आत्मा की सर्जरी

आत्मा की सर्जरी

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“गौरव, तुम श्रीप्रधान को जानते थे न।"  

“कौन ?” गौरव कुछ याद करने की कोशिश करते हुये बोला

“अच्छा वो जो चेन्नई प्लांट का हैड था?”

हाँ, भाई मैंने उसके साथ पन्द्रह दिन एक प्रोजेक्ट पर उसके अधीन कर्मचारी के रूप में काम किया है। बड़ा बेकार आदमी था। हमेशा सिगरेट फूंकता था। यह भी सुना था भी बड़ा खाऊ आदमी भी था। शक्ल से ही दिखता था” गौरव ने बड़े ही घृणा से कहा

आगे उसने पूछा , “अच्छा श्रीप्रधान के बारे में आज क्यों पूछ रहे हो । वो तो कब का रिटायर्ड हो चुका होगा।"

“ग्रुप में मैसेज आया है कि अभी थोड़ी देर पहले उसकी डेथ हो गई। हार्ट अटैक आया था।" 

गौरव चुप हो गया। 

बड़ा बुझा –बुझा घर आया। पत्नी ने पूछा क्या हुआ

उसने पछतावे के साथ कहा , “यार, आज मैंने एक व्यक्ति की पीठ पीछे बुराई कर दी।"

“तो इसमें क्या हुआ सभी करते हैं। क्या उसने तुमसे झगड़ा किया।" 

“नहीं वह आज ही इस दुनिया से चल बसा। यह कहकर वह रो पड़ा।"

“आज से मैं कसम खाता हूँ इस जुबान पर लगाम रखूँगा। कुछ भी कहीं भी बक देता हूँ। सोचो मैंने सुभाष से प्रधान सर के बारे में उल्टा सीधा बका। मैं कौन होता हूँ किसी को जज करने वाला। बिना किसी मतलब के किसी का .....” कहते –कहते वह रो पड़ा। वह अपने ग्लानी के औज़ार से अपने अन्तर्मन के विकार के फोड़े को साफ कर रहा था। उसके आंसूओं से भीतर का विकार बाहर आ रहा था। आत्मा की सर्जरी के बाद इसी प्रकार के फब्बारे छूटते हैं।



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