सपनों में जीवित हो दादी
सपनों में जीवित हो दादी
"दादी भले ही, तुम इस दुनिया में नहीं हो"
लेकिन कैसे अपने जीवनकाल में हर कदम पर संघर्ष कर, पांचों बच्चों की परवरिश पूरी हिम्मत के साथ स्वयं ही कुशलतापूर्वक की है, इस परिश्रम प्रेम-स्नेह को आपके, सदा ही मैंने प्रेरणार्थक संजीवनी बना यादगार रूप में जीवित रखा है । आपकी बचपन में सुनाई हुईं, ढेर सारी प्रेरणास्पद कहानियों में पूतना और नटखट कान्हा की अठखेलियां, आज भी मेरे सपने में हलचल करती हैं...आप यूं ही मेरे सपनों में जीवित हो, दादी हमेशा के लिए ।