Shalini Dikshit

Tragedy

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Shalini Dikshit

Tragedy

समय

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"हे भगवान! यह भीड़ कब हटेगी?" रमेश घबराहट में बड़बड़ाए जा रहा था।

एंबुलेंस जाम में फंसी है और बाबूजी की बढ़ती - थमती साँसे रमेश को बेचैन कर रही है। घड़ी की दोनों सुइयां तेजी से दौड़ती लग रही थी। 

आखिरकार भीड़ को चीरते हुए किसी तरह अस्पताल पहुँचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

दुखों से भरे रमेश के कान में उस दिन अबोध बेटे मोनू कि कही आवाज बार-बार गूंज रही थी जब उसने कहा था- 

"पापा कार साइड में कर लीजिए एंबुलेंस को रास्ता दे दीजिए।"

"अरे बेटा, यह लोग बहुत दुष्ट होते हैं, मरीज अंदर होता नहीं है और सायरन बजाते रहते कोई जरूरत नहीं है इन को रास्ता देने की।" 

बहुत ही लापरवाही से उस दिन रमेश बोला था।


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