Mrugtrushna Tarang

Fantasy

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सुपर ह्यूमन, ध वंडर मिस्ट्री

सुपर ह्यूमन, ध वंडर मिस्ट्री

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"डेविस, मुझें तुम्हारा यह बेहिवियर बिल्कुल पसंद नहीं आया। तुम्हें सुधरना होगा। वर्ना ...."

"वर्ना क्या डेड? यू कांट थ्रो मी आउट ऑफ धिस हाऊस, डेड।" 

कहते ही आग बबूला हुए डेविस के आँखों से और मुँह से अंगारे फूटने लगें। आसपास की चीज़ें खुदबखुद जलने लगीं।डेविस अपना होशोहवास खो चुका था। और उसी बदहवासी में पैर पटकते हुए वो वहाँ से चला गया।


डेविस के फैमली मेम्बर्स उसकी मुड़ स्विंग्स की इस बेहूदगी से काफ़ी परेशान से रहने लगें थे।और दूसरी ओर डेविस था कि वो इन सब बातों में उलझना ही नहीं चाहता था।जो मन मे आया बक देता और फिर एक्सपेक्ट करता कि सामने वाला ही उसे समझें।


आसपास के लोग, डेविस के फ्रेंड्स, क्लासमेट्स और फैमली मेम्बर्स भी बचपन के डेविस की अठखेलियों को और उसके ट्विस्ट एन्ड टर्न वाले मुड़ स्विंग्स बचपना समझकर माफ़ कर देते थे।तो कभी उसकी उटपटांग हरकतों पर उन्हें हँसी भी आ जाती थी।मन ही मन समझते थे, और सुकून की नींद सो लेते ये सोचकर कि बड़े होकर डेविस में समझदारी आ जायेगी और वो खुद ही अपनेआप को बदल देगा।लेकिन,हुआ इसके उल्टा।दिनबदिन डेविस की हरकतें सबको चौंका देने वाली घटने लगीं।क्रोधित होने पर डेविस की निगाहें आग उगलती और, उदास होने पर पानी के फव्वारे उड़ेलती।इन सब कारनामों को बेतुकी बातें बताकर उस पर कोई विश्वास करने को आमादा नहीं होता था।औरदूसरी ओर डेविस के पेरेंट्स फ्रस्ट्रेट हो चुके थे। और उसके छोटे बड़े भाई-बहन भी अपनेआप को डेविस के सिबलिंग्स कहने को राज़ी नहीं होते थे।इससे डेविस का व्यवहार और बिगड़ता जा रहा था।कॉलेज में आते आते डेविस की फीलिंग्स डामाडौल होने लगीं थीं। 

उसे अपनी उन सुपर पावर से कोई सरोकार न रहता था। अपनी सुपर पावर से खुद भी परेशान सा रहता था। क्योंकि उसकी बदहवासी में उटपटांग हरक़तों से उसके कोई दोस्त भी नहीं बन पाते थे।इसी उधेड़बुन में एक दिन तंग आकर डेविस घर से भाग गया।लगातार साइकल चलाकर थक चुका था। रेस्ट करने एक पेड़ की घनी छाँव में अपनी साइकिल को टेककर सो रहा था। नींद गहरी हुई थीं कि, उसके कानों में कुछ बच्चों की कानों के पर्दे फाड़ देने वाली रोने की आवाज़ें सुनाई दी।पहले तो उसे ख़्वाब जैसा महसूस हुआ। और वह दूसरी ओर मुँह करके पैर सीधे कर सो गया।


कुछ पल ही बीते होंगें। डेविस के कानों ने जानी पहचानी सी एक चीख़ सुनी। पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि ये यहाँ कैसे हो सकती है? क्योंकि लगातार दो तीन दिन से वो अपने घर, गाँव और शहर से बहोत दूर तक साइकलिंग करके निकल चुका था। फिर वो ही चीख़ एक और बार उसके क़रीब से गुज़री। मानों वो चीख़ उसे ही सुनाने के लिए निकाली जाती हो!


हड़बड़ाकर डेविस जब उठा तो, सबसे पहले उसने अपनी बड़ी बहन शायला और उसकी बेटी बरिन को आग की लपटों से घेरे हुए पाया। जो उससे कुछ ही दूरी पर थे।लेकिन, आश्चर्य की बात ये थीं कि,डेविस को वो दृश्य साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था।मानों वे दोनों उसके बग़ल में ही तड़प रहे हों।डेविस का मन उदास होने लगा। लेकिन, पानी के फव्वारे उमड़े नहीं। डेविस भी परेशान हो गया।अब जबकि कई लीटर पानी की तांती जरूरत आन पड़ी थी तो डेविस की आँखों से हरदम बहते गंगा यमुना मानों आज सूखी पड़ गई थी।लोगों की चीखें उसकी रूह तक को चीरती जा रही थी और वह लाचारगी में रण में मृगजळ की आस लगायें भगवान को प्रार्थना करने योग्य बन चुका था।अपनी बेबसी पर आज उसे पहलीबार रोना आ रहा था।आज तक जिस सुपर पावर से वो तकल्लुफ़ न रखता था। आज उसे उसी सुपर पावर की जरूरत आन पड़ी थी और वो उसके भीतर होतव हुए भी उसके काम नहीं आ रही थीं।डेविस को ऊनी मिक्स्ड फीलिंग्स पर बहुताहैत क्रोध आया, और अपनी बेबसियों के लिए उदासीन भी होने लगा।

मिक्स्ड फीलिंग्स और बढ़ने लगीं।डेविस ने पहलीबार ईश्वर से इल्तिज़ा की। हाथ जोड़कर अपनी गलतियों की माफ़ी माँगी।और, उसे मिली सुपर पावर के लिए भगवान को थेँक्यू भी कहा। बार बार थेँक्यू गॉड कहते थकता नहीं था।और, चमत्कार हो गया।


मेजिकली, डेविस की उदासी दिल दहलाने वाली साबित हुई।और उस उदासी के चलते ही उसकी आग उगलती निगाहों में से मूसलधार बरसात बरसने लगीं और वे पानी के फव्वारें डेविस की बहन शायला और उसकी नन्हीं बेटी बरिन के साथ साथ उसी कैम्पस में फँसे सभी को बचाने में काम आयें।

इतने सालों में पहलीबार शायला ने डेविस को अपना भाई कहलवाने में गर्व महसूस किया और उस हादसे से बचें तक़रीबन बीस पच्चीस लोगों ने भी डेविस की बहादुरी को सराहा और थेँक्यू कहते थकते नहीं थे।न्यूज़पेपर में भी डेविस की बहादुरी के चर्चे छपने लगे।डेविस भी हैरान तो था कि ये सब उसके साथ ही कैसे हो रहा है और क्यों?लेकिन आज तक उसे इन जैसे कई सवालों के कोई जवाब नहीं मिले थे।अब,फेमस हो जाने पर डेविस के पेरेंट्स और उसके सिबलिंग्स का रवैया 360° बदल गया था।लेकिन,डेविस अपने लिए अभी भी संतुष्ट नहीं था।


उसने फिर एक बार इन्वेस्टिगेटिव मोड़ में अपनेआप को की बी आई या हतप्नोटिज़म के हवाले करने की ठान ली।एक अच्छे साइंटिस्ट की तलाश में डेविस ने एक और बार अपना घर, गली - महोल्ला, चौराहा और शहर तक छोड़ा।कई घंटों की साइक्लिंग चलाने से इस बार भी थकावट को दूर करने के लिए घने पेड़ का किनारा ढूँढ़ ही रहा था कि उसकी नज़र एक रेस्ट हाऊस पर पड़ी।रास्ते पर यहीं कहीं आराम करने से अच्छा उस रेस्ट हाऊस का आधार लिया जाए। ऐसा सोचकर वह उस रेस्ट हाऊस में गया। एक कमरा अपने नाम पर बुक किया और कुछ खास सामान न होने पर उस रेस्ट हाऊस के काउंटर पर खड़े रिसेप्शनिस्ट बुल्ट्सहिं को भी आश्चर्य हुआ।लेकिन,कई हफ़्तों बाद एक कस्टमर मिला था। तो उसने भी कोई खास इंक्वायरी न करते हुए डेविस को एकांतवास दिलवाने योग्य कमरा अलॉट कर दिया गया।

डेविस ने,थकावट दूर करने हेतु से ही रेस्ट हाऊस में पनाह ली थीं।लेकिन, ज़ोरों की भूख भी लगीं थीं तो, उसने केंटीन में जाकर पहले अपने खान पान की व्यवस्था की।डेढ़ पसली सा दिखने वाला डेविस खानेपीने में तगड़ा था।डेविस को केंटीन में पहली नज़र में देख वहाँ के शेफ़ और वेइटर्स ने सोचा था कि, हल्का फुल्का कुछ चटरपटर खाकर ये कस्टमर कट लेगा।लेकिन,उनका वह भ्रम कुछ ही पल में टूटता चला गया।डेविस तीन लोगों का खाना बिना डकार मारे चट कर गया और फिर भी डेज़र्ट के लिए उसके पेट में जगह शेष बची थी।

रेस्ट हाऊस का कस्टमर होने के कारण केन्टीन से निकाल बाहर करना रूल्स के ख़िलाफ़ होता।

   

बाहरी दुनिया से कोई भी क़िस्म का सरोकार न रखने वाला एक ज़माने का डेविस उस फायर दुर्घटना के बाद से बिल्कुल भी बदल सा गया था।हर एक मज़लूमों की हेल्प करनें के लिए उतावला होता था। लेकिन, आज वो खुद ही इतना थका हुआ था कि दूसरों की हेल्प करने जितनी अंदरूनी या बाहरी कोई भी ताक़त उसके पास शिल्लक नहीं बची थीं।बहरहाल, पहलीबार अपनी अक्ल का इस्तेमाल कर उसने आराम करना ही मुनासिब समझा,और,भरपेट भोजन कर लेने के बाद डेविस अपने एकांतवास से कमरे में दरवाज़ें पर 'डु नॉट डिस्टर्ब' का की नींद आज ही पूरी करनी हो। कहीं कल नींद मिलें न मिलें की सोच रखते हुए डेविस ने अपने कानों को भी टाइट बंद कर दिया।क़रीब क़रीब आठ दस घंटों तक आराम करने के बाद डेविस की आँखों ने रेस्ट हाऊस का कमरा न देख कोई और ही एरिया देखा।भूरी आसमानी दीवारों के हर तरफ़ हरे रंग के पर्दे लगे हुए थे। और,डेविस की हिलचाल से उसका बैड कोई व्हील पर हो वैसे लगातार हिल-डुल रहा था। उसने उठने की कोशिश की, लेकिन, उसके दोनों हाथों में कई सारी सुइयाँ लगाई हुई थीं।उसमें से एक बटरफ्लाई सुई कुछ ज़्यादा ही चुभें जा रही थीं।

डेविस, अपनी इस हालत के लिए शॉक्ड था। सपना ही देखता होगा, ये सोचकर उसनें एक बार फिर अपनी आँखें मूँद ली। और कुछ पल भर बाद जब ऑंखें खोली तो उसके सामने की भूखरी दीवारें और हरे रंग के पर्दे अब गायब हो चुके थे।डेविस ने तसल्ली की साँस ली। गॉड को थेँक्यू कहा -

"ऑ गॉड! थेँक्यू वेरी मच। वो हॉस्पिटल लुक वाला डरावना सपना ही था। जो गॉड, आपकी हेल्प से सच न हुआ। थेँक्स गॉड।"और, 

"डेविस डिगल्स, अ सुपर ह्यूमन! राइट!"

डेविस, स्कूल के बाद पहलीबार अपना पूरा नाम सुनकर चौंक सा गया। अपनी आँखें मलते हुए उसके दिमाग़ की बत्तियाँ भी कुछ कुछ टिमटिमाने लगीं।

उसे समझते देर न लगीं कि वो किडनैप हो चुका था। और, किडनैपर्स शायद से बहोत ज़्यादा ही ताक़तवर और ख़तरनाक भी थे।डेविस ने अपनी सुपर व पावर का इस्तेमाल करना चाहा। और उसी आग के गोलों को अपने एक्सट्रीम गुस्से के बलबूते पर अपने बाहर निकालने की भरघोस मेहनत की लेकिन, कुछ बात न बनीं।उल्टा, किडनैपर ने डेविस के आँखों पर एक काले रंग की पट्टी बाँध दी। उसके बाद उसके ब्रेन को भी इंजेक्शन देकर सुन्न कर दिया गया।

अब डेविस के सामने के टेबल पर एक खूँखार जानवर भी बेहोश लेटा हुआ था।डॉ. थ्रोसहोल्ड हिल्बर्ट ने लगातार सोलह घंटो तक डेविस के डी एन ए में खूँखार जानवर का डी एन ए कम्बाइन करने वाला ऑपरेशन गुप्त रूप से किया।


डॉ. थ्रोसहोल्ड हिल्बर्ट ने अपने पागलपंती के चलते खुद से खोजे गए आविष्कार का प्रयोग डेविस पर किया था, ये जानकर की वह अनाथ होगा और उसके आगे पीछे रोने धोने और बिलखने या कम्पलेन करने वाला कोई न होगा।लेकिन, डॉ. डॉ. थ्रोसहोल्ड हिल्बर्ट का पासा उल्टा पड़ गया। डेविस में जन्मजात मिली सुपर पावर में हैवानियत मिल चुकी थीं।इन्सानी शरीर में जानवर की ताक़त का वो बेनमून कॉम्बिनेशन क़हर ढाने लगा था।बड़े से बड़ी इमारतों को तोड़ने के लिए अब डेविस के पावर का इस्तेमाल होने लगा।किसीको डराना हो, या कुछ वसूली करनी हो, या फिर अपनी बात मनवानी हो।CBI और जासूसी उलझनों में भी डेविस की हेल्प लेना आम बात हो चुकी थीं।पुलिस भी अपने हिस्से में आयें कोई भी अनसोल्वड केस को डेविस को सोंपकर निश्चिंत होकर मज़े करते और डेविस, अपने देश के प्रति अपनी ड्यूटी समझकर जीतोड़ मेहनत कर केस सॉल्व कर देता।

एक बार, cbi ऑफिस से अपने घर लौटते वक्त, मेगा स्टोर के पार्किंग लॉट में ही डेविस ने शॉपिंग के बाद जब अपनी साइकिल को स्टैंड पर से बाहर निकालने की कोशिश की, तो, उसे उस स्टैंड के तले दबे मलबे पर की ज़मीन हिलती हुई महसूस हुई।खुदाई करवाने वाले लोगों को इकट्ठा करने तक का समय नहीं है, ऐसी स्ट्रॉन्ग फीलिंग्स डेविस के मन में घूमर रही थीं। अपनी ही बेतहाशा ताक़त का इस्तेमाल करते हुए डेविस ने वो मलबा अकेले ही उठाकर दूर फेंका।और उस मलबे के नीचे दबी लोहे की अलमारी में से एक ज़िंदा लाश को बाहर निकाला।सत्रह साल की एक लड़की की वो लाश थीं जो ज़िंदा थीं। उसकी साँसे मंद मंद चल रही थीं।

डेविस ने आव देखा न ताव, खुद ही अपने कंधों पर उठाए हॉस्पिटल ले गया। डॉक्टर्स की जदोजहद मेहनत को सफलता हाँसिल हुई और वो लड़की बच गई।पूरे विश्व में डेविस का बोलबाला मचलने लगा।डेविस का नाम 'मसीहियत' की क़िताब में ऊँचा स्थान पा चूका था।लेकिन,अंदरूनी तौर पर वह अपनी ही सुपर पावर से डरता रहता था।उस सुपर पावर का दूसरा पहलू भी था जिससे उसके अपने भी बेख़बर थे।और,डेविस को भी उस डार्क सीक्रेट्स के उजागर होने का डर लगा रहता था।इसिलिये जब भी फैमली मेम्बर्स उसकी शादी की बात छेड़ते, तो वो अपने आपे में न रहता।किसीके सामने कुछ उगल न दे उस डर से कभी किसीके साथ नशा भी न करता। और, पार्टियों से भी दूर ही रहता।लड़कियों की तरफ़ हमेशा अपनी ऑंखें और निगाहें झुकायें रखता। दोस्ती तो बहोत दूर की बात थीं।


एक ज़माने में जिससे डेविस को मोहब्बत थीं। पर उसके मुड़ स्विंग्स के चलते कोई उसका क़रीबी न बन सका था। उसी दौरान एर्क्सलेबेन डेविस को पसंद करती थीं और उसके मूड स्विंग्स को झेलने के लिए भी राज़ी थीं।लेकिन,डेविस का यूँ बार बार घर से भाग जाना एर्क्सलेबेन की फैमली को मंज़ूर न होने के कारण डेविस कभी न जान पाया कि कोई खास था जो उसे उसकी विकनेसिस के बावजूद बेइन्तहा चाहता था। शायद अभी भी चाहता है।और,डेविस के पुकारने की हद में इन्तज़ार कर रही है।डेविस के उनतालीसवे सालगिरह पर फैमली गेट टू गेधर में बेवज़ह दो निगाहें डेविस को खोज रही थीं।

   

हमेशा की तरह आज भी डेविस सबसे बचते बचाते हुए फ़्लोरा फाउन्टेन के किनारे ऑरेंज ज्यूस का आधा खाली ग्लास लिए लॉन पर टहलते हुए सॉफ्ट म्यूज़िक का मज़ा लूट रहा था की, सामने से एक मोहतरमा डेविस की ओर आगे बढ़ी और अपने ग्लास का कॉकटेल डेविस के ग्लास में उड़ेलती हुई वहीं ढेर हो गई।सुपर पावर के साइड इफेक्ट्स के तहत डेविस में जाग उठते उस वैम्पायर को धर दबोचने की जद्दोजहद में आज वह नाक़ामयाब रहा।और,डेविस की प्रेमिका एर्क्सलेबेन, जो एक मशहूर सायकायट्रिस्ट थीं। डेविस की केस हिस्ट्री पढ़कर ही उसकी निजी तौर पर हेल्प करने के लिए कुर्बान हो गई।

डेविस,'सुपर ह्यूमन' का ख़िताब जीतकर खौफ़नाक नहीं बना था, फिर भी, अपनी अंदरूनी बुराइयों पर विजय नहीं पा सका था।और, उसीके चलते, वो, इमोशनलेस बन चुका था।उसके इमोशन्स को जड़ से बाहर निकलवाने के लिए एर्क्सलेबेनने अपनी ज़िंदगी दाव पर लगा दी।डेविस ने अपनी उनतालिसवीं सालगिरह की रात एर्क्सलेबेन के साथ बिताई और शहीद हो गया।

   


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