सफर

सफर

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आजकल लड़कियों को जॉब्स और केरियर की वजह से अकेले सफर करती है ,कभी-कभी परेशानी का सामना पड़ता है।

एक वाकिया याद है, हम भी ट्रेन से सफर कर रहे थे, हम जिस कम्पार्टमेंट में थे वहाँ ज़्यादा फेमिली वाले "सफर" कर रहे थे, एक लड़की हमारे सीट पर आकर बैठ गई इधर -उधर की बात चली उसका नाम 'रागिनी' था हम से अच्छे से हिलमिल गई, हमने रागिनी से पूछा तुम कहाँ जा रही हो मुंबई जा रही, उसका भी रात भर का 'सफर' था।

दिन का सफर तो बातचीत में बीत गया जैसे ही रात हुई सब अपने सीट खोल के सोने की तैयारी करने लगे, लड़की को अपनी सीट पर जाना पड़ा, हम लोग भी सो गए। आधी रात को मुझे अपने पैरों के पास कोई बैठा हुआ लगा, मैंने देखा 'रागिनी' बैठी सिसक रही थी मैंने पूछा क्या हुआ ? रागिनी ने बताया वहां जो अंकल लोग बैठे हैं वो 'शराब' पी रहे और अर्नगल बातें कर रहे हैं ...।

मुझे डर लगा तो मैं आपके पास ही यहाँ रात गुज़र लूंगी, मैनें अपने पति को उठाया और सारी बात बताई, तो उन्होंने कहा ठीक है बेटी तुम यहाँ मेरी सीट पर सो जाओ मैं वहाँ जाकर सो जाता हूँ, ऐसे बैठे-बैठे रात थोड़ी निकलेगी....।इस तरह से "रागिनी" जैसी कई बच्चियों को मुश्किलें झेलनी पड़ती होगी, आप हम समाज में बदलाव तो नहीं ला सकते, पर उन अधेड़ उम्र के लोगों को मैसैज दे सकती हूँ,आपकी भी बेटियाँ "सफर" करती होगी ..? कभी उनको भी ये मसला आया तो......?


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