STORYMIRROR

Gautam Sagar

Romance

2  

Gautam Sagar

Romance

तारीखों में प्यार

तारीखों में प्यार

3 mins
525

फरवरी 14 ( वसंत की एक खुश नुमा शाम )

आकाश मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकतीअगर हमारी शादी नहीं होती है तो मैं जान दे दूंगी। वे लोग कभी नहीं समझेंगे कि हमारा रिश्ता जन्म -जन्मांतर का है। वे मेरी ख़ुशी की बजाय अपना सामाजिक सम्मान बचाने में लगे है।लेकिन वे नहीं जानते प्रेम की ताकत को।

1 मार्च ( हल्की-हल्की गुलाबी सी ठण्ड )

आखिर मेरे माँ -बाप नहीं माननेवाले। वे कहते हैं कि हम दोनो की जाति अलग है। लेकिन वे यह नहीं जानते प्रेम की कोई जाति नहीं होती


18 मार्च ( फागुन के अलमस्त होलियाना मौसम में )

आकाश तुम्हारे माँ-बाप तो राज़ी है। मैं घर से भाग कर तुमसे शादी कर लूंगी। मैं खुद नौकरी करती हूँ। मेरे फैसले मेरे माता -पिता नहीं ले सकते।


29 मार्च ( गर्मियों ने दस्तक दे दी थी )

आकाश , लो आज कोर्ट में शादी करके हम दोनों एक हो गए। दुःख तो हो रहा है कि मम्मी -पापा की मर्जी के खिलाफ गयी...मगर ...प्यार के आगे दुनिया में कोई चीज़ नहीं है।

1 मई ( चिलचिलाती गर्मी में )

आकाश ! मैं दिन भर ऑफ़िस में काम करके आती हूँ। फिर तुम्हारी माँ के कामों में हाथ बंटाना। तुम्हारी रोज नयी -नयी चाचियाँ, मौसियाँ आती है और कहती है हमारी जाति में यह रिवाज है। वह रिवाज है। पक जाती हूँ सुन सुन कर।


16 मई ( आज का तापमान रिकॉर्ड पर था )

आकाश ! हद हो गयी अब मैं इस घर में नहीं रह सकती। कितने दकियानूसी विचार हैं। कल तुम्हारी बड़ी भाभी कह रही थी। घर में जींस विंस अच्छा नहीं लगता। पति के साथ एक थाली में खाना मत खाओ। "उन दिनों" में तुम्हें चौका में घुसना नहीं चाहिए , नियम का पालन करना चाहिएअब बताओ यार क्या मैं इसलिए शादी की थी। तुम भी मुझे वक्त नहीं देते। अपने बिज़नेस में ही उलझे रहते हो। यार अभी तक हम लोग हनीमून के लिए कहीं घूमने भी नहीं गए हैं।


30 जून ( ओह धूल भरी आंधियाँ चल रही थी ) 

एनफ इज इनफ। आज तो हद ही हो गयी। तुम्हारी बहन मुझे मेरे कास्ट के नाम पर ताना दे रही है। कह रही थी मेरे भाई ने ग़लती कि के छोटी जाति की लड़की से शादी की जो हमारे रिवाज़ों पर सवाल उठती है। आकाश बताओ, क्या मैं गूंगी गुड़िया हूँ कि तेज़ हँसूँ नहीं , तुम्हारे और मेरे कॉमन पुरुष मित्रों से बात करने में उन्हें एतराज हैं।


26 जुलाई (घनघोर बारिश वाली शाम में ):

डैड , आय ऍम सॉरी। मम्मा, आय ऍम सॉरी। मैंने आपलोगों की बात नहीं सुनी। अपनी मनमानी से शादी कर ली। अब मुझे पछतावा हो रहा है। अब मैं उस घर में एक दिन भी नहीं रह सकते। अब आकाश भी मेरा फेवर नहीं करता। काश मैं प्यार व्यार के चक्कर में आप लोगों की कीमती नसीहत को दरकिनार ना करती 


14 अगस्त ( बारिश के बाद सुनहरी धूप खिली थी )

आज मैं आज़ाद हो गई। आकाश और मुझ में आपसी सहमति से तलाक हो गया।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance