तेरे नाम की लगन
तेरे नाम की लगन


राहुल और सपना बचपन से ही अच्छे दोस्त थे। दोनों के घरों के बीच कुछ दूरी का ही फासला था। दोनों साथ खेलते साथ पढ़ते और ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ गुजारते थे। दोनों के परिवारों के बीच में भी बहुत नजदीकियां थीं। होली, दीवाली चाहे कोई भी त्यौहार हो दोनों परिवार साथ मिलकर ही मनाते थे।
धीरे - धीरे समय बीतता गया। दोनों बड़े होने लगे दोनों 15 वर्ष की उम्र पार कर चुके थे। अब दोनों को एक - दूसरे को देखने का नजरिया भी बदल गया था। राहुल सपना को दोस्त से ज्यादा मानता था, पर सपना के लिए राहुल एक दोस्त से ज्यादा और कुछ नहीं था। वैसे तो सपना भी राहुल को पसंद करती थी, पर उस तरह नहीं जितना राहुल सपना को करता था। राहुल की तो सुबह और शाम सपना से बात किये बिना पूरी होती ही नहीं थी, इतना ही नहीं वो सब कुछ सपना की पसंद से ही खरीदता यहां तक जूते भी सपना की पसंद के ही पहनता था। सपना को राहुल का उस पर इतना निर्भर रहना पसंद नहीं था। राहुल की वजह से ही सपना की और लडकियों से बात चीत कम होती थी। जो की सपना को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। सपना ने राहुल को एक - दो बार कहा भी कि "तुम लड़के हो तो लड़कों के साथ रहा करो।" राहुल ये कह के टाल देता कि "वो बचपन से दोस्त हैं, उस वक्त ये नहीं सोचा तो अब क्यूँ परवाह करें??
सपना जानती थी कि राहुल पर उसकी बातों का कोई असर नहीं होता है, इसलिए वो ज्यादा बहस नहीं करती थी और फिर वो ये भी जानती थी कि राहुल ही वो इंसान है, जो कैसी भी मुश्किल घडी़ हो उसका साथ नहीं छोड़ता। लेकिन ये सब एक दोस्त के नाते ठीक था इससे ज्यादा कुछ नहीं... ऎसा सपना सोचती थी। बस इसी सोच के साथ दोनों की जिंदगी आगे बढ़ रही थी। अब तो स्कूल की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, दोनों कॉलेज में आ गये थे।
उस दिन सपना का पहला दिन था कॉलेज में कुछ सीनियर जूनियर की रेंगिंग कर रहे थे । उसी वक़्त कुछ सीनियर लड़कियों ने सपना को घेर लिया .... ... कहानी जारी रहेगी