सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार

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"क्या हो रहा है ये सुबह-सुबह।"

"वो अब्बू मैं सूर्य नमस्कार ....।"

"किसने कहा तुम्हें ये सब करने को, पता नहीं ये स्कूलों में क्या- क्या सिखाते हैं।"

चिढ़ कर बोला था राशिद।

"तभी तो कहता था.... इसे मकतब में पढ़ाओ,

पर तुम्हारे सर पे तो अंग्रेजी का भूत सवार था ......अब भुगतो।" अब्दुल ने राशिद को उलहाना दिया।

"पर अब्बू ये तो सूर्य नमस्कार है ....। " हामिद ने दलील दी।

"हाँ मालूम है मुझे ...,काफिर बनना है क्या तुझे ?, अरे हिन्दू करते हैं इसे।" खीजकर बोला राशिद।

"क्यों .......अब्बू।"

"क्योंकि देवता है ये उनका।"

"नहीं अब्बू ...हमारी मैम कह रही थी कि....सूरज, चाँद, सितारे, धरती, आसमान ... सब नेचर हैं और ये सबके हैं।" एक साँस में कह गया हामिद।

"अच्छा ज्यादा जबान मत चला।" चिढ़ गया था राशिद।

"दादाजान जब पिछली सर्दी आपको पीलिया हो गया था, तो हकीम जी के कहने पर आप रोज सूरज की धूप लेते थे, अगर ये हिन्दूओं के हैं तो फिर आपने उस से धूप क्यों ली ?"

नन्हे हामिद का सवाल अपनी और आते देख अब्दुल पीठ मोड़ कर लेट गया।

राशिद भी जलती आँखों से हामिद को देखता हुआ बाहर निकल गया।

और... नन्हा हामिद फिर से सूर्य नमस्कार करने लगा, कुदरत का धन्यवाद करने के लिए।


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