STORYMIRROR

Shalini Dikshit

Tragedy

2  

Shalini Dikshit

Tragedy

समय

समय

1 min
462

"हे भगवान! यह भीड़ कब हटेगी?" रमेश घबराहट में बड़बड़ाए जा रहा था।

एंबुलेंस जाम में फंसी है और बाबूजी की बढ़ती - थमती साँसे रमेश को बेचैन कर रही है।

आखिरकार भीड़ को चीरते हुए किसी तरह अस्पताल पहुँचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

दुखों से भरे रमेश के कान में उस दिन अबोध बेटे मोनू कि कही आवाज़ बार-बार गूंज रही थी जब उसने कहा था-

"पापा कार साइड में कर लीजिए एंबुलेंस को रास्ता दे दीजिए।"

"अरे बेटा, यह लोग बहुत दुष्ट होते हैं, मरीज अंदर होता नहीं है और सायरन बजाते रहते कोई जरूरत नहीं है इन को रास्ता देने की।" बहुत ही लापरवाही से उस दिन रमेश बोला था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy