सुबह का भूला

सुबह का भूला

6 mins
530


अदिति परेशान हो गई थी समर के रोज रोज के बहानों से, अब उसके मन मे शक का कीड़ा बिलबिलाने लगा था आखिर क्या कारण है जो रोज समर ऑफिस से देर रात आने लगा था, दो बच्चों का पिता अपनी जवाबदारियों को दरकिनार कर आखिर क्या गुल खिला रहा है कुछ तो पता चले, पर कैसे, कैसे।वह पागलों की तरह बालकनी में चहलकदमी करने लगी लग रहा था गुस्से से उसका दिमाग फट जाएगा।

गेट खुलने की आवाज आई, बालकनी से ही झाँक कर देखा तो पड़ोस के शर्मा दम्पत्ति थे जो डिनर बाहर कर वापिस लौट थे।

उनके हंसने, खिलखिलाने की आवाज से उसके सीने में सांप लौटने लगा, आखिर क्या हो गया है समर को, शादी के पहले के वादे, कसमे कहां गए सब उसे कॉलेज का टाइम भी याद आ गया जब सबकी नजर छिपाकर दोनों मिलते थे, क्या दिन थे वो, शादी के बाद दो बच्चे हो गए और अब तो बच्चे भी बड़े हो गए, दोनो ही जॉब कर रहे हैं, अब बस उनकी शादी करनी है, उसने तो कह भी रखा है तुम लोगो की नज़र में कोई अच्छा मैच हो तो बता देना, हमे खोजना भी नहीं पड़ेगा, पर दोनो की मर्जी है माँ आप ही ये शुभ कार्य कर लेना।

दिन में तो वह कॉलेज जाती है, वह लेक्चरर है अंग्रेजी पढ़ाती है लड़के लड़कियों को।स्वयम की ज़िंदगी से संतुष्ट पर अब समर के रवैये से उसे लगा उसके जीवन मे पक्का ही कोई भूचाल आने वाला है, आने वाले तूफान की खामोशी उसे परेशान कर रही थी।बच्चे भी आफिस से आकर खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए काफी देर पापा का वेट उन्होंने भी किया पर उसने ही उन्हें जबर्दस्ती खाना खिलाकर उनके कमरे में भेज दिया क्या हो गया है समर को उसका दिमाग भी काम नहीं कर रहा था, उसकी भी पलकें बन्द हो रही थीं वह भी कॉलेज में आज काम होने की वजह से थक गई थी।

दो तीन बार कॉल कियापर समर तो फ़ोन ही नहीं उठा रहा, तभी गेट के खटकने की आवाज आई झांककर देखा तो समर गाड़ी पार्क कर रहा था।समर के ऊपर आते ही उसने सवालों की झड़ी लगा दी "कहाँ थे इतनी देर, रोज क्यो देर हो रही है, मैं यहाँ कब से तुम्हारा वेट कर रही हूँ, बच्चे भी पूछ रहे थे तुम्हारे बारे में।

समर ने ज्यादा कुछ नहीं कहा बस बोला "आजकल ऑफिस में काम ज्यादा है, बस इसीलिए "

"खाना "

"बाहर ही खाते हुए आ गया, मैंने सोचा तुम सब सो गए होगे "

वह चौँकी "काम ज्यादा, खाना बाहर "

समर चेंज करने बाथरूम में घुस गया।

उसने भी अपने मन को डांट लगाई क्या क्या सोचते रहती है।

अगली सुबह सब साथ नाश्ता कर रहे थे, सब कुछ नॉर्मल, कुछ हुआ ही ना ही हो जैसे।

बच्चे अपने काम मे निकल गए, वह भी तैयार हो गई, समर ने कहा "आज मैं देर से जाऊंगा ऑफिस"

"तुम कहो तो मैं आज छुट्टी ले लूं, तबियत तो ठीक है"

"हाँ, मैं ठीक हूँ तुम जाओ भई, मैं भी एक घण्टे बाद निकल जाऊंगा, कसम बहुत है मुझे भी "

"श्योर "

"अरे हाँ भई "

उसने अपनी कार ली और कॉलेज निकल पड़ी, मन में अभी भी द्वंद चल रहा था, क्या हुआ समर को।कॉलेज में तीन बजे तक पढ़ाने के बाद बिल्कुल भी मन नहीं लगा, वह छुट्टी लेकर घर वापिस निकल गई,

उसकी साथ वाली मैडम मिसेस खान ने पूछा भी "कुछ तबीयत खराब लग रही क्या आपकी "

"नहींं थोड़ा मन खराब लग रहा शायद बीपी लो हो गया हो "

घर पहुची चौकीदार से पूछा "साहेब कब गए ऑफिस "

"मैडम आपके जाने के तुरंत बाद निकल गए थे साहेब।"

उसे आश्चर्य हुआ वो तो एक घण्टे बाद जाने वाला था "आखिर माजरा क्या है "

घर पर बीटा अभी पहले से ही मौजूद था आज।

"अरे बेटा तुम आज कैसे इतनी जल्दी "

"यह सवाल मैं आपसे भी पूछ सकता हूँ "

जैसे ही उसने कहा दोनो की हंसी छूट गई।

"मन मे थोड़ी बेचैनी हो रही थी, तबियत नासाज लग रही थी, इसीसे मैं आज जल्दी आ गई बेटा और तुम, सब ठीक तो है "

"ठीक ही तो नहीं है माँ " अभि का गुस्सा फट पड़ा "तुम्हे पता भी है पापा क्या गुल खिला रहे हैं।"

"क्या हुआ, तू ऐसे क्यों बात कर रहा अपने पापा के बारे में।"

मैं सोच रहा था कुछ ना बताऊँ आपको, पर पानी सर से गुजर रहा है, इसीलिए बताना जरूरी है "

वह समझ गई तूफान का संकेत है ये बहुत धीरे से बोली "कुछ बताएगा "

"माँ पापा इतने दिनों से अपने आफिस की किसी लड़की के साथ घूम फिर रहे हैं, आपको बेवकूफ बनाया जा रहा है काम का बहाना कर "

"क्या बकवास कर रहा है"

"पिछले एक हफ्ते से मैं सब देख रहा हूँ पर सोच आपको पूरी जानकारी के साथ ही यह खबर दूँ। "

"ओह्ह, ये सब चल रहा है।"

"आज आने दो बात करती हूँ उनसे "कहा उसने, वह बेटे के सामने खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहती थी।

रात को जब समर ने घर मे कदम रखा तो हॉल में अदिति, और उसके बेटे बेटी सब उसकी प्रतीक्षा में बैठे थे।

"अरे आज सब साथ मे" -नकली हँसी हंसते हुए उसने

कहा।

"पापा आप ये सब क्यों कर रहे हैं" पहला सवाल बेटे अभी ने किया।

"आप मम्मी के साथ इस उम्र में, बेवफाई "

"तुम दोनों चुप रहो और जाओ अपने कमरे में, "अदिति बेहद शांत गम्भीर स्वर में बोली।

"पर मम्मी "

"कहा ना जाओ मैं बात करूँगी इनसे "

दोनो अपने कमरे में चले गए।

अदिति और समर के बीच एक गहरा मौन पसर गया।

काफी देर बाद समर ने कहा "तुम क्या कहना चाहती थी "तुम सवाल भी जान रहे हो और उसका जवाब भी, कब से चल रहा है ये सब।"

"छ महीने हो गए हैं "

"क्या उसे तुम्हारे परिवार के बारे में उसे पता नहीं।"

"सब पता है "

"छोड़ो, अब ये बताओ तुम्हारे मन मे क्या चल रहा है, जवान बच्चे हैं, थोड़ा तो सोचा होता उनके बारे में।"

समर मैं उन औरतों में से नहीं हूँ, जो लड़ भिड़कर या रोकर अपना अधिकार मांगती है, मैं सब मे राजी हूँ, तुम्हारे पास दो दिन का समय है तुम खूब सोच लो और फिर बता देना क्या करना है।"

"कोई भी फैसला लेने के पहले अपने बच्चों के बारे में एक बार जरूर सोचना।"

अदिति उठकर चली गई, उस रात वह गेस्ट रूम में सोई वह चाहती थी समर को पूरा मौका मिले सोचने का, उसे यह भी मालूम था उसे अपनी पत्नी की ही आदत है हर काम के लिए, दूसरी औरत साथ घूमने, सोने के लिए भले ही ठीक हो पर महत्व पत्नी का ही जीवन मे ज्यादा है।

अगली सुबह बच्चे अपने अपने ऑफिस गए वह भी कॉलेज थोड़ा जल्दी ही निकल गई, लाइब्रेरी में बैठ गई जाकर, के किताबें निकलवाई, कुछ पढा मन तो लगा नहींं शाम को भी कुछ देर से ही घर आई, बच्चों के साथ बैठ रेस्टोरेंट में कॉफी पी, बच्चों को कॉफी हाउस में ही बुला लिया था उसने।

घर पहुंचते रात हो गई, चौकीदार ने बताया मैडम आज तो साहेब ऑफिस ही नहीं गए, दिन भर से घर मे हैं, सुनकर उसके होठों पर मुस्कान आ गई, सब ठीक हो जाएगा, उम्मीद बन्ध गई।

अगले दो दिन यही चला रूटीन सबका, समर को समझ आ गया कि जीवन मे प्रेमिका और बीवी में क्या अंतर है, कहाँ हर घड़ी ख्याल रखने वालीउसका और अब उपेक्षित से वह।

तीसरे दिन कॉलेज जाती अदिति स का उसने हाथ पकड़ लिया, "क्यों कर रही हो तुम मेरे साथ ऐसा।"

"मैंने क्या किया "

"मैंने तुमसे हमेशा प्यार किया है अदिति "

"तो मैंने क्या किया था, तुमने तो सब भूल दिया ना, एक अनजान औरत के लिए बीवी का प्यार, बच्चों का मोह सब कुछ। सब तुम्हारे अनुसार ही तो हो रहा है।"

मैं गलत था, मुझे माफ़ कर दो, इन दो दिनों में मैंने तुम सब की वैल्यू अपने जीवन में जान ली है।

नहीं पापा आप अब हम लोगो के साथ नहीं रह सकते, दोनो बच्चे भी आ गए।

लेकिन तुम सबको छोड़ कर मैं जाऊंगा कहाँ।

बेटे ने कुछ कहने मुँह खोला तो अदिति ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया "सुबह का भूला शाम को घर आये तो भूला नहीं कहलाता।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational