Kumar Vikrant

Crime

3.2  

Kumar Vikrant

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सुपारी

सुपारी

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212


पूजा आज बहुत खुश थी, उसका भटका हुआ विशाल उस जादूगरनी दिवा का साथ छोड़कर उसके पास आ गया था। गर्मी की उस उमस भरी शाम वो अच्छे-अच्छे पकवान बना कर विशाल को रिझाना चाहती थी, ताकि वो उसे छोड़कर कभी ना जाये, लेकिन विशाल ने सेंट्रल पार्क में घूमने का प्रोग्राम बनाया। एक घंटा सेंट्रल पार्क में वाक, उसके बाद फ्रेश होकर सिटी मॉल के कार्निवल सिनेमा में, 'द अनफेथफुल,' का ०८:३० वाला शो देखना और फिर घर वापिस आ कर पिछले एक साल का हिसाब-किताब पूछना-बताना।

"क्या हुआ विशाल इतने टेन्स क्यों हो, वापिस आ कर खुश नहीं हो क्या?" पूजा ने विशाल के हाव-भाव को देखते हुए कहा।

"ऐसा कुछ नहीं है डियर, थोड़ा गर्मी और उमस से बेचैनी सी हो रही है।" विशाल ने पूजा की और देखते हुए कहा।

"मैंने तो पहले ही कहा था घर पर ही रहते हैं.............." पूजा ने विशाल के हाथ को अपने हाथो में लेते हुए कहा।

तभी मौसम बदला, बादल घिर आये और ठंडी हवा बहने लगी।

"मौसम कितना सुहाना हो गया है, लगता है बारिश होगी। ऐसी ही बरसात में तुम मुझे छोड़कर उस नागिन दिवा के पास चले गए थे ना" ,पूजा ने आँखों में आँसुओ के सैलाब को रोकते हुए कहा।

"जो बीत गया उसे भुला दो पूजा……………" विशाल ने अपने चारो और देखते हुए कहा।

अब वो पार्क के सुनसान हिस्से में आ गए थे, वहां इक्का-दुक्का आदमी ही नजर आ रहा थे।अचानक तेज बारिश शुरू हो गई और वो दोनों बारिश से बचने के लिए एक घने पेड़ की और भागे। बारिश इतनी तेज़ थी की पेड़ की छाया भी उन्हें बारिश से बचा नहीं पा रही थी। वो दोनों अभी संभल भी नहीं पाए थे की एक आदमी काला रेनकोट पहने बारिश के पर्दे से निकल कर उनके सामने आ खड़ा हुआ। उसके हाथ में लम्बी बैरल की रिवाल्वर थी, उसने बिना कुछ कहे पूजा की और रिवाल्वर की बैरल की और ट्रिगर दबा दिया। क्लिक की मंद आवाज़ हुई, लेकिन फायर न हुआ। उसने पाँच बार फिर ट्रिगर दबाया लेकिन फायर नहीं हुआ।

"बेवकूफ, तेरी घटिया रिवाल्वर बारिश की वजह से जाम हो गयी है, अब कुल्हाड़ी निकाल कर काट डाल इसे.........." विशाल चिल्ला कर बोला।

उस रेनकोट वाले ने अपनी बेल्ट से स्टील की बनी एक कुल्हाड़ी निकाली और तेज़ी से पूजा की और बढ़ा। तभी वातावरण में घोड़ो के दौड़ने की आवाज़ गूँज उठी, वो काला साया ठिठका और फिर दौड़कर बारिश में गायब हो गया।बारिश के पर्दे से चार ऊँचे घोड़ो पर खाकी रेनकोट पहने चार पुलिस अफसर उनके सामने आ खड़े हुए।

"क्या कर रहे हो आप लोग इधर, आज इस पार्क में मशहूर सुपारी किलर स्नेक देखा गया है। आप लोग तत्काल यहाँ से निकल जाये।" —एक पुलिस अफसर सतर्कता से चारो और देखते हुए बोला।

घुड़सवार पुलिस अफसर ने जोर से मेटल सिटी बजाई, और तभी कही से चार कांस्टेबल आ गए।

"इन दोनों को सुरक्षित पार्क से बाहर छोड़ दो, तब तक हम स्नेक को तलाश करते हैं।" कहकर सारे घुड़सवार बारिश में गायब हो गए।

दस मिनट बाद वो दोनों पार्क से बाहर थे, पुलिस वाले उन्हें पार्क के बाहर छोड़कर स्नेक की घेराबंदी में शामिल हो गए।पूजा सब समझ चुकी थी वो टूट चुकी थी। दगाबाज़ विशाल ख़ामोशी से बारिश में गायब हो चुका था। अब पूजा थी, उसकी आजादी थी, उसकी तन्हाईया थी।उसके लगातार बहते आँसू बारिश के पानी में घुलते जा रहे थे।


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