संघर्ष
संघर्ष


शब्द के कोष में मिलता नहीं अर्थ है
आदमी को समझने में आदमी असमर्थ है।
संघर्ष कई बार शब्द पड़ा व सुना है मगर कुछ लोगों ने इसे महसूस किया है फिर भी सकारात्मक है अपने प्रति, परिवार के प्रति और ईश्वर के प्रति वाकई बहुत बड़ी बात है जहां आजकल के युवा थोड़ी थोड़ी बातों में घर छोड़ देते हैं आत्महत्या कर लेते हैं, डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं वहीं कुछ हमारे आसपास के लोग हैं जो पूरा जीवन एक संघर्ष यात्रा की तरह जी रहे फिर भी हंसते मुस्कुराते अपने काम व समाज सेवा कर रहे हैं *ऐसी एक मर्दानी महिला कंचन से मुलाकात हुई*।
जिनके जीवन की शुरुआत सयुक्त परिवार में हुई जहां शिक्षा के लिए हमेशा विरोध किया जाता था आजादी के नाम पर केवल परिवार से मिलना व मनोरंजन के नाम पर एक रेडियो था छोटी उम्र में ही पिता नहीं रहे जब से समझ आई मां को काम में मदद करते , बड़ी मुश्किल से शिक्षा प्राप्त कर पाए या यूं कहो कि शिक्षा की चाहत अधूरी ही रह गई मगर छोटी बहनों ने कॉलेज तक की शिक्षा प्राप्त की, परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी जिसके चलते दिनभर पापड़ चिप्स व अन्य घरेलू काम से आय प्राप्त होती थी सात बहने व दो भाई जो उस समय संघर्षपूर्ण जीवन जी रहे थे एक अकेली मां अपने दम पर सभी बच्चों को पाल रही थी।
हमेशा यही कोशिश रही कभी किसी से कुछ नहीं मांगे ,जो कम ज्यादा है उसी से गुजारा हो जाए नीचे चाचा जी रहते थे जिनका अपना परिवार था उनकी आमदनी भी सीमित थी इसलिए अपेक्षा का सवाल ही नहीं होता था।
हमने खुद ही दिन भर मेहनत करना सिखा जब से समझ आई जीवन संघर्ष की शुरुआत हो गई सीमित संसाधनों के बीच में बढ़ते गए बहनों की शादी होती गई और मेरे लिए जब रिश्ता आया तो उम्र मात्र 19 वर्ष थी मां ने हामी भर दी और मेरी शादी जिससे हुई ना मैंने उसे देखा ,न कभी बात की थी । हम निम्नस्तर परिवार से थे और मगर पुराना परिचय था , मां जानती थी लोग अच्छे हैं ।शायद यह भाव ही मुझे स्वीकार करने में सहज बना रहा था ।
यहां बहुत बड़ा परिवार था हवेली नुमा घर , जो आज भी है कभी-कभी लगता था जिला ही घोषित कर दे एक मां के पास 6 बच्चे उनके 5 बच्चे कई बहुए उनके दो-दो तीन-तीन बच्चे, कभी कोई पैदा होता है तो कभी किसी की शादी कभी कोई बीमारी दिन भर किसी ना किसी के यहांआते जाते।
मैं अपने परिवार की बड़ी बहू थी चार देवर,सास ससुर मगर ससुर जी अक्सर बीमार रहते थे और लकवे के चलते नहीं रहे और सास भी अस्वस्थ रहती थी और कुछ समय बाद वह भी मुझे परिवार के जिम्मेदारियों के संग छोड़ गई मेरे ऊपर कई जिम्मेदारियां थी सभी देवर की शादी व अन्य काम जिसे मैंने बखूबी निभाया
मुझे दोस्ती का घूमने का भी बहुत शौक था जिसके चलते कई तरह के लोगों से परिचय हुआ , कुछ समाज से जुड़ी महिलाएं जिसके साथ मिलकर छोटे-मोटे काम करती थी धीरे-धीरे खुशी बढ़ती गई नाम, प्रसिद्धि भी होती थी सभी जिम्मेदारियों के बीच में मे मदद या किसी प्रकार की सेवा के लिए तैयार रहती एक जुनून सवार हो चुका था कुछ वर्षों में, हालांकि परिवार की पहली बहु थी जो घर से निकल गए समाज सेवा के कार्य करती थी ।
कुछ लोग तारीफ करते तो कुछ लोग मजाक बनाते हैं मगर फिर भी मैं खुशी से अपने काम करती रही कभी किसी कार्यक्रम में चाय बना देती, गिफ्ट पैकिंग का काम होता, कभी नाश्ते की व्यवस्था देखनी होती तो कभी मंच की कभी किसी के घर जाकर संदेश देती होने वाले कार्यक्रमों के बारे में, मोबाइल नहीं था,उस समय.
कभी किसी की आर्थिक मदद करती मैं बहुत ज्यादा संपन्न नहीं थी मेरे पास जितना है उसका आधा तो मैं दान कर सकती हूँ मैं खुशी-खुशी दे देती हूं कुछ तकलीफ हो को मैंने करीब से महसूस किया है इसलिए किसी की मदद के लिए मेरे मुंह से नहीं निकलता था ।मेरे इस स्वभाव के कारण घर वाले कभी कभी नाराज होते हैं कभी-कभी समाज वाले खुश होते, सम्मानित करते
जीवन की आधी शिक्षा घर से बाहर निकल कर ही मिलती है ।नई जानकारी ,नए लोग, नई सोच सब कुछ ...... जीवन मे समय का का सदुपयोग करना ही चाहिए मेरा अपना भी परिवार बढ़ता गया बेटा व एक बेटी जिनकी शादी की जिम्मेदारी थी मगर उलझन भी बढ़ती गई फिर सबके अपने परिवार हो गए अब हमने नया घर दूसरी जगह ले लिया था सब अपने-अपने परिवारों में सीमित से होने लगे थे आर्थिक रूप से हम कुछ सामान ही हुए थे कि पति के कुछ नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर दुकान बेचना पड़ा ना चाहते हुए भी संघर्ष स्वीकार किया, लगा ... शायद जीवन का अखरी संघर्ष हो मगर इस बीच पति की किडनी कि परेशानी हो गई उनका इलाज चलता रहा लंबे समय तक, तीनों बेटियों की शादी हो चुकी थी बेटे की शादी हो चुकी थी।
पति अस्वस्थ रहते थे मैंने किडनी देने का संकल्प लिया ,सारी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी कई शहरों में इलाज चला आखिरी में हम मुंबई ले गए डॉक्टर ने किडनी देने के लिए हामी भी भर दी मगर इस बीच दिल की बीमारी हो गई जिसका इलाज पहले कराना उचित समझा गया और हम वापस आ रहे थे इंतजार में कि अगली तारीख में किडनी दे दी जाएगी मगर रास्ते में ही पति को दिल का दौरा पड़ा और वे अशांत परिस्थितियों के बीच खुश शांत हो गए
जीवन के सबसे करीबी रिश्ता ने मुझे अकेला छोड़ दिया बहुत दुख और तकलीफ महसूस होती थी पति के जाने के बाद,कई परेशानी बढ़ती गई जिसके चलते मैंने बूटीक खोला,मगर साथ के अभाव में ज्यादा समय तक ना चल सका
बेटे से ज्यादा अपेक्षाएं नहीं क्योंकि उसकी गलत संगति के चलते मैं बहुत आहत हुई हूं कभी-कभी लगता है शायद मेरी मां और मैं यूं ही संघर्ष करते रहेंगे मां के दो बेटे मतलब दो भाई फिर भी वह अकेली रहती है आज भी घरेलू काम करके अपना जीवन चलाती है एक मां ने 9 लोग को पाला मगर उन्हें नहीं पाल सकते हैं कैसे जीवन की विडंबना है क्या कहूं क्या ...........
आज मे कैटरिन सेवा घर पर देती हूं ,जो आमदनी हो जरूरत के अलावा. बाकी कोशिश रहती है समाज के लिए दे दू ,कभी-कभी लगता है जीवन को वृक्ष की तरह उपयोगी बनाना चाहिए कैसे वृक्ष जीवन भर देता है अंत में उसकी लकड़ी भी काम आती है चिता में,
महिलाएं व वृक्ष एक समान ही होते हैं जीवन भर देते हैं मगर प्यार व सम्मान उन्हें नहीं मिलता जिसकी वह हकदार होती है। हर परिवार को अपनी महिलाओं का सम्मान करना चाहिए हर रिश्ते का सम्मान करना चाहिए जिसकी वह हकदार है ।
मैंने एक लंबे समय तक भारतीय सिंधु सभा में जुड़कर काम किया और आज बिलासपुर अध्यक्ष हू कोशिश रहती है कहीं कोई चूक न हो , सभी सदस्य एक दूसरे का साथ देते हैं इस जीवन यात्रा में ऊपर वाले ने मित्र रूपक बहन से मिलाया जिसने मेरा साथ दिया एक सच्ची मित्रता , खुदा से कम नहीं .
मुझे लिखने का बहुत शौक है कई नाटक की पटकथा लिखी है और मंच पर कई प्रस्तुति दी है मुझे सिंधी गीत संगीत बहुत पसंद है आज भी कई लाडे हो तो मैं जरूर जाती हूं अपनी भाषा और संस्कृति में एक अलग ही मिठास है। सिंधी मे ही बोलना चाहिए
आप भी जरूर बोले बड़ा गर्व है मुझे सिंधी होने पर बड़े मेहनती व ईमानदार कोम है मैने तो बहुत बार महसूस होता है आपने भी महसूस किया ही होगा...
जब बच्चे घर मे कुछ हिंदी में कहते हैं मैं अनसुना करती हूं मुझसे फिर वो सिंधी में ही बात करते हैं कभी इस भाषा को नहीं मिटना चाहिए हम सबकी जिम्मेदारी है ।
जीवन में हर कोई संघर्ष करता है संघर्ष की परिभाषा को समझना आज भी निरंतर जारी है मगर हम समाज को क्या अच्छा दे सकते हैं यह बहुत मायने रखता है आप समझ गए ना मैं क्या कह रही हूं।
उम्मीद है कि आज के युवा सबका सम्मान करेंगे खासकर अपने परिवार का प्यार, सम्मान एक दिप की तरह ऊर्जा भर देता है ,कभी किसी के लिए मत बुझाएं, कभी मीडिया, तो कभी माउथ पब्लिसिटी ही सही लोगों को ऊर्जा मिल जाती है। यही तो जीवन यात्रा में पेट्रोल है शायद।