सवाल करता सवाल
सवाल करता सवाल
वह संजीदा होकर पूछने लगी,"बताओ, मर्द को कैसे बांधकर रखा जाता है?"
सवाल सुनने वाली बस उसे एकटक देखे जा रही थी एकदम ठहरी हुई खामोश निगाहों से।
सवाल पूछने वाली ने सर्द लहजे में कहा, "तुम्हारे पास भी इस सवाल का जवाब नहीं है न?"
"अरे नहीं,ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,जवाब तो है लेकिन हम औरतें इसका जवाब देना नहीं चाहती"
"मतलब?क्या कहना है तुम्हारा?"
"वही जो तुम सुन नहीं सकोगी या फिर सुनना नहीं चाहोगी।कोई औरत मर्द को बाँध कर ही नहीं रख सकती।"
सर्द लहजे में कही गयी उस बात से वह जैसे आसमान से जमीन पर आ गिरी।
शादी के लिए उसके जहन में घर से भागते वक्त की उसकी वह सारी बातें कौंध गयी जो वह कहता रहता।आज 'तीन तलाक़' ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।जल्दी ही वह 'दूसरी औरत' को घर लेकर आया था।सब याद करते उसने बुदबुदाते हुए धीरे से सवाल किया,
"आप इस सवाल का ही जवाब दे दीजिये फिर मर्द को दूसरी औरत कैसे बाँध कर रखती है?"
माहौल में जैसे सन्नाटा पसर गया.....
इस सवाल का जवाब किसी के पास नही था।शायद दोनों के पास भी हो या किसी के पास भी न हो.....