओ, मैं ठीक हूँ।"

" ठीक होते तो मैं तुमसे कुछ पूछती ही नहीं, मुझे नहीं बताओगे तो किसे बताओगे, हम जीवन साथी हैं, सब कुछ बाँटने का वादा हुआ था चाहें ख़ुशी हो या दुख... याद है ना तुम्हें?"

अनोखी की बात सुन तरुण उससे लिपट गया और उसने अपना मन हल्का कर दिया "अनोखी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और निखिल मेरी जान है, मेरी बात को ग़लत मत समझना बस मुझपर विश्वास रखना। मेरी बॉस है ना मिसेस अंजली वो मुझे प्रमोशन दे रहीं हैं, लेकिन उनकी एक शर्त है"

"मैं और निखिल भी तुमसे बहुत प्यार करते हैं, और मुझे तुमपर पूरा भरोसा भी है। प्रमोशन तो अच्छी बात है, लेकिन तुम्हारी बॉस की शर्त क्या है?"

" अनोखी वो प्रमोशन के बदले मुझसे अवैध संबंध बनाना चाहती हैं... आज जब मैं उनके केबिन में गया तो दरवाज़ा बंद करके जबरदस्ती मेरे हाथ अपने शरीर पर फिराने लगी, मैं घबरा गया और वहाँ से भाग गया। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मैं क्या करूँ अनोखी? मैं नौकरी छोड़ देता लेकिन ये प्रमोशन बहुत ज़रूरी है नहीं तो दूसरी कंपनी वाले मुझे वही पुरानी पोस्ट देंगे और सैलरी भी उतनी ही रहेगी"

" क्या... तुम्हारी बॉस इतनी नीच हैं? एक आदमी के साथ भी ऐसा हो सकता है, मैं सोच भी नहीं सकती, पर तुम्हें वो प्रमोशन ज़रूर मिलेगा। ध्यान से मेरी बात सुनो, कल ऑफिस जाते समय एक बटन के जितना कैमरा खरीद लेना और उसे लगा कर अपनी बॉस के पास जाना, फिर जो कुछ होगा उसमें रिकॉर्ड हो जायेगा... ठीक है ना, इससे तुम्हारे पास उसके खिलाफ़ सबूत होगा ", अनोखी ने तरुण को समझाया।

अगले दिन तरुण ने वैसा ही किया जैसा अनोखी ने उसे समझाया था। तरुण बॉस के केबिन में गया और फिर

" आइये मिस्टर तरुण, सुबह से आपका ही इंतज़ार था मुझे। देखिये इंतज़ार में मेरे दिल ने भी काम करना बंद कर दिया था, लेकिन अब आपको देख कर कितनी तेज़ी से धड़क रहा है ", उसने जबरदस्ती तरुण का हाथ खींच कर अपने वक्ष स्थल पर रख दिया। तरुण ने फ़ौरन अपना हाथ हटा लिया और कहा " मैम आपको ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं आप एक अच्छे घर से हैं, प्लीज़ मुझे शर्मिंदा मत करिये। और मेरे प्रमोशन के बदले जो आपने मुझसे अवैध संबंध रखने की शर्त रखी थी, मैं उससे इनकार करता हूँ, मुझे आप जैसी औरत से घिन आती है, धिक्कार है औरत के इस रूप पर"

" अच्छा, तो छोड़ दो ना कंपनी, तुम्हारी जगह लेने के लिए बहुत लोग हैं... समझे और अब प्रमोशन तो तुम भूल ही जाओ", बॉस ने झल्लाते हुए कहा

" मैंने बहुत मेहनत करके ये प्रमोशन कमाया है, उसे लेकर चला जाऊंगा, समझी "

" मैं तेरी बॉस हूँ और मैं तेरा प्रमोशन कैंसल करती हूँ। जा अब "

" इतनी भी क्या जल्दी है मैम... आपको कुछ दिखाना है "

और तरुण ने कैमरे की चिप को लैपटॉप से कनेक्ट कर बॉस की वीडियो दिखा दी, जिसे देख उसके होश उड़ गए और चेहरे का रंग उड़ गया।

" ये क्या है, क्या साबित करना चाहते हो तुम इससे?"

" यही कि तुम कितनी नीच हो और मुझे एक्सप्लॉईट करती हो, अब बताओ ये विडियो पुलिस को दिखाऊँ या ऑफिस स्टाफ को जो तुम्हें बड़ा अच्छा समझते हैं?" तरुण ने तेज़ आवाज़ में पूरी दृढ़ता से बॉस से कहा।

" नहीं, नहीं तरुण प्लीज़ ऐसा कुछ मत करना। तुम जो चाहते हो वही होगा, बताओ क्या चाहिए तुम्हें?"

" मेरा प्रमोशन लेटर और साथ ही रिलिविंग लेटर भी। ये लो मेरा रेसिग्नेशं।"

" मुझे माफ कर दो तरुण, ये लो तुम्हारा प्रमोशन लेटर। लेकिन वो वीडियो अभी डीलीट कर दो प्लीज़", बॉस ने हाथ जोड़ते हुए कहा।

" ठीक है... देखो कर दिया डीलीट, लेकिन मुझे तुमसे घिन आती है। कम से कम अपने औरत होने का लिहाज़ रखा होता ", तरुण ने कहा

आज तरुण बहुत खुश हो घर आया और सारी बात अनोखी को बताई " मेरी मदद करने के लिए बहुत थैँक्स अनोखी, तुम तरकीब नहीं सुझातीं तो नौकरी तो जाती ही और साथ ही इज़्ज़त भी"

" थैँक्स कैसा तरुण, तुम और हम साथी हैं। ये कोई मदद नहीं थी मेरा प्यार था जो तुम्हें उस डायन से बचा लाया", अनोखी ने कहा।

2-3 महीनों में तरुण को अपने पसंद की नौकरी मिल गई और सब अच्छा हो गया।



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