स्याही का अँगूठा
स्याही का अँगूठा
" शनिवार को मीटिंग है, सभी अपने माता-पिता को बुलाकर लाएंगे।"- मैम ने कहा
मीटिंग में मम्मी आईं। मैम ने हस्ताक्षर करने के लिए रजिस्टर बढ़ाया, "हम अँगूठा लगाएंगे मैडम जी।" मैम ने मेरी तरफ देखकर- "गुड़िया बेटा ? मेरे पास कोई उत्तर नहीं था। आज से पहले मम्मी मीटिंग में आती तुरंत मैम अँगूठा लगाने वाला देतीं, मम्मी अँगूठा लगाकर चली जातीं , मीटिंग खत्म। उस दिन एहसास हुआ कि मम्मी को नाम लिखना तो मै आसानी से सिखा सकती थी। ध्यान ही नहीं दिया।
"कोई नहीं, आज तो आप अँगूठा ही लगा लीजिए।" गुड़िया बच्चे, अगली मीटिंग तक मम्मी को नाम लिखना सिखा देना। आप सिखा सकती हो। मुझे मैम ने जैसे गृहकार्य दे दिया हो।
मम्मी जैसे ही काम के बाद घर आई तुरंत हम स्लेट पर लिखने के लिए बैठे पहले तो मम्मी ने आनाकानी करनी चाही। जैसे ही मैम की बात याद दिलाई मम्मी तुरंत सिखने के लिए मान गईं।
अगली मीटिंग में, मैं मम्मी का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। जैसे मम्मी आईं , मम्मी ने पैन हाथ में लिया अपना नाम रा जे श लिखा धीरे-धीरे, टूटा-फूटा। उस दिन टूटे फटे शब्दों को लिखकर मैं, मम्मी और मैम बहुत खुश थे।
मैम मुझे हैरत, प्रेम भरी नजरों से देख रही थीं। जैसे मैंने क्या कर दिया हो।
आज मम्मी का अँगूठा नीला नहीं हुआ था। अब रात तक मम्मी को अँगूठे की स्याही हटानी नहीं पड़ेगी।