सतरंगी सपने
सतरंगी सपने
"मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने,सपने सुरीले सपने" रेडियो में गाना फुल वॉल्यूम में बज रहा था।शादी के पहले यही गाना वो सुनाया करता था। गाना सुनते सुनते उसकी आँखों में वह खो जाया करती थी।
किचेन में काम करते करते इस गाने से जुड़ी यादें जैसे उसके आँखों के सामने किसी रील की तरह चलने लगी। अचानक हाथ के धक्के से कोई बर्तन छन्न की आवाज से गिरा और फ़ौरन ही वह हक़ीक़त की दुनिया में लौट आयी। रेडियो में बजते गाने को सुनकर कल रात की उन दोनों की पर्सनल स्पेस को लेकर हुयीं खटपट याद हो आयी। उस खटपट में उसे उन दोनों के बीच के किसी तीसरे की आहट हुयी।और फिर जैसे सब कुछ उलट पलट गया।
किसी समय वह उन दोनों की ही सतरंगी दुनिया थी। और आज ? आज जैसे उसे लगने लगा कि जैसे यह गाना असली नहीं है। गाने के भाव भी सच नहीं लग रहे थे।और वह सतरंगी दुनिया जैसे मोनोटोनस सी हो गयी
क्यों नही वह सतरंगी सपनो के गीत गानेवाला सच्चा रहा ?
हकीकत की दुनिया से बहुत दूर सपनोँ की सतरंगी दुनिया में खोकर वह सोचने लगी, क्यों सपनों की सतरंगी दुनिया हकीकत की दुनिया से इतनी जुदा होती है..............................