संवेदना
संवेदना


16 वर्षीय आरवी को अपने बालों से बहुत प्यार था। वह अपने काले लहराते लंबे बालों को शीशे में देख बहुत खुश होती थी और अक्सर नई नई स्टाइल भी बना कर मां सरिता जी को दिखाया करती थी । 3-4 दिनों से बेटी को गुमसुम देख वह बोलीं , "मेरे पास आओ, बालों में तेल डाल दूँ। क्या बात है? बहुत चुप चुप हो, कोई परेशानी है तो मुझे बताओ।
मन ही मन में मानो वह निर्णय लेकर बोली , ‘’आपको प्रॉमिस करना होगा। “
“हां ...हां ...बोलो भी ‘’
“मुझे अपना मुंडन करवाना है। “
“दिमाग खराब है क्या ?’
“आप हां कह चुकी हैं ‘’
वह पार्लर से अपना मुंडन करवा कर आई तो उसकी शक्ल देख कर सरिता जी की आंखों में आँसू आ गये थे लेकिन उसके चे
हरे पर कोई पीड़ा नहीं थी । वह सुबह स्कूल जाने लगी तो उन्होंने स्कार्फ निकाल कर दिया।
“नो, मॉम’’
वह जैसे ही क्लासरूम में पहुंची , पूरे क्लास में सन्नाटा छा गया था ।
महिमा मैडम क्लास में आते ही चौक पड़ी , ‘आरवी तुमने अपने बाल क्यों कटवाये?’
“मैडम , गर्व के बाल कीमोथेरेपी के कारण चले गये थे, इसलिये क्लास में सभी उसको देख कर हंसते थे और उसका मज़ाक उड़ाते थे। इसी वजह से मैंने अपना भी मुंडन करवा लिया। मैं गर्व के साथ हूं अब वह अकेला नहीं है।‘’
पूरे क्लास का सिर शर्म से झुक गया था ।
आरवी की संवेदना के लिये प्रेयर ग्राउंड में प्रिंसिपल मैडम ने उसे प्रशंसापत्र देकर सम्मानित किया ।