सुनहरे पल
सुनहरे पल
ट्रिंग - ट्रिंग ....फ़ोन की घंटी की आवाज़ से सुमन की नींद खुली पर बिना फ़ोन उठाए फिर से सो गई देर तक घंटी की आवाज़ सुनकर अनमने मन से उठती है और फ़ोन उठाती है। दूसरी तरफ़ से अर्चना की चहकती आवाज़ सुनाई दी माँ शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई ,पापा को भी उठाओ न मैंने सुरेश को उठाया और फ़ोन देते हुए कहा आपकी लाड़ली ..सुरेश ने भी चहकते हुए कहा हाय बेटा क्या बात है पापा शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई हम दोनों ने एकसाथ कहा थैंक्यू उसने कहा बाद में बात करूँगी आप दोनों सो जाइए अभी फ़ोन रखा ही था कि तभी बेटे का फ़ोन आया माँ आप दोनों को शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई मैंने दी से पहले विश किया न ये दोनों तो माँ बाप बन गए पर बचपना नहीं गया सोच रही थी उसने भी यही कहा बाद में बात करूँगा अभी सो जाओ।
सुरेश तो जल्द ही सो गए पर मेरी आँखों से नींद कोसों दूर चली गई और यादों ने आकर मुझे घेर लिया ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो ...
माँ ने कहा तुझे बुआ के साथ उनके घर जाना पड़ेगा वे बहुत दिनों से तुझे अपने साथ उनके घर तुझे ले जाना चाहती थी।मैं ख़ुश हो गई क्योंकि बुआ मेरे लिए प्यारी थी।
दूसरे दिन मैं उनके साथ चली गई। दो दिन बाद फूफा जी किसी लडके को अपने साथ लाए लड़का एल आई सी में काम करता है माँ बाप तीन भाई हैं बहन नहीं है
थोड़ी देर बात करने के बाद वे लोग चले गए,।
तीन दिन बाद फूफाजी मिठाई लेकर आए और कहा बेटा तू तो परीक्षा में पास हो गई मुझे समझ में नहीं आया कि कौनसी परीक्षा मेरे चेहरे के भाव देखकर हँसते हुए कहा ज़िंदगी की शुरुआत की परीक्षा उन्हें तू पसंद आ गई है। मैं कुछ नहीं बोली सिर्फ़ सुना बस। बुआ बहुत खुश थी कि उसने भाई की मदद कर दी है चल अब घर चलते हैं कहते हुए वापस मुझे ले आई।दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला मैं छुई-मुई सी ससुराल पहुँची संयुक्त परिवार पति की व्यस्तता घर के काम सबकी देखभाल इन सब के बीच दिन बीतते गए साल गुजरते गए। बहुत सारी खट्टी मीठी यादों के साथ ही दो फूल खिले आँगन में उनकी किलकारियों और शरारतों से पूरा घर खिला खिला रहता था।
बच्चों के बड़े होते ही मैंने भी अपने आप को व्यस्त कर लिया। नौकरी और घर की ज़िम्मेदारी को सँभालते हुए ही हमने बच्चों की शादियाँ भी करा दी। कुछ ही सालों में एक नन्हा सा नाती गोद में आया मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगी नानी वाह क्या बात है मैं तो नानी बन गई। ख़ुशी के बहुत ही खूबसूरत पल जिन्हें बयान नहीं सिर्फ़ महसूस ही किया जा सकता है। नानी बनकर अभी कुछ ही समय हुआ मैं सो रही थी किसी ने हौले से मुझे पुकारा दादी पोते की आवाज़ से ऐसा लगा भगवान ने बहुत सारी ख़ुशियाँ मेरी झोली में डाल दिया है। मुझे तो लग रहा था कि मुझसे ज़्यादा खुश क़िस्मत है कोई। पोते ने तो सबको अपनीं बातों से अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया है।
शादी के चालीस साल का लंबा सफ़र ऐसे गुजर गया जैसे जीवन के कुछ पल। यादों को समेटे मैं कब नींद में डूबी पता ही न चला। डोर बेल की आवाज़ सुनाई दी और मैंने दरवाज़ा खोला कामवाली बाई थी। बीते हुए दिनों से यही तो दिक़्क़त है कि वे वापस आते ही नहीं बस हम बोलते ही रह जाते हैं कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन कहाँ से लौटाएगा कोई वह भी तो बीते दिनों को याद करते हुए कहता है कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन।